Maha Kumbh 2025: ‘थूकने वाली गैंग’ के सामान की बिक्री पर रोक – जितेंद्रनाथ सरस्वती
Maha Kumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ 2025 के आयोजन से पहले संतों के बीच यह चर्चा तेज हो गई है कि गैर-हिंदू दुकानदारों को कुंभ क्षेत्र में दुकान लगाने की अनुमति दी जाए या नहीं। अखिल भारतीय संत समिति ने हिंदू समुदाय की सुरक्षा और आगामी कुंभ मेले की पवित्रता को लेकर चिंता व्यक्त की है। समिति ने यह घोषणा की है कि जो गैंग थूकने की नीति अपनाती है, उनके सामान को कुंभ मेले में बेचा नहीं जाएगा। इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा।
‘थूकने वाली गैंग’ के सामान की बिक्री पर रोक
अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव जितेंद्रनाथ सरस्वती ने इस मामले पर अपनी सख्त राय रखते हुए कहा कि किसी भी स्थिति में इस मुद्दे पर समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कुंभ मेले के दौरान, जो लोग थूकने की नीति अपनाते हैं, उनके सामान की बिक्री को किसी भी कीमत पर मंजूरी नहीं दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि कुंभ दुनिया की सबसे बड़ी और प्राचीन सफाई प्रणाली है, जहां कल्पवासी बर्फीली ठंड में दो बार स्नान करते हैं। ऐसे में इस गैंग पर भरोसा कैसे किया जा सकता है जो थूकने की नीति अपनाती है?
हिंदू सुरक्षा के नाम पर कोई समझौता नहीं
जितेंद्रनाथ सरस्वती ने आगे कहा कि हम हिंदू सुरक्षा के साथ कोई भी समझौता नहीं कर सकते, विशेष रूप से हमारे पवित्र कुंभ मेले के दौरान, जो 12 साल में एक बार आयोजित होता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि समिति का मानना है कि कुंभ मेला क्षेत्र एक संवेदनशील इलाका है, और इस क्षेत्र के 50 किलोमीटर के दायरे में कोई भी नया व्यक्ति दुकान लगाने का हकदार नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही, किसी भी ‘हलाला प्रमाणित’ हिंदू या मुस्लिम व्यापारी को भी यहां दुकान लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
वेदिक परंपराओं के अनुसार व्यवस्था हो
अखिल भारतीय संत समिति ने उत्तर प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि कुंभ मेले की व्यवस्था वेदिक परंपराओं के अनुसार की जाए। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि कुंभ मेला पूरी तरह से वेदिक परंपराओं के अनुरूप हो।” समिति ने यह भी कहा कि इस मेले में थूकने वाली गैंग के किसी भी प्रकार के सामान की बिक्री पर सख्त प्रतिबंध होना चाहिए, क्योंकि यह हिंदू समाज की सुरक्षा और मेले की पवित्रता से जुड़ा हुआ सवाल है।
आस्था और परंपराओं की रक्षा
कुंभ मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की सबसे बड़ी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु और साधु-संत एक साथ एकत्रित होते हैं, और यह आयोजन पूरी दुनिया में धार्मिक महत्व रखता है। ऐसे में संत समिति का यह बयान कुंभ की पवित्रता और हिंदू समाज की सुरक्षा के लिए जरूरी माना जा रहा है।
सुरक्षा को लेकर चिंताएं
संत समिति का कहना है कि कुंभ मेला न केवल धार्मिक पर्व है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आयोजन भी है, जो पूरी दुनिया में हिंदू समाज की पहचान बन चुका है। ऐसे में किसी भी प्रकार की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता। समिति का मानना है कि कुंभ मेला एक ऐसा स्थान है, जहां हर कोई अपनी धार्मिक आस्थाओं के साथ सम्मान से आए, और किसी भी तरह की अशांति या अप्रत्याशित घटनाएं यहां न घटित हों।
अखिल भारतीय संत समिति का यह कदम आगामी महाकुंभ के दौरान कुंभ मेला की पवित्रता, सुरक्षा और परंपराओं की रक्षा करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। जितेंद्रनाथ सरस्वती के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि संत समाज कुंभ मेला को सुरक्षित, शांतिपूर्ण और धार्मिक दृष्टि से सही तरीके से आयोजित करना चाहता है, ताकि लाखों श्रद्धालु बिना किसी डर या असुरक्षा के इस महान धार्मिक आयोजन का हिस्सा बन सकें।