उत्तर प्रदेश

समाजवादी पार्टी ने तीन बागी विधायकों को दिखाया बाहर का रास्ता, विचारधारा से समझौता मंजूर नहीं

समाजवादी पार्टी ने अपनी पार्टी की मूल विचारधारा के खिलाफ जाने वाले तीन विधायकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इन तीनों नेताओं ने बीते वर्ष राज्यसभा चुनाव में पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर क्रॉस वोटिंग की थी। पार्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर बयान जारी कर बताया कि इन सभी को ‘विचार परिवर्तन’ का समय भी दिया गया था लेकिन इनकी ओर से कोई सकारात्मक बदलाव नहीं आया। इसके बाद पार्टी ने सार्वजनिक हित में इनकी सदस्यता खत्म करने का फैसला किया।

साल 2024 के उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा था जब उसके सात विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। इस दौरान बीजेपी ने आठ उम्मीदवार उतारे थे जबकि एसपी की ओर से तीन उम्मीदवार खड़े किए गए थे। पार्टी को उम्मीद थी कि उसके उम्मीदवार आसानी से जीत दर्ज करेंगे लेकिन जब सात विधायकों ने भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में वोट डाल दिया तो समाजवादी पार्टी का समीकरण बिगड़ गया। इसके बाद से ही तीन विधायक लगातार पार्टी से दूरी बनाए हुए थे और न तो किसी कार्यक्रम में शामिल हुए और न ही पार्टी कार्यालय आए।

तीनों विधायकों का राजनीतिक सफर और विवाद

गौरीगंज के विधायक राकेश प्रताप सिंह लंबे समय से समाजवादी पार्टी के मजबूत नेताओं में गिने जाते थे। वे लगातार 2012 से विधायक बनते आ रहे हैं और कभी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के काफी करीबी माने जाते थे। लेकिन 2024 की क्रॉस वोटिंग ने उनका राजनीतिक रिश्ता बिगाड़ दिया और अब माना जा रहा है कि वे बीजेपी जॉइन कर सकते हैं। वहीं गोसाईगंज के विधायक अभय सिंह की छवि विवादित रही है। वे पहले बसपा से जुड़े थे और बाद में समाजवादी पार्टी में आए। उनका नाम कई आपराधिक मामलों में जुड़ चुका है और वे माफिया मुख्तार अंसारी के करीबी भी माने जाते हैं। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के साथ राम मंदिर का दौरा किया था जिस पर पार्टी ने आपत्ति जताई थी। उधर, ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडे भी अब पार्टी से अलग हो गए हैं। वे लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं और अखिलेश सरकार में मंत्री भी रहे हैं। लेकिन पार्टी लाइन के खिलाफ वोट डालने पर अब वे भी निष्कासित कर दिए गए हैं।

पार्टी की सख्त चेतावनी और भविष्य का संकेत

समाजवादी पार्टी ने साफ कहा है कि जो भी पार्टी की मूल विचारधारा और सार्वजनिक हित के खिलाफ काम करेगा, उसके लिए पार्टी में कोई जगह नहीं होगी। पार्टी ने अपने बयान में लिखा, “जहां भी रहो, भरोसेमंद रहो।” पार्टी ने यह भी कहा कि ‘पीडीए’ यानी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग के खिलाफ काम करने वालों को कभी माफ नहीं किया जाएगा। इन निष्कासनों से यह संकेत भी मिल रहा है कि 2027 विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी अंदरूनी साफ-सफाई और अनुशासन पर जोर दे रही है ताकि संगठन को मज़बूत किया जा सके। वहीं अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या यह तीनों विधायक आने वाले समय में बीजेपी का दामन थामते हैं या कोई अलग राजनीतिक रास्ता चुनते हैं।

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