मायावती ने यूपी में गठबंधन पर बदली राय, भविष्य में किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करने का किया ऐलान
उत्तर प्रदेश की विधानसभा चुनावों में अभी दो साल का समय बाकी है, लेकिन बहुजन समाज पार्टी (BSP) की नेता मायावती ने गठबंधन के संबंध में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर मायावती ने संकेत दिया कि हरियाणा के चुनावों में उनके और उनकी पार्टी के लिए गठबंधन सफल नहीं रहा। उन्होंने स्पष्ट रूप से यह संदेश भी दिया कि भविष्य में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया जाएगा।
मायावती का गठबंधन के प्रति नजरिया
मायावती का यह नया रुख इस बात की ओर संकेत करता है कि वे अपने पार्टी समर्थकों के साथ संबंध मजबूत करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि BSP के वोट एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित हो जाते हैं, लेकिन अन्य पार्टियों के समर्थक BSP के लिए वोट नहीं देते। उनका यह बयान यह स्पष्ट करता है कि अब BSP यूपी में किसी भी क्षेत्रीय पार्टी के साथ गठबंधन नहीं बनाएगी।
मायावती ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि भले ही अन्य राज्यों के चुनावों में BSP के वोट गठबंधन पार्टी को मिल जाएं, लेकिन यह भी जरूरी है कि वे अपने कार्यकर्ताओं को निराशा और आंदोलन की हानि से बचाएं। उन्होंने इस मुद्दे पर जोर देते हुए कहा कि पिछले चुनावों में अपेक्षित परिणाम न मिलने से पार्टी के कार्यकर्ता हतोत्साहित हो सकते हैं।
गठबंधन से दूरी बनाने का निर्णय
हरियाणा विधानसभा चुनावों के परिणाम और इससे पहले पंजाब चुनावों के bitter अनुभवों को ध्यान में रखते हुए, BSP ने यह निर्णय लिया है कि अब वे किसी भी क्षेत्रीय पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगी। मायावती ने कहा कि बीजेपी/NDA और कांग्रेस/इंडिया गठबंधन से दूरी बनाए रखने की नीति को भी आगे बढ़ाया जाएगा।
BSP प्रमुख ने यह भी कहा कि देश की एकमात्र प्रतिष्ठित अंबेडकरवादी पार्टी BSP को कमजोर करने के लिए चारों ओर जातिवादी प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस क्रम में पार्टी को फिर से एक सशक्त राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरने की आवश्यकता है।
BSP का उद्देश्य और राजनीतिक शक्ति
मायावती ने स्पष्ट किया कि BSP का उद्देश्य विभिन्न पार्टियों और संगठनों के नेताओं को एकजुट करना नहीं है, बल्कि ‘बहुजन समाज’ के विभिन्न हिस्सों को आपसी भाईचारे और सहयोग के आधार पर एकजुट करना है। उनका मानना है कि इससे एक राजनीतिक शक्ति बनेगी जो समाज के लिए लाभकारी होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि ध्यान भटकाने की कोशिशें बेहद हानिकारक हो सकती हैं। BSP का मुख्य लक्ष्य बहुजन समाज की आवाज को उठाना और उन्हें राजनीतिक रूप से सशक्त बनाना है।