संभल में मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा की जांच करने पहुंचे न्यायिक आयोग के सदस्य
उत्तर प्रदेश के सम्भल जिले में 24 नवम्बर को मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित 3 सदस्यीय न्यायिक आयोग की टीम आज (रविवार) सम्भल पहुंचने वाली है। इस आयोग के दो सदस्य शनिवार को मुरादाबाद पहुंच चुके थे और रविवार को वे सम्भल में अपनी जांच शुरू करेंगे। आयोग की टीम करीब 11 बजे सम्भल पहुंचेगी और हिंसा की घटनाओं की जांच करेगी। यह आयोग चार अहम बिंदुओं पर जांच करेगा, जिनमें हिंसा की साजिश, पुलिस सुरक्षा व्यवस्था की जांच, हिंसा के कारण और भविष्य में ऐसे घटनाओं को रोकने के उपाय शामिल हैं।
न्यायिक आयोग की टीम जांच करेगी इन बिंदुओं पर
- क्या हिंसा किसी साजिश का हिस्सा थी? आयोग इस बात की जांच करेगा कि क्या यह हिंसा पहले से सोची-समझी साजिश का परिणाम थी या यह अचानक हुई घटना थी।
- क्या पुलिस सुरक्षा व्यवस्था सही थी? आयोग यह भी जांचेगा कि हिंसा के दौरान पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था कितनी कारगर थी और क्या पुलिस ने समय रहते कदम उठाए थे।
- हिंसा के कारण और परिस्थितियाँ क्या थीं? आयोग यह देखेगा कि हिंसा के दौरान क्या कारण और परिस्थितियाँ रही थीं, जिनकी वजह से यह घटना घटी। इसमें मौके की स्थिति, हिंसा में शामिल लोगों का व्यवहार और पुलिस की भूमिका की भी जांच की जाएगी।
- भविष्य में ऐसी घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है? इसके अलावा आयोग यह भी सुझाएगा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं, ताकि ऐसी हिंसा की पुनरावृत्ति न हो।
विभाजन आयुक्त ने दी सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी
मुरादाबाद के विभाजन आयुक्त अंजनेय कुमार सिंह ने बताया, “शनिवार को आयोग के दो सदस्य मुरादाबाद पहुंचे थे। तीसरे सदस्य रविवार को उन से मिलेंगे और सम्भल में अपनी जांच शुरू करेंगे।” अंजनेय कुमार सिंह ने कहा, “जांच समिति अपना काम करेगी, और वही तय करेगी कि क्या कदम उठाए जाएंगे। हम सिर्फ उनकी मदद करेंगे। जहां भी वे जाएंगे, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। हम उनकी जांच के अनुसार आगे की व्यवस्था करेंगे और सम्भल में स्थिति पर नजर रखी जा रही है।”
दो महीने के अंदर जांच पूरी करने के निर्देश
उत्तर प्रदेश सरकार ने 28 नवम्बर को सम्भल हिंसा की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया था और आयोग को निर्देश दिया है कि वह जांच की प्रक्रिया को दो महीने के भीतर पूरा करे। सम्भल के कोट गरवी क्षेत्र में हुए इस हिंसक संघर्ष में चार लोगों की जान चली गई थी, जबकि करीब 25 लोग, जिनमें कई पुलिसकर्मी भी शामिल थे, घायल हो गए थे। यह हिंसा उस समय हुई थी, जब अदालत के आदेश पर सम्भल की शाही जामा मस्जिद का सर्वे किया जा रहा था।
न्यायिक आयोग के सदस्य और उनकी जिम्मेदारी
सम्भल हिंसा की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग के अध्यक्ष इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार अरोड़ा हैं। इसके अलावा आयोग में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अरविंद कुमार जैन भी शामिल हैं। यह आयोग जांच करेगा कि यह हिंसा कोई अचानक घटित हुई घटना थी या फिर यह एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा था। इसके साथ ही आयोग यह भी तय करेगा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से कैसे निपटा जा सकता है।
हिंसा के बाद की स्थिति
सम्भल में हुई इस हिंसा के बाद, स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। साथ ही, जांच प्रक्रिया में सहयोग देने के लिए स्थानीय प्रशासन ने भी अपनी पूरी तैयारी कर ली है। लोगों की सुरक्षा और शांति सुनिश्चित करने के लिए सम्भल में कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
सम्भल में हुई हिंसा ने न केवल इलाके में बल्कि पूरे राज्य में एक हलचल मचा दी है। इस हिंसा की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग का काम अब यह तय करेगा कि हिंसा के पीछे कौन सी वजहें थीं और क्या इसे पहले से साजिश के तहत अंजाम दिया गया था। आयोग की जांच के बाद यह भी तय होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है और इसके लिए क्या सुरक्षा उपाय किए जा सकते हैं। राज्य सरकार ने अपनी तरफ से आयोग को हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है, ताकि इस जांच को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से पूरा किया जा सके।