मध्य प्रदेश

MP बोर्ड के रिजल्ट के बाद आई मौत की खबर क्या शिक्षा व्यवस्था पर उठने लगे हैं सवाल

मध्य प्रदेश बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (MPBSE) ने 26 मई 2025 को दसवीं और बारहवीं कक्षा के परीक्षा परिणाम घोषित किए। लेकिन इसके कुछ ही घंटों बाद राज्य से तीन दिल को झकझोर देने वाली घटनाएं सामने आईं। ये घटनाएं छात्र-छात्राओं की मानसिक स्थिति और परीक्षा परिणाम के दबाव को बयां करती हैं। सबसे पहली घटना दमोह जिले के झागर गांव की है जहां एक 17 वर्षीय विज्ञान की छात्रा ने बारहवीं कक्षा में फेल होने पर अपने घर की पहली मंज़िल पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

परिवार काम में व्यस्त था और छात्रा ने ले ली जान

पुलिस के अनुसार जब यह दुखद घटना हुई उस वक्त घर के सदस्य रोज़मर्रा के काम में व्यस्त थे। किसी को अंदाज़ा तक नहीं था कि छात्रा इतना बड़ा कदम उठा लेगी। जैसे ही घरवालों को इसकी जानकारी हुई उन्होंने उसे फौरन अस्पताल पहुंचाया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अस्पताल में डॉक्टरों ने छात्रा को मृत घोषित कर दिया। पथरिया थाना प्रभारी सुधीर कुमार बेगी ने बताया कि लड़की ने रिजल्ट से दुखी होकर खुद को कमरे में बंद कर लिया और फांसी लगा ली।

MP बोर्ड के रिजल्ट के बाद आई मौत की खबर क्या शिक्षा व्यवस्था पर उठने लगे हैं सवाल

सतना में छात्र ने रिजल्ट के आधे घंटे बाद की आत्महत्या

दूसरी घटना सतना जिले के एक गांव की है जहां 18 वर्षीय एक छात्र ने रिजल्ट आने के महज़ आधे घंटे बाद अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस को अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि छात्र के इस फैसले के पीछे असल वजह क्या थी क्योंकि परिवार को अभी उसके अंकों की जानकारी तक नहीं थी। जांच में पता चला है कि छात्र के माता-पिता के बीच झगड़ा चल रहा था और वे अलग रहते थे जिससे छात्र अकेलापन महसूस कर रहा था।

तीसरे छात्र ने बचाई गई जान लेकिन हालत गंभीर

तीसरी घटना भी सतना जिले के खगोरा गांव की है जहां एक बारहवीं कक्षा के छात्र ने परीक्षा में फेल होने के बाद फांसी लगाने की कोशिश की। लेकिन सौभाग्यवश परिवार के सदस्यों ने उसे समय रहते देख लिया और फांसी की रस्सी काटकर उसे अस्पताल पहुंचाया। फिलहाल छात्र का इलाज चल रहा है लेकिन उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। डॉक्टरों के अनुसार छात्र को अभी निगरानी में रखा गया है और मानसिक सलाहकारों की भी मदद ली जा रही है।

परीक्षा के दबाव ने ले ली तीन ज़िंदगियों की रौशनी

इन तीनों घटनाओं ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमारे समाज में परीक्षा और अंक कितने बड़े दबाव का कारण बन चुके हैं। बच्चों के मन में असफलता का डर इतना गहरा बैठ गया है कि वे जीवन को खत्म करने तक का फैसला ले रहे हैं। ऐसी स्थिति में ज़रूरी है कि परिवारजन बच्चों को भावनात्मक सहारा दें और हर हाल में उनका साथ दें। स्कूलों और कॉलेजों को भी चाहिए कि वे छात्रों की काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

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