स्थानीय निधि लेखा परीक्षा कार्यालय में 6.75 करोड़ रुपये का बड़ा गबन: क्लर्क समेत पांच आरोपी

वित्तीय धोखाधड़ी के एक चौंकाने वाले मामले में, संदीप शर्मा नामक एक क्लर्क ने स्थानीय निधि लेखा परीक्षा के क्षेत्रीय कार्यालय से 6.75 करोड़ रुपये का गबन किया । अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सरकारी धन को निजी बैंक खातों में जमा कर लिया ।
धोखाधड़ी कैसे की गई?
संदीप शर्मा स्थानीय निधि लेखा परीक्षा क्षेत्रीय कार्यालय में पेरोल जनरेशन और कर्मचारी बिल प्रसंस्करण के लिए जिम्मेदार थे । एडवा को लेकर वित्तीय रिकॉर्ड में हेराफेरी की गई और सरकार को हस्तांतरित किया गया। धोखाधड़ी को कई तरीकों से अंजाम दिया गया ।
- बीमा और परिवार कल्याण योजना के अभिलेखों में हेराफेरी कर धोखाधड़ी से धन निकालना।
- गैर-सरकारी कर्मचारियों को मृत घोषित करना तथा धन हस्तांतरण के लिए फर्जी नामांकित व्यक्ति बनाना।
- फर्जी लेनदेन करने के लिए हस्ताक्षर और कर्मचारी कोड की जालसाजी करना ।
- ज्ञात सहयोगियों को अनुचित वित्तीय लाभ प्रदान करने के लिए महंगाई भत्ते (डीए) के बकाया की गणना में हेरफेर करना ।
आरोपियों में से एक, अनूप कुमार बौरिया , संदीप शर्मा का करीबी सहयोगी था। उसका वास्तविक डीए बकाया ₹28,008 था , लेकिन फर्जी सिस्टम प्रविष्टियों ने इस राशि को बढ़ाकर ₹2,53,008 कर दिया , जिसे अवैध रूप से उसके खाते में ट्रांसफर कर दिया गया।
सरकारी धन का दुरुपयोग और वेतन मुद्रास्फीति
जांच में पता चला कि संदीप शर्मा ने अपने वेतन को वैध राशि से कई गुना बढ़ाने के लिए वेतन रिकॉर्ड में हेराफेरी की । उनका वास्तविक वेतन ₹32,000 से ₹34,000 के बीच था , लेकिन उन्होंने हर महीने बहुत अधिक राशि निकालने के लिए पेरोल सॉफ़्टवेयर में बदलाव किया ।
- वेतन वृद्धि के माध्यम से कुल ₹56.58 लाख की धोखाधड़ी की गई।
- उनके पक्ष में 95.23 लाख रुपये का अनधिकृत भुगतान भी पाया गया।
- उन्होंने प्रतीक शर्मा नाम से एक फर्जी कर्मचारी प्रोफाइल बनाई , एक फर्जी पैन नंबर बनाया और एक अलग बैंक खाते में 10.73 लाख रुपये स्थानांतरित कर दिए , जिसे उन्होंने बाद में निकाल लिया।
इसके अलावा, शर्मा ने अर्जित अवकाश नकदीकरण और समूह बीमा योजना निधि से 4.69 करोड़ रुपये अपने और अपने रिश्तेदारों के खातों में स्थानांतरित कर दिए। इसके अलावा, परिवार कल्याण निधि से 57.87 लाख रुपये अवैध रूप से निकाले गए ।
मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इस्तेमाल किए गए बैंक खाते
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि सरकारी धन को आरोपी के सहयोगियों और रिश्तेदारों के कई निजी बैंक खातों में स्थानांतरित किया गया था । धोखाधड़ी से भुगतान प्राप्त करने वाले कई खाताधारकों के नाम इस प्रकार हैं:
अनिकेत विश्वकर्मा, प्रतीक शर्मा, पुनीता, प्रियांशु शर्मा, शेरोन अर्पित हैरिसन, शालोम विवियन गिल, आशीष विश्वकर्मा, मोहम्मद रियाज, कविता शर्मा, स्वाति शर्मा, दिलीप कुमार विश्वकर्मा, रुखसार परवीन, शिवम शर्मा, मोहम्मद सलीम, मोहम्मद शारिक, मोहम्मद उबैदुल्लाह, पुष्पा देवी शर्मा, शुभम शर्मा, विनय कुमार, काशिफ आजमी, अनीशा शर्मा, दत्ताराय सरवन, पूनम शर्मा, केके शर्मा, श्वेता शर्मा, कृतिका, विकास कुमार, अनीता, आकांक्षा, सुष्मिता सरवन, अनिल कुमार मिश्रा, अनिल कुमार मरावी, जया पासी और मेनुका।
पुलिस फिलहाल इन बैंक खातों पर नज़र रख रही है और इनसे जुड़े लोगों के बारे में जानकारी जुटा रही है। गबन की गई रकम को वापस पाने और सभी आरोपियों को न्याय के कठघरे में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं ।
कानूनी कार्रवाई और चल रही जांच
ओमती पुलिस स्टेशन में संदीप शर्मा और चार अन्य के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है , जिनमें शामिल हैं:
- मनोज बरहैया (स्थानीय निधि लेखा परीक्षा निदेशालय में भोपाल स्थित अधिकारी)
- सीमा अमित तिवारी
- Priya Vishnoi
- Anup Kumar
फिलहाल सभी फरार हैं । पुलिस टीमें उनकी तलाश कर रही हैं और गबन की गई रकम बरामद करने की कोशिश कर रही हैं ।
पुलिस अधीक्षक (एसपी) मनोज कुमार राय ने पुष्टि की कि इस धोखाधड़ी में सरकारी वित्तीय रिकॉर्ड में व्यवस्थित हेरफेर शामिल है । सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी, और आगे की जांच से पता चलेगा कि क्या घोटाले में और अधिकारी शामिल थे ।
इस मामले ने सरकारी कार्यालयों में वित्तीय पारदर्शिता के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं तथा भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी गतिविधियों को रोकने के लिए सख्त लेखा परीक्षा तंत्र की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है ।