जबलपुर में 30 करोड़ का धान परिवहन घोटाला: राइस मिलर्स ने किया बड़ा फर्जीवाड़ा, प्रशासन ने कसा शिकंजा

मध्यप्रदेश के जबलपुर में 30 करोड़ रुपये के धान परिवहन घोटाले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। नागरिक आपूर्ति निगम (MPSCSC) के प्रबंधक और खरीद केंद्रों के प्रभारी की मिलीभगत से राइस मिलर्स ने ऐसा घोटाला किया कि जांच अधिकारी भी दंग रह गए।
सीमेंट-लोहा ढोने वाले ट्रकों से धान परिवहन का दावा
जांच में सामने आया कि जिन ट्रकों को धान परिवहन का ठेका दिया गया था, वे असल में सीमेंट और लोहा ढोने में लगे थे। जांच में पाया गया कि एक ही ट्रक ने एक दिन में चार बार उज्जैन की यात्रा की, जो कि व्यावहारिक रूप से संभव ही नहीं है।
कलेक्टर ने दी सख्त कार्रवाई की चेतावनी
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने स्पष्ट किया कि इस घोटाले में शामिल सभी राइस मिलर्स को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा। साथ ही, घोटाले की रकम मिलर्स की बैंक गारंटी और एफडी से वसूली जाएगी।
12 थानों में FIR, 7 आरोपी गिरफ्तार
कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर जिले के 12 थानों में एफआईआर दर्ज की गई है। इस मामले में नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक दिलीप किरार समेत कई अन्य कर्मचारियों और राइस मिलर्स को आरोपी बनाया गया है। अब तक खरीद केंद्र प्रभारी और कंप्यूटर ऑपरेटर समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।
कैसे हुआ 30 करोड़ का घोटाला?
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बताया कि जब जिले में इंटर-डिस्ट्रिक्ट मिलिंग के लिए उठाए गए धान को स्थानीय दलालों को बेचे जाने की शिकायत मिली, तो मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति बनाई गई।
जांच में सामने आया कि 14 हजार मीट्रिक टन धान के लिए डीओ (डिलीवरी ऑर्डर) जारी किए गए थे, जिसे 614 ट्रिप में सप्लाई दिखाया गया। जब प्रशासन ने मिलर्स, नागरिक आपूर्ति निगम, सोसाइटी और खरीद केंद्र से संबंधित ट्रकों की जानकारी मांगी, तो मामला संदिग्ध लगा। इसके बाद NHAI से टोल टैक्स डेटा की भी जानकारी ली गई, जिससे घोटाले का पर्दाफाश हुआ।
विधायक के पत्र से खुला घोटाला
इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब पाटन विधानसभा के विधायक अजय विश्नोई ने प्रमुख सचिव और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जानकारी दी कि जिले के 17 राइस मिलर्स फर्जी रिलीज ऑर्डर के जरिए धान की हेराफेरी कर रहे हैं। इसके बाद प्रशासन ने जांच टीम का गठन किया, जिसने इस बड़े घोटाले का खुलासा किया।
मिलर्स पर ब्लैकलिस्टिंग और रिकवरी का फैसला
प्रशासन ने घोटाले में शामिल मिलर्स को ब्लैकलिस्ट करने और उनकी बैंक गारंटी व एफडी से राशि वसूलने का फैसला किया है। इसके अलावा, मामले की गहनता से जांच के लिए विभिन्न टीमों का गठन किया गया है, जो अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी कर रही हैं।
क्या है प्रशासन का अगला कदम?
प्रशासन अब इस घोटाले में सख्त कार्रवाई के लिए कमर कस चुका है। जांच एजेंसियां अन्य आरोपियों की धरपकड़ में जुटी हैं। जिन ट्रकों का इस्तेमाल धान परिवहन में दिखाया गया था, उनकी गतिविधियों की भी जांच की जा रही है।
पब्लिक की प्रतिक्रिया और राजनीति में हलचल
30 करोड़ रुपये के इस बड़े घोटाले को लेकर जबलपुर और आसपास के इलाकों में हड़कंप मच गया है। विपक्ष ने सरकार पर घोटाले में शामिल अधिकारियों और मिलर्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
यह घोटाला एक बार फिर साबित करता है कि कैसे सरकारी योजनाओं और प्रक्रियाओं का दुरुपयोग करके भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जाता है। प्रशासन का दावा है कि दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा और जल्द ही पूरे मामले का पर्दाफाश किया जाएगा।