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निफ्टी 24800 के नीचे और सेंसेक्स में बड़ी गिरावट – किस सेक्टर में अभी भी है दम?

20 मई 2025 यानी मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार ने दो दिन की गिरावट के बाद थोड़ी राहत ली लेकिन यह ज्यादा देर तक टिक नहीं पाई। सुबह करीब 9:15 बजे शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 139 अंकों की बढ़त के साथ खुला और निफ्टी भी 25000 के पास पहुंच गया। लेकिन इसके कुछ समय बाद ही बाजार में तेज गिरावट आ गई। सेंसेक्स करीब 600 अंक लुढ़क गया और निफ्टी भी 24800 से नीचे चला गया। इस गिरावट में बैंकिंग, ऑटो और फार्मा सेक्टर के शेयरों पर सबसे ज्यादा दबाव देखने को मिला।

पिछले दो कारोबारी सत्रों में शेयर बाजार में लगातार गिरावट देखने को मिली है जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ गई है। सोमवार को बीएसई सेंसेक्स 271 अंक टूटकर बंद हुआ था। इस गिरावट के पीछे आईटी और बैंकिंग शेयरों में बिकवाली के साथ-साथ वैश्विक बाजारों से मिले कमजोर संकेत भी जिम्मेदार रहे। इसके अलावा अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग में आई गिरावट ने भी भारतीय निवेशकों के मनोबल पर असर डाला है। सेंसेक्स सोमवार को 82,059.42 अंक पर बंद हुआ जो 0.33 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है। वहीं निफ्टी 74.35 अंक की गिरावट के साथ 24,945.45 अंक पर बंद हुआ।

निफ्टी 24800 के नीचे और सेंसेक्स में बड़ी गिरावट – किस सेक्टर में अभी भी है दम?

IT सेक्टर में सबसे ज्यादा दबाव

सोमवार को जिन कंपनियों के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई उनमें आईटी और टेक्नोलॉजी कंपनियां प्रमुख रहीं। ज़ोमैटो (अब एटरनल), इंफोसिस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टेक महिंद्रा, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एशियन पेंट्स, एचसीएल टेक और अडानी पोर्ट्स के शेयर नुकसान में रहे। वहीं पॉजिटिव रुख दिखाने वाले शेयरों में पावर ग्रिड, बजाज फाइनेंस, एनटीपीसी, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और इंडसइंड बैंक शामिल रहे। इससे साफ होता है कि आईटी सेक्टर की गिरावट ने बाजार को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया।

अमेरिका की रेटिंग में गिरावट का सीधा असर भारतीय बाजार पर

बाजार विश्लेषक गौरव गर्ग का कहना है कि भारतीय शेयर बाजार सोमवार को लगातार दूसरे दिन गिरावट के साथ बंद हुआ। इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण वैश्विक स्तर पर अस्थिरता और अमेरिकी बाजारों से मिले नकारात्मक संकेत हैं। मूडीज़ द्वारा अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग को ‘AA1’ तक घटा दिया गया है जिसकी वजह अमेरिका पर 36 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज बताया गया है। इस खबर का असर सीधे भारतीय बाजार पर पड़ा क्योंकि विदेशी निवेशकों का भरोसा डगमगाया और उन्होंने बिकवाली शुरू कर दी। यही कारण है कि बाजार में बढ़ती अस्थिरता देखने को मिल रही है और आने वाले दिनों में भी इसमें सुधार की संभावना कम नजर आ रही है।

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