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विवादित ऑडियो वायरल मामले में नया मोड़: किशोर ने नोटरी हलफनामा देकर मांगी माफी, सोशल मीडिया की लत और एआई दुरुपयोग पर खड़े हुए गंभीर सवाल

DainikMediaauditor. रीवा जिले की जवा तहसील से सामने आए विवादित ऑडियो वायरल प्रकरण ने न केवल स्थानीय स्तर पर हलचल मचा दी है बल्कि सोशल मीडिया के दुरुपयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक के गलत इस्तेमाल और प्रशासनिक सतर्कता को लेकर भी गंभीर बहस को जन्म दिया है। यह मामला अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है जहां आरोपी किशोर ने नोटरी के माध्यम से हलफनामा देकर सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम लुचकी थाना जवा निवासी सचिन सिंह पिता विनोद सिंह द्वारा बीते दिनों एआई तकनीक का सहारा लेकर पांच ऑडियो क्लिप तैयार कर सोशल मीडिया पर वायरल किए गए थे। इन ऑडियो क्लिप्स में समाजसेवी बीरेंद्र सिंह की आवाज की नकल करते हुए महिलाओं से आपत्तिजनक बातचीत दर्शाई गई थी। इस कृत्य का उद्देश्य बीरेंद्र सिंह की सामाजिक छवि को धूमिल करना और उन्हें बदनाम करना बताया गया।

ऑडियो वायरल होने के बाद समाजसेवी बीरेंद्र सिंह ने तत्काल जवा थाने में इसकी लिखित शिकायत दर्ज कराई। मामले की गंभीरता को देखते हुए जवा पुलिस और साइबर सेल ने संयुक्त रूप से जांच शुरू की। तकनीकी जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया कि वायरल किए गए सभी ऑडियो क्लिप्स एआई तकनीक के माध्यम से तैयार किए गए थे और इनमें दर्शाई गई आवाज व बातचीत पूरी तरह फर्जी थी। जांच में एक किशोर की संलिप्तता उजागर हुई जिसे पुलिस ने हिरासत में लिया।

पुलिस पूछताछ में यह भी सामने आया कि किशोर ने किसी अन्य के बहकावे में आकर यह कृत्य किया था। मामले की वास्तविकता स्पष्ट होने के बाद समाजसेवी बीरेंद्र सिंह ने सामाजिक सौहार्द और किशोर के भविष्य को ध्यान में रखते हुए आपसी समझ से शिकायत वापस ले ली। इसके साथ ही पुलिस की मौजूदगी में सभी आपत्तिजनक ऑडियो क्लिप्स को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से डिलीट कराया गया।

मामला शांत होने के पश्चात भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए आरोपी किशोर ने नोटरी के समक्ष शपथ पत्र प्रस्तुत कर सार्वजनिक रूप से क्षमा याचना की। हलफनामे में किशोर ने स्वीकार किया कि उसने इंस्टाग्राम पर SARPANCH 41422 नामक फर्जी अकाउंट बनाकर एआई आधारित ऑडियो और चित्र प्रसारित किए थे। उसने यह भी स्पष्ट किया कि उक्त सामग्री पूरी तरह मनगढ़ंत बेबुनियाद और असत्य थी तथा संबंधित इंस्टाग्राम आईडी को स्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।

यह प्रकरण केवल एक व्यक्ति की छवि धूमिल करने का मामला नहीं है बल्कि यह समाज के सामने कहीं अधिक गंभीर प्रश्न खड़े करता है। आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म चाहे वह यूट्यूब हो व्हाट्सएप फेसबुक या इंस्टाग्रामतेजी से अफवाहों फर्जी कंटेंट और बदनामी के माध्यम बनते जा रहे हैं। एआई जैसी उन्नत तकनीक जहां विकास का साधन है, वहीं इसके दुरुपयोग से सामाजिक ताने-बाने को गहरी चोट पहुंचने का खतरा भी बढ़ गया है।

रीवा का यह मामला चेतावनी है कि यदि समय रहते सोशल मीडिया पर सख्त निगरानी प्रभावी कानूनों का क्रियान्वयन और जन-जागरूकता नहीं बढ़ाई गई तो भविष्य में ऐसे मामलों की संख्या और गंभीरता दोनों बढ़ सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों और किशोरों में सोशल मीडिया की बढ़ती लत डिजिटल साक्षरता की कमी और त्वरित प्रसिद्धि की चाह उन्हें गलत रास्ते पर धकेल रही है।

इस घटना ने प्रशासन अभिभावकों और समाज तीनों की जिम्मेदारी तय कर दी है कि तकनीक का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से हो और इसके दुरुपयोग पर समय रहते अंकुश लगाया जाए ताकि समाज में विश्वास और सौहार्द बना रह सके।

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