राहुल गांधी पर सपा नेता का बड़ा दावा, कहा- बसपा सुप्रीमो की नीति अपना रहे हैं!

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी इन दिनों गुजरात के दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को संबोधित करते हुए एक बड़ा बयान दिया। राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस में कुछ नेता हैं जो बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़े तो ऐसे 10, 15, 20, 30 लोगों को पार्टी से बाहर किया जाना चाहिए।
राहुल गांधी का बड़ा दावा
राहुल गांधी ने गुजरात दौरे के दौरान कहा, “कांग्रेस पार्टी में कुछ ऐसे लोग हैं जो अंदर से बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं। अगर स्थिति की आवश्यकता हो तो हमें उन्हें पार्टी से निकालने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। यह पार्टी की मजबूती के लिए जरूरी हो सकता है।” राहुल गांधी का यह बयान कांग्रेस के अंदर कुछ नेताओं की भूमिका पर सवाल उठाता है, जिनका आरोप है कि वे पार्टी के हित में नहीं बल्कि बीजेपी के एजेंडे के पक्षधर हो सकते हैं।
समाजवादी पार्टी का पलटवार
राहुल गांधी के इस बयान पर समाजवादी पार्टी के नेता आईपी सिंह ने तीखा प्रतिवाद किया। आईपी सिंह ने राहुल गांधी की टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा कि वह अब बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती के रास्ते पर चल रहे हैं। आईपी सिंह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट X पर लिखा, “मायावती जी ने पार्टी से लोगों को बाहर करने की प्रक्रिया शुरू की थी, और आज ऐसी स्थिति आ गई है कि उनके अलावा पार्टी में कोई नहीं बचा।”
उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति में कोई भी नेता शक्ति से दूर नहीं जाना चाहता। उन्होंने कांग्रेस के नेताओं को याद दिलाया कि ग्रुप-23 के नेताओं की विदाई से कांग्रेस को कुछ हासिल नहीं हुआ। उन नेताओं में शामिल थे कापिल सिब्बल, गुलाम नबी आज़ाद और अन्य वरिष्ठ नेता जो कांग्रेस से बाहर हो गए थे।
आईपी सिंह का आरोप
आईपी सिंह ने आगे कहा, “आज के समय में कोई भी मजदूर मुफ्त में दो घंटे काम नहीं करता, वहीं पार्टी के नेता और कार्यकर्ता जो पार्टी के लिए सब कुछ समर्पित करते हैं, वे केवल कुछ अच्छे शब्दों के लिए पार्टी के लिए काम करते हैं। कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि एक पार्टी कभी भी केवल मुंशी और हां-मैं कहने वालों के समर्थन से नहीं खड़ी हो सकती।”
उन्होंने यह भी कहा, “हर पार्टी में लोग होते हैं जो शिकायत करते हैं, लेकिन नेतृत्व उन्हें नजरअंदाज करता है और आगे बढ़ता है। एक पुरानी कहावत है- जब विनाश का समय आता है, तो बुद्धि विपरीत दिशा में काम करती है।”
राहुल गांधी का गुजरात में भाषण
राहुल गांधी ने गुजरात में अपनी यात्रा के दौरान यह भी कहा कि उन्होंने खुद से यह सवाल पूछा कि कांग्रेस पार्टी और उनकी अपनी जिम्मेदारी क्या है। उन्होंने कहा, “हमने पिछले 30 वर्षों से गुजरात में सरकार नहीं बनाई है, लेकिन जब तक हम अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करेंगे, तब तक गुजरात के लोग हमें चुनावों में जीत दिलाने के लिए तैयार नहीं होंगे। जिस दिन हम अपनी जिम्मेदारी पूरी करेंगे, उसी दिन गुजरात के लोग कांग्रेस पार्टी के साथ खड़े होंगे।”
राहुल गांधी का यह बयान पार्टी के कार्यकर्ताओं को एकजुट करने और उन्हें कांग्रेस की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध रहने का संदेश था।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
राहुल गांधी के बयान और आईपी सिंह के विरोध के बीच यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस पार्टी में आंतरिक मतभेद गहरे हो चुके हैं। राहुल गांधी का यह दावा कि पार्टी के अंदर कुछ लोग बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं, यह सवाल उठाता है कि क्या कांग्रेस पार्टी को भीतर से कमजोर करने की कोशिशें चल रही हैं। वहीं, आईपी सिंह का यह कहना कि एक पार्टी को हां-मैं कहने वालों के सहारे नहीं चलाया जा सकता, इस बात को उजागर करता है कि कांग्रेस को अपने संघर्षशील नेताओं की भूमिका पर पुनर्विचार करना चाहिए।
क्या कांग्रेस में बदलाव की आवश्यकता है?
कांग्रेस पार्टी लंबे समय से अपनी खोई हुई स्थिति को पुनः स्थापित करने के प्रयासों में लगी हुई है। राहुल गांधी के गुजरात दौरे के दौरान दिए गए बयान से यह सवाल खड़ा होता है कि क्या कांग्रेस पार्टी को आंतरिक संरचनात्मक बदलावों की आवश्यकता है, ताकि वह बीजेपी के खिलाफ अपनी राजनीतिक लड़ाई में ज्यादा प्रभावी हो सके।
राहुल गांधी की बातों से यह भी प्रतीत होता है कि वह अपनी पार्टी में दृढ़ और निष्ठावान नेताओं को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि वे पार्टी को बीजेपी के मुकाबले खड़ा कर सकें। इसके लिए उन्हें अपनी पार्टी के भीतर से उन नेताओं को हटाने की आवश्यकता हो सकती है, जो पार्टी के साथ निष्ठा नहीं रखते हैं।
राहुल गांधी का बयान और आईपी सिंह की प्रतिक्रिया दोनों ही कांग्रेस पार्टी के अंदर के गहरे राजनीतिक संकट और सत्ता संघर्ष को उजागर करते हैं। कांग्रेस को अपनी आंतरिक एकता बनाए रखने और भाजपा के खिलाफ अपनी रणनीति को बेहतर तरीके से आकार देने के लिए इन चुनौतियों का सामना करना होगा। यह समय कांग्रेस के लिए एक परीक्षा है, जिसमें उन्हें अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं के समर्थन को मजबूत करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने होंगे।