MP News: बाग प्रिंट कला ने जापान में बटोरी सराहना, जानें नई उपलब्धि
मध्य प्रदेश के धार जिले का बाग, जो एक छोटे से गाँव के रूप में जाना जाता है, अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है। इस ऐतिहासिक गाँव से उत्पन्न बाग प्रिंट कला, जो पहले राज्य स्तर पर पहचान बना चुकी थी, अब विश्व स्तर पर भी सराही जा रही है। हाल ही में, जापान में आयोजित “इंडिया मेला-2024” में इस कला की एक नई उपलब्धि देखने को मिली है।
बाग प्रिंट कला का महत्व
बाग प्रिंट की विशेषता इसके जटिल पैटर्न और प्राकृतिक रंगों में है। यह न केवल एक कला है, बल्कि यह स्थानीय आदिवासी समुदाय की संस्कृति और परंपरा का भी प्रतीक है। बाग प्रिंट का यह हस्तशिल्प कई पीढ़ियों से चला आ रहा है और स्थानीय कारीगरों के लिए रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
जापान में बाग प्रिंट का प्रदर्शन
स्किल्ड आर्टिसन मोहम्मद यूसुफ खत्री ने जापान के विभिन्न शहरों जैसे ओसाका, क्योटो और साकाई में बाग प्रिंट का परिचय दिया। उन्होंने वर्कशॉप और प्रदर्शनी आयोजित की, जहाँ उन्होंने स्थानीय लोगों को बाग प्रिंट की बारीकियाँ सिखाईं और उन्हें खुद हैंडकेरchief बनाने का अवसर भी दिया।
जापानी लोगों की रुचि
जापानी लोगों ने बाग प्रिंट कला में गहरी रुचि दिखाई। उन्होंने न केवल इसकी सुंदरता की सराहना की, बल्कि इसके पीछे की परंपरा और कारीगरी में भी रुचि दिखाई। कई लोगों ने बाग प्रिंट के उत्पाद खरीदे और वर्कशॉप में भाग लिया।
भारत और मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर
जापान में बाग प्रिंट की सफलता मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक समृद्धि का एक जीवंत प्रमाण है। मोहम्मद यूसुफ खत्री का जापान दौरा केवल बाग प्रिंट हस्तशिल्प को वैश्विक मंच पर बढ़ावा देने के लिए नहीं था, बल्कि इसने भारत और मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को भी सम्मान दिलाया।
आधुनिक और पारंपरिक परिधान
खत्री ने जापान के भौगोलिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आधुनिक और पारंपरिक परिधान डिज़ाइन किए, जिन्हें जापान के लोगों ने अत्यधिक सराहा। इस तरह की पहलों ने बाग प्रिंट को न केवल एक कला रूप के रूप में स्थापित किया है, बल्कि यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा दे रहा है।
संस्कृति का आदान-प्रदान
यह प्रदर्शनी न केवल बाग प्रिंट को बढ़ावा दे रही है, बल्कि यह भारत और जापान के बीच सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूत कर रही है। इस प्रकार की गतिविधियाँ न केवल कारीगरों को प्रेरित करती हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति के प्रति जागरूकता भी बढ़ाती हैं।
बाग प्रिंट कला की इस उपलब्धि से यह स्पष्ट होता है कि यदि सही मंच मिले, तो भारतीय हस्तशिल्प को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा जा सकता है। मोहम्मद यूसुफ खत्री की मेहनत और प्रतिभा ने बाग प्रिंट को एक नई पहचान दिलाई है। यह न केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों का परिणाम है, बल्कि यह उन सभी कारीगरों के लिए एक प्रेरणा है जो अपनी कला और संस्कृति को बचाए रखना चाहते हैं।
भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करने वाले इस तरह के कार्यक्रम न केवल हमारी परंपराओं को सहेजते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल भी स्थापित करते हैं। बाग प्रिंट कला की सफलता एक महत्वपूर्ण कदम है, जो हमें यह सिखाती है कि हमारी संस्कृति की गहराई और समृद्धि को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने के लिए प्रयासरत रहना आवश्यक है।