मनरेगा का नाम बदला, अब पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना; काम के दिन 100 से बढ़ाकर 125 करने को कैबिनेट की मंजूरी

नई दिल्ली। ग्रामीण रोजगार से जुड़ी देश की सबसे बड़ी योजना महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट (MGNREGA) को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। शुक्रवार को हुई मोदी कैबिनेट की बैठक में इस अधिनियम का नाम बदलकर पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना करने और इसके तहत मिलने वाले रोजगार के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 दिन करने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इस फैसले से ग्रामीण परिवारों को अतिरिक्त रोजगार के अवसर मिलेंगे और उनकी आय सुरक्षा को मजबूती मिलेगी।
अब तक यह योजना मनरेगा या नरेगा के नाम से जानी जाती रही है। योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को न्यूनतम आय की गारंटी देना और बेरोजगारी के समय आजीविका का सहारा उपलब्ध कराना है। इसके तहत हर वित्तीय वर्ष में प्रत्येक ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को बिना किसी विशेष कौशल के मजदूरी आधारित काम उपलब्ध कराया जाता है। सरकार का दावा है कि काम के दिनों को बढ़ाकर 125 करने से महंगाई और मौसमी बेरोजगारी के दबाव को कम किया जा सकेगा।
कैबिनेट के फैसले के मुताबिक नाम परिवर्तन और काम के दिनों में वृद्धि से जुड़े प्रावधानों को संसद में पेश किए जाने वाले बिल के जरिए लागू किया जाएगा। इसके बाद राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे ताकि जमीनी स्तर पर नई व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके। सरकार के अनुसार यह बदलाव ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने पलायन रोकने और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन को बढ़ावा देने में मददगार होगा।
हालांकि इस फैसले को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तेज हो गई है। वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने योजना का नाम बदलने पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें इस फैसले के पीछे का तर्क समझ नहीं आता। उन्होंने कहा कि यह महात्मा गांधी का नाम है और जब इसे बदला जाता है तो सरकारी संसाधनों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। ऑफिस की फाइलों से लेकर स्टेशनरी तक सब कुछ बदलना पड़ता है जिससे अनावश्यक खर्च होता है। प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार को नाम बदलने के बजाय योजना के प्रभावी क्रियान्वयन और मजदूरी समय पर भुगतान पर ध्यान देना चाहिए।
कांग्रेस पार्टी ने भी इस फैसले को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करते हुए कहा कि मोदी सरकार अब तक कांग्रेस सरकार की करीब 32 योजनाओं के नाम बदल चुकी है। उन्होंने कहा कि जिस मनरेगा को कभी कांग्रेस की विफलताओं का प्रतीक बताया जाता था वही योजना आज ग्रामीण भारत के लिए संजीवनी साबित हुई है। सुप्रिया श्रीनेत के मुताबिक, मनरेगा ने लाखों गरीब परिवारों को संकट के समय सहारा दिया है और इसे कमजोर करने या केवल नाम बदलने से जमीनी हकीकत नहीं बदलती।
गौरतलब है कि मनरेगा को वर्ष 2005 में लागू किया गया था। यह कानून ग्रामीण परिवारों को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों के मजदूरी वाले रोजगार की गारंटी देता है। इस योजना के तहत सड़क, तालाब, जल संरक्षण, भूमि सुधार और अन्य सामुदायिक कार्य कराए जाते हैं। मजदूरी का भुगतान सीधे बैंक खातों में किया जाता है, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है।
सरकार का कहना है कि नाम बदलने और काम के दिनों में वृद्धि से योजना की पहुंच और प्रभाव दोनों बढ़ेंगे। वहीं विपक्ष का आरोप है कि सरकार प्रतीकात्मक बदलावों में उलझी है और मूल समस्याओं पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रही। अब सबकी नजर संसद में पेश होने वाले बिल और उसके बाद होने वाली बहस पर टिकी है जिससे यह साफ होगा कि यह बदलाव ग्रामीण भारत के लिए कितना लाभकारी साबित होता है।





