उत्तर प्रदेश

Maha Kumbh 2025: लाखों की भीड़ में बिछड़ने के डर से भक्त अपना रहे अनोखे तरीके

Maha Kumbh 2025 में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे हैं। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर कुंभ का अंतिम स्नान होने जा रहा है और इसी के साथ 45 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का समापन होगा। भक्तों की भारी भीड़ के बीच कई परिवार और समूह अपने साथियों से बिछड़ने के डर से अनोखे तरीके अपना रहे हैं, ताकि संगम स्नान के दौरान वे एक-दूसरे से अलग न हो जाएं।

65.37 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

बुधवार को महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर महाकुंभ का अंतिम स्नान ‘हर हर महादेव’ के जयघोष के साथ प्रारंभ हुआ। सुबह से ही श्रद्धालु गंगा और संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए उमड़ पड़े। सरकार ने इस विशेष अवसर पर हेलीकॉप्टर से श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा की।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बुधवार सुबह 8 बजे तक 60 लाख से अधिक श्रद्धालु पवित्र गंगा और संगम में स्नान कर चुके थे। इस तरह, 13 जनवरी से प्रारंभ हुए महाकुंभ में अब तक कुल 65.37 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पवित्र स्नान कर चुके हैं, और यह संख्या बुधवार शाम तक 66 करोड़ के पार पहुंचने की संभावना है।

Maha Kumbh 2025: लाखों की भीड़ में बिछड़ने के डर से भक्त अपना रहे अनोखे तरीके

लोग बिछड़ने से बचने के लिए बना रहे ‘सुरक्षा घेरा’

महाकुंभ के दौरान संगम जाने और वहां से लौटते समय अपार भीड़ के कारण लोग अपने परिवार और साथियों से बिछड़ने के डर से सतर्कता बरत रहे हैं। कई भक्त लंबी रस्सियां लेकर आए हैं और उन्होंने एक ‘सुरक्षा घेरा’ बना लिया है, जिसमें वे एक-दूसरे का हाथ पकड़कर चलते हैं।

मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा से आए 34 श्रद्धालुओं के समूह ने रस्सी से घेरा बनाकर यात्रा की, ताकि वे कुंभ के विशाल मेले में एक-दूसरे से अलग न हो जाएं। समूह के सदस्य 34 वर्षीय सोमदत्त शर्मा ने बताया, “हम कुंभ में पहली बार आए हैं और हमें पता है कि यहां भारी भीड़ में एक-दूसरे से बिछड़ने का खतरा बना रहता है। इसलिए हमने यह व्यवस्था की है, ताकि हम सब साथ रहें।”

कपड़ों की गांठ बांधकर चल रहे हैं कई श्रद्धालु

इसके अलावा, कई श्रद्धालु कपड़ों की गांठ बांधकर चल रहे हैं, ताकि वे आपस में जुड़े रहें। प्रयागराज के पीली कोठी क्षेत्र के निवासी अजय कुमार ने बताया, “गांवों से आए हुए तीर्थयात्री अक्सर एक-दूसरे के कपड़ों से गांठ बांधकर चलते हैं। पुरुष श्रद्धालु महिलाओं के साड़ी के पल्लू को अपनी धोती से बांध लेते हैं, या दो महिलाएं अपने शॉल को आपस में जोड़ लेती हैं।”

उन्होंने यह भी बताया कि कई बुजुर्ग तीर्थयात्री मोबाइल फोन नहीं रखते और उन्हें अपने परिवार वालों का नंबर याद भी नहीं रहता, ऐसे में अगर वे भीड़ में बिछड़ जाएं तो उन्हें ढूंढना बेहद मुश्किल हो जाता है। इसीलिए, इस तरह के सुरक्षा उपाय अपना रहे हैं।

घुंघरू बांधकर चल रहे कुछ भक्त

कुछ श्रद्धालु भीड़ में बिछड़ने से बचने के लिए अपने एक पैर में घुंघरू बांधकर चल रहे हैं, ताकि अगर कोई रास्ते में अलग हो जाए तो उसकी आवाज सुनकर साथी उसे पहचान सकें। श्रद्धालु अक्षत लाल ने बताया, “कुछ लोग अपने पैर में घुंघरू बांधकर चल रहे हैं, ताकि अगर वे भीड़ में खो जाएं तो उनकी आवाज सुनकर साथी उन्हें पहचान सकें।”

‘खोया-पाया’ केंद्र में रातभर भीड़

सोमवार रात से ही कुंभ मेला क्षेत्र में कई लोग अपने परिजनों से बिछड़ गए। प्रशासन ने ऐसे लोगों को उनके परिवार से मिलाने के लिए ‘खोया-पाया’ केंद्र स्थापित किए हैं। सेक्टर-3, अक्षय वट मार्ग पर स्थित इस केंद्र पर सोमवार रात 3 बजे तक भी काफी भीड़ देखी गई। कई तीर्थयात्रियों को डिजिटल तकनीक और मानव सहायता से उनके परिजनों से मिलाया गया।

सरकार की ओर से विशेष सुरक्षा व्यवस्था

प्रशासन ने इस वर्ष कुंभ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए कई विशेष कदम उठाए हैं। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किया गया है। पूरे कुंभ क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है, और विभिन्न स्थानों पर हेल्प डेस्क बनाए गए हैं, जहां से लोग अपने बिछड़े हुए परिजनों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने बताया: “हमारी टीम हर संभव प्रयास कर रही है कि कोई भी श्रद्धालु कुंभ में अपने परिवार से बिछड़े नहीं। अगर कोई बिछड़ भी जाता है तो उसे जल्द से जल्द उसके परिवार से मिलाने की व्यवस्था की गई है। हम श्रद्धालुओं से अपील कर रहे हैं कि वे अपने साथियों का हाथ पकड़कर चलें और बच्चों एवं बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें।”

श्रद्धालुओं का अनुभव: अद्भुत, लेकिन सतर्क रहने की जरूरत

महाकुंभ में पहली बार आए श्रद्धालुओं के लिए यह एक अविस्मरणीय अनुभव बन रहा है। हालांकि, वे इस बात को लेकर सतर्क भी हैं कि कुंभ के मेले में भीड़ के कारण अनहोनी हो सकती है।

राजस्थान से आए श्रद्धालु मोहनलाल गुप्ता ने बताया, “कुंभ का अनुभव अलौकिक है। इतनी भीड़ में भगवान शिव के जयकारे लगाते हुए संगम में स्नान करना बहुत सौभाग्य की बात है। लेकिन हमें परिवार के छोटे बच्चों और बुजुर्गों का ध्यान रखना पड़ता है, ताकि वे खो न जाएं।”

महाकुंभ 2025 का समापन: अगले 12 वर्षों तक रहेगा इंतजार

महाकुंभ का यह 45 दिवसीय महापर्व बुधवार को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ समाप्त हो जाएगा। इसके बाद, अगला महाकुंभ 2037 में आयोजित किया जाएगा। श्रद्धालु अब अगले 12 वर्षों तक इस पावन अवसर का इंतजार करेंगे।

कुंभ के इस भव्य आयोजन में देश-विदेश से आए करोड़ों श्रद्धालुओं ने आध्यात्मिकता का अनुभव किया और गंगा-स्नान कर अपने पापों का प्रायश्चित किया। सरकार और प्रशासन की सतर्कता के कारण इस बार का महाकुंभ बेहद सुव्यवस्थित और सुरक्षित रहा।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button

Discover more from Media Auditor

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue Reading

%d