मोदी कैबिनेट ने ‘One Nation One Election’ प्रस्ताव को मंजूरी दी, लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना हुआ आसान
भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का मार्ग अब अधिक सुसंगठित और सरल हो गया है। आज मोदी कैबिनेट ने ‘One Nation, One Election‘ प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह प्रस्ताव पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर स्वीकृत किया गया है। इस महत्वपूर्ण कदम के बाद, NDA सरकार इस प्रस्ताव को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करेगी।
‘One Nation, One Election’ का महत्व
‘One Nation, One Election’ की अवधारणा का उद्देश्य देश के चुनावी तंत्र को अधिक सुव्यवस्थित और प्रभावी बनाना है। इस प्रस्ताव के अनुसार, लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक ही समय पर कराए जाएंगे, जिससे चुनावी प्रक्रिया की बार-बारता और संबंधित खर्चों में कमी आएगी। इस कदम से न केवल प्रशासनिक सुगमता बढ़ेगी, बल्कि यह देश की प्रगति में भी योगदान देगा, जो बार-बार के चुनावों के कारण बाधित होती रहती है।
मोदी सरकार की प्रतिबद्धता
मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल में ही ‘One Nation, One Election’ के विचार को गंभीरता से लिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विषय पर कई बार भाषण दिए और चुनावी रैलियों में भी इसका उल्लेख किया। हाल ही में, NDA सरकार के 100 दिन पूरे होने पर गृह मंत्री अमित शाह ने इस संकल्प को फिर से दोहराया। यह स्पष्ट करता है कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और इसे जल्द से जल्द लागू करने की दिशा में काम कर रही है।
लाल किले से पीएम मोदी का संदेश
15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने भाषण में ‘One Nation, One Election’ का उल्लेख किया था। उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनावों के कारण देश की प्रगति में रुकावटें आती हैं। उनके अनुसार, इस प्रस्ताव को लागू करने से यह समस्या समाप्त होगी और देश की समग्र प्रगति में योगदान मिलेगा।
कोविंद समिति की रिपोर्ट
‘One Nation, One Election’ के लिए गठित समिति की रिपोर्ट कोविंद समिति की अध्यक्षता में तैयार की गई थी। यह रिपोर्ट 18,626 पृष्ठों की है और इसे 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा गया था। समिति ने चुनावों के आयोजन को एक साथ कराने के लिए विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत अध्ययन किया और अपने निष्कर्ष पेश किए। रिपोर्ट में सुझाव दिए गए हैं कि कैसे चुनावी प्रक्रिया को एक साथ संचालित किया जा सकता है और इससे जुड़े कानूनी और प्रशासनिक पहलुओं पर विचार किया गया है।
संसद में प्रस्ताव
अब, इस प्रस्ताव को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। सरकार इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए आवश्यक विधायी कदम उठाएगी। इस प्रस्ताव की स्वीकृति से चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया जाएगा, जो लंबे समय से आवश्यक था।