छत्तीसगढ

नक्सली हमले ने छीना बेटी का हीरो… आखिरी बार बेटे का जन्मदिन मनाने आए थे आकाश राव

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों द्वारा बिछाए गए प्रेशर आईईडी बम की चपेट में आकर एएसपी आकाश राव गिरपुंजे शहीद हो गए। वह 11 जून को अपनी छह साल की बेटी का जन्मदिन मनाने अपने ससुराल जाने की तैयारी में थे। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। सोमवार सुबह सुकमा के कोन्टा इलाके में ड्यूटी के दौरान हुए धमाके में आकाश राव गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया लेकिन इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।

भाई ने बताया अंतिम बातचीत और अपनों से जुड़ी बातें

आकाश राव के छोटे भाई आदर्श गिरपुंजे ने बताया कि सोमवार सुबह 9:30 बजे उन्हें भाई के गनमैन का फोन आया और बताया गया कि बम ब्लास्ट में सर घायल हो गए हैं। उस वक्त आदर्श को अंदाजा नहीं था कि यह चोट जानलेवा साबित होगी। लेकिन आधे घंटे बाद फिर फोन आया और उन्हें बताया गया कि आकाश सर अब इस दुनिया में नहीं रहे। आदर्श ने बताया कि रविवार रात उनकी अंतिम बार भाई से बात हुई थी जिसमें उन्होंने कहा था कि वह बेटी का जन्मदिन मनाने भंडारा के पावनी गांव जरूर आएंगे।

सपनों की उड़ान भरने वाला बेटा, आम परिवार से था ताल्लुक

आकाश राव का परिवार बहुत ही साधारण था। उनके पिता गोविंद राव गिरपुंजे एक छोटा सा गैराज चलाते हैं। आकाश पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर थे। उन्होंने साल 2004 में सरकारी कॉलेज से बीकॉम किया और फिर सिविल सेवा की तैयारी में जुट गए। दिल्ली में रहकर उन्होंने कई बार यूपीएससी का प्री परीक्षा पास किया लेकिन मुख्य परीक्षा में सफलता नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की राज्य सेवा परीक्षा पास की और 2013 में डीएसपी बने।

शौर्य की मिसाल बन गए गिरपुंजे, सीएम ने दी श्रद्धांजलि

आकाश राव गिरपुंजे पिछले साल मार्च से सुकमा में एएसपी के पद पर तैनात थे। उन्होंने मोहला-मानपुर जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में तीन साल सेवा दी। कोन्टा क्षेत्र में उनके नेतृत्व में कई नए पुलिस कैंप खोले गए। वे कभी पीछे नहीं हटे और हर खतरे का बहादुरी से सामना किया। शहादत की खबर मिलते ही उनका पार्थिव शरीर रायपुर लाया गया और कुशालपुर स्थित उनके घर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी शहीद के घर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी और परिजनों से मुलाकात की। सीएम ने कहा कि गिरपुंजे जी का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और नक्सलियों को इसका जवाब मिलेगा।

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