Prayagraj Maha Kumbh 2025: गंगा के तट पर स्वामी ओंकारानंद सरस्वती का हैरतअंगेज़ हठयोग, जानें इसका कारण

Prayagraj Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में आए हुए श्रद्धालु विभिन्न संतों, योगियों और हठयोगियों के दर्शन कर रहे हैं। कुछ हठयोगी अपने हाथ उठाए हुए हैं, कुछ लगातार हठयोग में खड़े हैं, तो कुछ ने हठयोग में न बैठने की कसम खाई है। इन हठयोगियों में से एक हैं जो माँ गंगा के तट पर हठयोग करते हैं और माँ गंगा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह साधना करते हैं। इन बाबा का नाम है स्वामी ओंकारानंद सरस्वती।
स्वामी ओंकारानंद सरस्वती का हठयोग: माँ गंगा से आशीर्वाद प्राप्त करने की साधना
स्वामी ओंकारानंद सरस्वती ने महाकुंभ में अपनी साधना और हठयोग के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जैसे एक बच्चा जब खिलौना नहीं मिलता तो वह जोर से रोता है, वैसे ही हम अपनी साधना के लिए हठयोग करते हैं। वे 12 साल बाद माँ गंगा के तट पर आकर हठयोग कर रहे हैं ताकि उन्हें माँ गंगा का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
स्वामी ओंकारानंद सरस्वती ने आगे कहा, “माँ गंगा बहुत दयालु हैं। जब माँ अपने बच्चे को अपनी गोदी में उठाती हैं तो बच्चा शांत हो जाता है, उसी तरह हम भी हठयोग करते हैं ताकि माँ हमें सब कुछ दे सकें और बहुत कुछ दे सकें।” उनके शब्दों में एक गहरी आध्यात्मिक शक्ति का अहसास हो रहा था।
ध्रुव महाराज का उदाहरण: हठयोग और तपस्या का महत्व
स्वामी ओंकारानंद सरस्वती ने बताया कि जैसे ध्रुव महाराज ने 5 साल की उम्र में अपनी माँ के शाप से मुक्ति पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, वैसे ही हठयोगियों का उद्देश्य भी कुछ विशेष प्राप्त करना होता है। स्वामी ने कहा कि ध्रुव महाराज ने भगवान विष्णु से आशीर्वाद प्राप्त किया था और उनके दर्शन से न केवल उनकी माँ को शाप से मुक्ति मिली, बल्कि वे आकाश में ध्रुव तारे के रूप में प्रतिष्ठित हुए। स्वामी ओंकारानंद ने कहा कि जिस तरह से ध्रुव महाराज के दर्शन से सभी को समृद्धि और सम्मान मिलता है, वैसे ही हठयोग के माध्यम से वे माँ गंगा से ज्ञान प्राप्त करने की कामना कर रहे हैं, ताकि सभी का भला हो।
महाकुंभ में हठयोग: एक अलौकिक दृश्य
महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए जुटे हैं, और इसके साथ ही हठयोगियों की अद्भुत साधना भी दर्शकों को आकर्षित कर रही है। कई हठयोगी अपनी विशेष साधना के माध्यम से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या कर रहे हैं। महाकुंभ में हठयोग का यह अलौकिक दृश्य सभी को हैरान कर देता है। स्वामी ओंकारानंद सरस्वती का हठयोग भी इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसमें वे अपने शारीरिक और मानसिक बल से गंगा माँ से आशीर्वाद प्राप्त करने की साधना कर रहे हैं।
विज्ञान और आध्यात्मिकता का मिलाजुला प्रभाव
स्वामी ओंकारानंद सरस्वती और अन्य हठयोगियों की साधना को देखकर कई लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं। उनका यह कार्य न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि विज्ञान भी इन योगियों के अद्भुत कार्यों को आश्चर्यचकित होकर देखता है। उनकी साधना में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा महसूस की जा रही है, जो लोगों के दिलों को छू रही है और उन्हें आंतरिक शांति प्रदान कर रही है। महाकुंभ में यह अलौकिक दृश्य न केवल एक धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि मानवता के प्रति एक गहरी समझ और सम्मान भी उत्पन्न कर रहा है।
महाकुंभ में आस्था और साधना का अद्भुत संगम
महाकुंभ का यह अद्भुत पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानवता, आध्यात्मिकता और साधना का एक अद्भुत संगम है। स्वामी ओंकारानंद सरस्वती का हठयोग भी इस संगम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो श्रद्धालुओं और अन्य लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ रहा है।
महाकुंभ के इस अद्भुत वातावरण में, लोग न केवल गंगा स्नान कर रहे हैं, बल्कि वे हठयोग और तपस्या के माध्यम से अपनी आत्मा को भी शुद्ध कर रहे हैं। स्वामी ओंकारानंद सरस्वती की साधना यह संदेश देती है कि जीवन में सच्ची शांति और समृद्धि प्राप्त करने के लिए आस्था, समर्पण और कठिन साधना की आवश्यकता है।
महाकुंभ में स्वामी ओंकारानंद सरस्वती का हठयोग एक प्रेरणा का स्रोत है। उनकी साधना और माँ गंगा से प्राप्त आशीर्वाद की यह प्रक्रिया न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि समाज और दुनिया भर के लोगों के लिए एक सकारात्मक संदेश भेज रही है। स्वामी ओंकारानंद सरस्वती और अन्य हठयोगियों की तपस्या महाकुंभ को एक नया आयाम प्रदान कर रही है, जो हर किसी को अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करती है।