छत्तीसगढ

भारत-पाक तनाव के बीच कल देशभर में मॉक ड्रिल की तैयारी, छत्तीसगढ़ के सिर्फ एक जिले दुर्ग को किया गया चयनित

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के माहौल के बीच केंद्र सरकार ने देश के 244 जिलों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल कराने का निर्णय लिया है। यह मॉक ड्रिल बुधवार को आयोजित की जाएगी और इसका उद्देश्य युद्ध जैसी स्थिति में लोगों को बचाव के तरीके सिखाना है। देशभर में इस अभ्यास के लिए तैयारियां तेज़ कर दी गई हैं। कई जगहों पर सायरन बजाकर पहले से ही चेतावनी प्रणाली की जांच की जा रही है ताकि कल के अभ्यास में किसी प्रकार की समस्या न आए।

छत्तीसगढ़ के किस जिले में होगा अभ्यास

पूरे देश के 244 जिलों में हो रही इस मॉक ड्रिल में छत्तीसगढ़ से केवल एक जिले को शामिल किया गया है। यह जिला है दुर्ग (भिलाई)। दुर्ग को इस अभ्यास के लिए दूसरी श्रेणी यानी कैटेगरी 2 में रखा गया है। प्रशासन की ओर से आवश्यक निर्देश जारी कर दिए गए हैं और स्थानीय स्तर पर सुरक्षा और बचाव दलों को सतर्क कर दिया गया है। भिलाई में अभ्यास के दौरान सायरन बजेंगे और ब्लैकआउट की स्थिति बनाई जाएगी। साथ ही लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का अभ्यास भी किया जाएगा।

भारत-पाक तनाव के बीच कल देशभर में मॉक ड्रिल की तैयारी, छत्तीसगढ़ के सिर्फ एक जिले दुर्ग को किया गया चयनित

कई राज्यों में युद्ध जैसी तैयारियों की जांच

मुंबई के डैडर स्थित एंटनी डी’सिल्वा हाई स्कूल में सबसे पहले सायरन बजाकर तैयारी की जांच की गई। कुछ समय तक वहां युद्ध जैसी स्थिति का माहौल बनाकर सभी व्यवस्थाओं की परख की गई। इसी तरह जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से लेकर गुजरात, उत्तर प्रदेश और पंजाब तक कई राज्यों में कल के मॉक ड्रिल से पहले सभी सुरक्षा उपकरणों और प्रक्रिया की जांच की जा रही है। इस दौरान सायरन की आवाजें सुनाई देंगी और बिजली बंद कर ब्लैकआउट की स्थिति भी उत्पन्न की जाएगी ताकि लोगों को वास्तविक परिस्थितियों से अवगत कराया जा सके।

1971 युद्ध से पहले भी हुई थी ऐसी तैयारी

यह पहली बार नहीं है जब देश में युद्ध की स्थिति को ध्यान में रखते हुए मॉक ड्रिल की जा रही है। इससे पहले 1971 में भारत-पाक युद्ध से पहले भी देशभर में ऐसा अभ्यास किया गया था। उस समय भी शहरों में सायरन बजाए गए थे, लोगों को अंधेरे में रहने की सलाह दी गई थी और सुरक्षा को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। ऐसे अभ्यासों का उद्देश्य यह होता है कि आम नागरिकों को किसी भी आपात स्थिति में घबराए बिना सुरक्षित तरीके से प्रतिक्रिया देना सिखाया जाए। यह ड्रिल न सिर्फ तैयारी की जांच है बल्कि एक संदेश भी है कि देश किसी भी आपात परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार है।

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