Madhya Pradesh: “पुलिस ने अपराधी का मनाया जन्मदिन, वीडियो वायरल होने के बाद 2 सहायक उप निरीक्षकों को सजा”

Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में पुलिस और अपराधियों के बीच सांठ-गांठ का एक और मामला सामने आया है, जिसमें दो पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया। यह घटना तब सामने आई, जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें दो सहायक उप निरीक्षक एक आदतन अपराधी का जन्मदिन मना रहे थे। वीडियो के वायरल होते ही पुलिस प्रशासन में हलचल मच गई और मंदसौर एसपी ने तत्काल कार्रवाई करते हुए दोनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया। इस मामले में जांच के आदेश भी दिए गए हैं।
वायरल वीडियो ने पुलिस के दावों पर उठाया सवाल
मंदसौर के कुख्यात अपराधी पप्पू दायमा का जन्मदिन मनाने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो ने एक बार फिर पुलिस और अपराधियों के रिश्तों को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे पहले भी कई बार पुलिस पर आरोप लग चुके हैं कि वे अपराधियों के साथ सांठ-गांठ करती हैं, लेकिन इस वीडियो ने इन आरोपों को और बल दिया है।
वीडियो में दो सहायक उप निरीक्षक, सुनील सिंह तोमर और जगदीश ठाकुर, जो कि मंदसौर के नई आबादी पुलिस थाने में पदस्थ थे, एक अपराधी पप्पू दायमा के साथ उसका जन्मदिन मनाते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस घटना के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस अधिकारियों में हड़कंप मच गया।
पप्पू दायमा पर क्या आरोप हैं?
पप्पू दायमा, जो मंदसौर का कुख्यात अपराधी है, पर मादक पदार्थों की तस्करी और कई अन्य आपराधिक गतिविधियों के आरोप हैं। इस अपराधी की गतिविधियाँ लंबे समय से पुलिस की निगाहों में थीं, और वह इलाके में अपनी आपराधिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। वीडियो में यह साफ देखा जा सकता है कि पुलिस अधिकारी पप्पू के साथ मिलकर उसका जन्मदिन मना रहे हैं, जिससे यह आशंका जताई जा रही है कि पुलिस अधिकारियों की पप्पू दायमा के साथ सांठ-गांठ हो सकती है।
वीडियो में देखा गया कि पुलिस अधिकारी आपराधिक प्रवृत्तियों वाले कुछ अन्य लोगों के साथ भी नजर आ रहे थे, जो पप्पू दायमा के करीबी सहयोगी हो सकते हैं। इस वीडियो ने एक नई चर्चा को जन्म दिया है कि क्या पुलिस अधिकारी अपराधियों के साथ मिलकर उनके अपराधों में संलिप्त होते हैं या उन्हें समर्थन देते हैं।
पुलिस अधिकारी निलंबित
मंदसौर एसपी अभिषेक आनंद ने वीडियो के वायरल होते ही तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने दोनों सहायक उप निरीक्षकों, सुनील सिंह तोमर और जगदीश ठाकुर को निलंबित कर दिया और मामले की जांच का आदेश दिया। एसपी ने यह स्पष्ट किया कि पुलिस अधिकारियों का इस तरह से अपराधियों के साथ मिलकर किसी अपराधी का जन्मदिन मनाना कदाचरण है और यह पुलिस की छवि को धूमिल करने वाली घटना है।
एसपी अभिषेक आनंद ने कहा कि यह मामला गंभीर है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। उन्होंने यह भी बताया कि दोनों पुलिस अधिकारियों को लाइन में अटैच कर दिया गया है, यानी उन्हें फिलहाल किसी सक्रिय ड्यूटी से हटा दिया गया है।
जांच और कार्रवाई की प्रक्रिया
मंदसौर पुलिस अधीक्षक ने मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है। इस समिति द्वारा जांच की जाएगी कि पुलिस अधिकारियों की इस हरकत के पीछे क्या कारण थे। इसके अलावा यह भी जांचा जाएगा कि क्या यह कोई नियमित घटना थी या फिर पुलिस अधिकारियों की कोई अन्य विशेष योजना थी।
वायरल वीडियो के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं, जिनका जवाब पुलिस को देना होगा। अब यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई की जाती है और पुलिस प्रशासन इस कदाचार को लेकर कितनी गंभीरता से काम करता है।
पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित किया कि पुलिस और अपराधियों के बीच सांठ-गांठ कोई नई बात नहीं है, बल्कि यह एक पुराना चलन है। हालांकि, कुछ पुलिस अधिकारियों का काम ईमानदारी से होता है, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपनी कर्तव्यनिष्ठा से भटककर अपराधियों के साथ मिलकर काम करते हैं।
मंदसौर की इस घटना में पुलिस अधिकारियों के व्यवहार ने यह सवाल उठाया है कि क्या पुलिस विभाग में इस तरह की घटनाएं आम हैं। इस मामले में सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
सोशल मीडिया की भूमिका
सोशल मीडिया ने इस घटना को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वीडियो वायरल होने से पुलिस प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करने का मौका मिला। इससे यह भी साबित होता है कि सोशल मीडिया आजकल हर घटना को उजागर करने का एक महत्वपूर्ण मंच बन चुका है।
हालांकि, यह भी कहा जा सकता है कि सोशल मीडिया पर वायरल होने से ही कार्रवाई होती है, यह पूरी तरह से सही नहीं है। पुलिस को अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए हमेशा जिम्मेदार रहना चाहिए, और अपराधियों से सांठ-गांठ करना किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं होना चाहिए।
मंदसौर में हुए इस घटना ने एक बार फिर पुलिस और अपराधियों के बीच सांठ-गांठ के आरोपों को हवा दी है। दो पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई इस बात का संकेत है कि पुलिस प्रशासन अब ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करने के लिए तैयार है। हालांकि, इस मामले की जांच पूरी होने के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि इस घटना के पीछे क्या कारण थे और क्या कोई बड़ी साजिश थी। अब यह पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह इस मामले को गंभीरता से ले और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।