‘One Nation-One Election’ पर MP CM मोहन यादव की प्रतिक्रिया: मोदी कैबिनेट के ऐतिहासिक निर्णय की सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्र सरकार द्वारा ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ (One Nation-One Election) के प्रस्ताव को 18 सितंबर 2024 को मंजूरी मिल गई है। इस निर्णय के बाद देश में लोकसभा की 543 सीटों और सभी राज्यों में 4,130 विधानसभा सीटों पर एक साथ चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया है। इस कदम पर राजनीतिक दलों से मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दी बधाई
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की सराहना की। उन्होंने लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में आज भारतीय लोकतंत्र ने ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है।” मुख्यमंत्री ने अपनी पोस्ट में कहा कि यह फैसला न केवल भारतीय लोकतांत्रिक मूल्यों और आदर्शों को और भी मजबूत करेगा, बल्कि यह हमारी संसदीय प्रणाली में एक ऐतिहासिक सुधार साबित होगा।
मोहन यादव ने आगे लिखा, “मध्य प्रदेश की सभी जनता की ओर से मैं ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ को मंजूरी देने के लिए केंद्र सरकार का हार्दिक स्वागत करता हूँ। यह निर्णय देश की प्रगति और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।”
संसदीय प्रणाली में सुधार
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने केंद्र सरकार की इस पहल को भारतीय संसदीय प्रणाली में एक बड़ा सुधार करार दिया। उन्होंने कहा, “यह पहल न केवल हमारे लोकतांत्रिक आदर्शों को मजबूती देगी, बल्कि यह हमारी संसदीय प्रणाली में सुधार लाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।” उनके अनुसार, एक साथ चुनाव कराने से न केवल समय की बचत होगी, बल्कि संसाधनों का बेहतर प्रबंधन भी संभव हो सकेगा। इसके अलावा, इससे चुनावी खर्चों में कमी आएगी और विकास कार्यों में रुकावटें भी नहीं आएंगी।
विकास कार्यों पर चुनाव का असर
मोहन यादव ने इस बात पर भी जोर दिया कि विभिन्न राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव होने से विकास कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा, “अलग-अलग समय पर चुनाव होने से विकास कार्य रुक जाते हैं। केंद्र और राज्य सरकारों को चुनावी प्रक्रिया में व्यस्त होना पड़ता है, जिससे विकास परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है।” उन्होंने उम्मीद जताई कि ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ के लागू होने से देश में विकास के रास्ते पर नए आयाम खुलेंगे और जनता के हित में तेजी से फैसले लिए जा सकेंगे।
बीजेपी के संकल्प पत्र का वादा पूरा हुआ
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ का प्रस्ताव भारतीय जनता पार्टी के संकल्प पत्र में किया गया एक महत्वपूर्ण वादा था, जिसे अब साकार करने की दिशा में कदम उठाया जा चुका है। उन्होंने कहा, “आज का दिन बीजेपी के लिए एक गर्व का दिन है, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने एक और बड़ा वादा पूरा किया है। यह निर्णय पार्टी की प्रतिबद्धता और जनता के प्रति उनकी जवाबदेही को दर्शाता है।”
समिति की सिफारिशों पर अमल
मोहन यादव ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में गठित समिति की भी सराहना की, जिसने ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ के विचार को आगे बढ़ाने की सिफारिश की थी। उन्होंने कहा, “पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इस निर्णय को मंजूरी देकर लोकतंत्र को और मजबूत किया है। यह कदम देश की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था को और पारदर्शी बनाने में मदद करेगा।”
आने वाले शीतकालीन सत्र में विधेयक की उम्मीद
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस बात की भी आशा जताई कि ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ का विधेयक आने वाले शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जाएगा और इसे जल्द ही कानूनी रूप दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को मंजूरी मिलेगी और हम इसे जल्द ही लागू होते देखेंगे। यह निर्णय भारतीय राजनीति में एक नई दिशा स्थापित करेगा और जनता के हित में एक बड़ा कदम साबित होगा।”
‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ का संभावित असर
इस पहल के समर्थकों का मानना है कि ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ से चुनाव प्रक्रिया में कई फायदे होंगे। जैसे:
- चुनावी खर्चों में कमी: बार-बार चुनाव होने से सरकारों और राजनीतिक दलों पर भारी खर्च आता है। एक साथ चुनाव कराने से यह खर्च काफी कम होगा।
- सरकारी कार्यों में बाधा कम होगी: चुनावी प्रक्रिया के दौरान आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है, जिससे सरकारी कार्य रुक जाते हैं। एक बार चुनाव समाप्त हो जाने पर सरकारें बिना किसी बाधा के अपने कार्यों को जारी रख सकेंगी।
- संसाधनों का बेहतर प्रबंधन: सुरक्षा बलों और चुनाव आयोग के संसाधनों का भी बेहतर उपयोग हो सकेगा।
- चुनावी जनादेश का स्पष्ट संकेत: एक साथ चुनाव कराने से देश में स्थिरता और स्पष्ट जनादेश प्राप्त होगा, जिससे सरकारें मजबूत होकर कार्य कर सकेंगी।