Maha Kumbh: ‘हर-हर महादेव, जय श्रीराम’ के जयघोष के साथ श्रद्धालुओं ने लगाई पवित्र डुबकी
Maha Kumbh: महाकुंभ 2025 ने आस्था, भक्ति और सांस्कृतिक एकता का अद्भुत नज़ारा पेश किया। हर 144 साल में एक बार होने वाले इस महाकुंभ में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचे हैं। इस पवित्र आयोजन में भक्तों ने न केवल पूजा-अर्चना और ध्यान किया, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का अद्वितीय अनुभव भी लिया।
स्थायी और अस्थायी घाटों पर भारी भीड़
संगम नोज सहित स्थायी और अस्थायी घाटों पर भक्तों का तांता लगा हुआ है। कई श्रद्धालु दिव्य माहौल से भावुक होकर अपने आंसू पोंछते दिखे। वहीं, कुछ लोग प्रार्थना और अनुष्ठानों में लीन थे। उत्तर प्रदेश सरकार की उम्मीदों से अधिक भक्तों की संख्या ने संकेत दिया कि 45 दिन चलने वाला यह महाकुंभ अब तक का सबसे भव्य आयोजन होगा।
इस बार का महाकुंभ पहले से बड़ा
पहले ही दिन की भीड़ से यह साफ हो गया कि इस साल का आयोजन पहले से बड़ा होगा। पौष पूर्णिमा के अवसर पर कल्पवासियों ने ‘मोक्षदायिनी’ संगम में स्नान किया और अपनी 45 दिन की साधना शुरू की।
कल्पवासियों की कठोर साधना
कल्पवासी महाकुंभ के दौरान ब्रह्मचर्य, सादगी और नियमित प्रार्थना का कठोर पालन करते हैं। इस बार पौष पूर्णिमा सोमवार को पड़ने से इसकी धार्मिक महत्ता और बढ़ गई।
हर-हर महादेव और जय श्री राम के गूंजते जयकारे
संगम नोज सहित सभी प्रमुख घाटों पर श्रद्धालु ‘हर-हर महादेव’, ‘जय श्री राम’ और ‘जय बजरंग बली’ के जयकारे लगाते दिखे। बिहार, हरियाणा, बंगाल, ओडिशा, दिल्ली, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे।
विदेशी पर्यटकों को भी भाया महाकुंभ का आकर्षण
महाकुंभ का भव्य आयोजन भारतीय भक्तों के साथ-साथ विदेशी पर्यटकों को भी मंत्रमुग्ध कर रहा है। दक्षिण कोरिया के यूट्यूबर्स इस दिव्य अनुभव को अपने कैमरों में कैद करते दिखे। जापान से आए पर्यटक स्थानीय गाइडों से आयोजन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व समझने की कोशिश कर रहे थे।
विदेशी श्रद्धालुओं ने भी लिया डुबकी का आशीर्वाद
स्पेन से आई क्रिस्टीना ने इस भव्य आयोजन को “एक बार के जीवनकाल का अनुभव” बताया। रूस, अमेरिका और यूरोप के कई देशों से आए श्रद्धालु न केवल महाकुंभ देखने, बल्कि उसमें हिस्सा लेने और डुबकी लगाने पहुंचे।
बाजारों में भी दिखी महाकुंभ की चहल-पहल
संगम मेले के पास के बाजार और लेटे हनुमान मंदिर के आसपास भी रौनक देखी गई। पूजा सामग्री बेचने वाले और तिलक कलाकार भक्तों की भीड़ संभालने में व्यस्त थे।
महाकुंभ 2025 ने आस्था, भक्ति और सांस्कृतिक गौरव का अनोखा संगम पेश किया है। यह आयोजन न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक यादगार अनुभव बन गया है।