नीमच: सरपंच ने ठेकेदार को सौंपे अपने अधिकार, ₹500 के स्टांप पर लिखा – ‘जहां कहोगे, वहां साइन करूंगी’

मध्य प्रदेश के नीमच जिले के डाटा ग्राम पंचायत में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां की सरपंच कैलाशबाई कच्छावा ने अपने सरपंच पद को ठेकेदार को सौंप दिया है। यह सौदा ₹500 के स्टांप पेपर पर किया गया, जिसमें लिखा गया है कि सरपंच अपने सभी अधिकार ठेकेदार को सौंप रही हैं।
इस स्टांप में यह भी उल्लेख किया गया है कि महिला अपने कार्यों को पूरा करने में असमर्थ हैं, इसलिए वह अपने अधिकार ठेकेदार को दे रही हैं। यह संभवतः देश का पहला मामला है, जहां सरपंच का पद किसी संपत्ति की तरह हस्तांतरित किया गया है।
ठेकेदार के साथ हुआ अनुबंध
24 जनवरी को सरपंच कैलाशबाई कच्छावा ने उसी गांव के ठेकेदार सुरेश गरासिया के साथ एक अनुबंध किया, जिसमें सरपंच पद के सभी अधिकार ठेकेदार को सौंप दिए गए। हालांकि, इस मामले में नया मोड़ तब आया जब सरपंच के पति ने यह दावा किया कि यह अनुबंध धोखाधड़ी से कराया गया है।
सरपंच के पति ने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी पढ़ी-लिखी नहीं हैं। ठेकेदार ने पहले उन्हें नशे में धुत किया और फिर उनकी पत्नी से स्टांप पेपर पर हस्ताक्षर करवा लिए।
₹500 के स्टांप पर गवाहों के हस्ताक्षर भी मौजूद
इस ₹500 के स्टांप पेपर पर गांव के तीन गवाहों – सदाराम, मन्नालाल और सुरेश के हस्ताक्षर भी मौजूद हैं। इसके अलावा, सरपंच की मुहर और हस्ताक्षर भी इसमें दर्ज हैं।
इस अनुबंध में यह भी लिखा गया है कि अब से सुरेश गरासिया पंचायत के सभी सरकारी कार्यों की देखरेख करेंगे, जिनमें मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, वाटरशेड परियोजनाएं शामिल हैं।
अगर अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन हुआ, तो सरपंच को चार गुना हर्जाना भी देना होगा। हालांकि, अब दोनों पक्ष इस अनुबंध को मानने से इनकार कर रहे हैं।
सरपंच के पति ने लगाया धोखाधड़ी का आरोप
जब यह मामला सामने आया तो सरपंच के पति ने दावा किया कि यह अनुबंध ठगी से करवाया गया है। उनका कहना है कि ठेकेदार ने पहले उन्हें नशा कराया और फिर उनकी पत्नी से जबरन हस्ताक्षर करवा लिए।
इस मामले पर जिला पंचायत के सीईओ अमन वैष्णव ने कहा कि यह मामला संज्ञान में आया है। यदि ऐसा हुआ है तो सरपंच को पद से हटा दिया जाएगा।
ठेकेदार ने किया अनुबंध से इनकार
वहीं, इस मामले में ठेकेदार सुरेश गरासिया ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई अनुबंध नहीं किया है। उनका कहना है कि वह सात पंचायतों में ठेकेदारी का कार्य करते हैं, लेकिन इस तरह का कोई हस्तांतरण नहीं हुआ है।
हालांकि, स्टांप पेपर पर सरपंच के हस्ताक्षर और गवाहों की मौजूदगी इस बात का सबूत दे रही है कि कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर हुई है।
अनुबंध में लिखा – सरपंच ठेकेदार के अनुसार ही करेंगी हस्ताक्षर
इस अनुबंध में यह भी उल्लेख है कि सरपंच ठेकेदार के कहने पर हर दस्तावेज पर हस्ताक्षर करेंगी। इसमें यह भी लिखा गया है कि इस अनुबंध को कोई भी चुनौती नहीं देगा और अगर ऐसा हुआ तो पूरी जिम्मेदारी सरपंच की होगी।
अनुबंध के मुताबिक, जब तक कैलाशबाई सरपंच के पद पर हैं, तब तक यह अनुबंध वैध रहेगा। उन्होंने यह भी वादा किया है कि वह ठेकेदार के कहे अनुसार हमेशा कार्य करेंगी।
प्रशासन करेगा कड़ी कार्रवाई
जिला प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। सीईओ अमन वैष्णव का कहना है कि अगर यह अनुबंध सत्य पाया जाता है, तो सरपंच को पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
यह मामला पंचायत प्रशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। प्रशासन का कहना है कि पंचायत पद किसी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं होती और इसे बेचा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता।
क्या कहता है कानून?
भारतीय कानून के अनुसार, कोई भी निर्वाचित पदाधिकारी अपने अधिकार किसी अन्य को हस्तांतरित नहीं कर सकता। पंचायत अधिनियम के तहत:
- सरपंच केवल शासन द्वारा निर्धारित नियमों के तहत ही अपने कार्यों का निष्पादन कर सकता है।
- किसी भी बाहरी व्यक्ति को पंचायत के कार्यों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
- अगर कोई सरपंच अपने अधिकारों का दुरुपयोग करता है, तो उसे पद से हटाने की प्रक्रिया की जा सकती है।
इस मामले में, यदि यह अनुबंध वैध पाया जाता है, तो यह भारतीय कानूनों का उल्लंघन होगा और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
नीमच का यह मामला देश में पहला ऐसा मामला हो सकता है, जहां सरपंच पद को संपत्ति की तरह सौंप दिया गया हो। इस तरह के मामले लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर सकते हैं।
यह घटना दर्शाती है कि कैसे कुछ पंचायतों में ठेकेदारों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है और वे चुनाव जीतने वाले प्रतिनिधियों को भी अपने प्रभाव में ले रहे हैं।