अंतर्राष्ट्रीय

भारत-अमेरिका संबंधों में नया अध्याय, जेडी वांस के साथ तुलसी गबार्ड और माइक वॉल्ट्ज भी आएंगे

अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस इस महीने भारत का दौरा करेंगे। उनके साथ राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गैबार्ड और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वॉल्ट्ज भी भारत आएंगे। सूत्रों के अनुसार, यह दौरा भारत-अमेरिका के रणनीतिक, व्यापारिक और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिहाज से बेहद अहम होने वाला है।

उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस इस महीने के अंत में दिल्ली पहुंचेंगे, जबकि तुलसी गैबार्ड और माइक वॉल्ट्ज 15 से 18 मार्च के बीच भारत में रहेंगे। इस दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच खुफिया सहयोग, व्यापारिक समझौतों और सुरक्षा साझेदारी को लेकर कई अहम चर्चाएं होंगी।

रायसीना डायलॉग में शामिल होंगे माइक वॉल्ट्ज

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वॉल्ट्ज के भारत दौरे के दौरान रायसीना डायलॉग में शामिल होने की संभावना है। रायसीना डायलॉग भारत का प्रमुख भू-राजनीतिक शिखर सम्मेलन है, जिसमें वैश्विक स्तर पर रणनीतिक और सुरक्षा से जुड़े विषयों पर चर्चा होती है। वॉल्ट्ज के इस सम्मेलन में भाग लेने से अमेरिका-भारत सुरक्षा सहयोग को लेकर महत्वपूर्ण संदेश दिया जाएगा।

एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार,

“भारत और अमेरिका कई क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करेंगे, इसलिए यह दौरा दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण रहेगा।”

भारत-अमेरिका के बीच बढ़ेगा खुफिया सहयोग

भारत और अमेरिका के बीच खुफिया जानकारी साझा करने की प्रक्रिया लगातार मजबूत हो रही है। तुलसी गैबार्ड, जो अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक हैं, के इस दौरे से रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने की उम्मीद की जा रही है।

सूत्रों के अनुसार,

“अमेरिका लगातार भारत को चीन और पाकिस्तान से जुड़ी खुफिया जानकारी साझा करता रहा है। इस दौरे से दोनों देशों के बीच यह सहयोग और बढ़ सकता है।”

इसके अलावा, अमेरिका इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (ISKP) और पाकिस्तान से जुड़े आतंकी संगठनों की जानकारी भी भारत के साथ साझा करता है। इस दौरे के दौरान इन मुद्दों पर गहन चर्चा की संभावना है।

नाटो बैठक में अमेरिका की अनुपस्थिति और भारत की बढ़ती अहमियत

हाल ही में पेरिस में आयोजित नाटो बैठक में अमेरिका अनुपस्थित रहा, जिससे उसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती अलग-थलग स्थिति सामने आई।

भारत-अमेरिका संबंधों में नया अध्याय, जेडी वांस के साथ तुलसी गबार्ड और माइक वॉल्ट्ज भी आएंगे

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ युद्ध को तेज करने के कारण अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के बीच तनाव बढ़ रहा है। इस पृष्ठभूमि में, अमेरिका अब भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।

एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार,

“अमेरिका को भारत की जरूरत है ताकि वह चीन के खिलाफ अपनी स्थिति मजबूत कर सके। इसलिए यह दौरा काफी महत्वपूर्ण है।”

भारत को अमेरिका के एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार के रूप में देखा जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद बढ़ी सक्रियता

यह दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा के बाद हो रहा है। इस दौरान पीएम मोदी ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अन्य अमेरिकी नेताओं के साथ प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की थी।

इन उच्च स्तरीय यात्राओं से यह संकेत मिलता है कि अमेरिका अब रक्षा, खुफिया और आर्थिक क्षेत्रों में भारत के साथ अपनी भागीदारी को और गहरा करना चाहता है।

इंडो-पैसिफिक सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग पर रहेगा फोकस

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) के अनुसार, इस यात्रा के दौरान इंडो-पैसिफिक सुरक्षा, व्यापार सहयोग और आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर खास ध्यान दिया जाएगा।

भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभर रहा है, और अमेरिका इस क्षेत्र में भारत की भूमिका को और मजबूत करना चाहता है।

एक अधिकारी ने बताया कि,

“भारत की वैश्विक गठबंधनों में बढ़ती भूमिका और अमेरिका के महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में इसकी स्थिति को इस बैठक से और मजबूती मिलेगी।”


भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों में संभावनाएं

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंध भी इस दौरे का एक अहम पहलू होगा। हाल के वर्षों में टैरिफ, टेक्नोलॉजी और निवेश से जुड़े कुछ मतभेद देखने को मिले हैं। लेकिन अमेरिका अब भारत के साथ मजबूत आर्थिक साझेदारी स्थापित करना चाहता है।

संभावित व्यापारिक समझौते:

  1. टेक्नोलॉजी और रक्षा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने पर चर्चा
  2. भारत-अमेरिका मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर वार्ता तेज करना
  3. सेमीकंडक्टर और चिप उत्पादन के लिए भारत में अमेरिकी कंपनियों का निवेश
  4. भारत में अमेरिकी रक्षा कंपनियों की मौजूदगी बढ़ाने के लिए रणनीतिक समझौते

यह दौरा दोनों देशों के बीच व्यापारिक सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।

चीन के खिलाफ अमेरिका-भारत की संयुक्त रणनीति

अमेरिका और भारत के बीच चीन के बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए भी सहयोग बढ़ रहा है। अमेरिका पहले से ही चीन की गतिविधियों पर भारत को महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी देता रहा है।

“चीन के खिलाफ रणनीतिक साझेदारी को लेकर यह दौरा बेहद महत्वपूर्ण रहेगा।”

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका भारत को चीन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में देख रहा है, और इसीलिए वह सुरक्षा और सैन्य सहयोग को और गहरा करने की कोशिश करेगा।

भारत-अमेरिका संबंधों में नया अध्याय

उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस, तुलसी गैबार्ड और माइक वॉल्ट्ज की यह यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों के लिए एक नया अध्याय साबित हो सकती है।

  1. सुरक्षा और खुफिया साझेदारी को बढ़ावा मिलेगा।
  2. चीन और पाकिस्तान से जुड़ी खुफिया जानकारी साझा करने की प्रक्रिया मजबूत होगी।
  3. इंडो-पैसिफिक में भारत की भूमिका को और विस्तार मिलेगा।
  4. व्यापार और रक्षा सहयोग के नए अवसर खुलेंगे।
  5. अमेरिका के वैश्विक रणनीतिक एजेंडे में भारत की अहमियत बढ़ेगी।

इस यात्रा के नतीजे भविष्य में भारत-अमेरिका के रिश्तों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद कर सकते हैं। अब देखना यह होगा कि इन बैठकों से क्या ठोस नतीजे निकलते हैं और भारत-अमेरिका संबंधों को किस दिशा में आगे बढ़ाया जाता है।

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