Madhya pradesh news: ‘आरएसएस में शामिल होने का दबाव’, प्रोफेसर की याचिका पर एमपी हाई कोर्ट ने क्या कहा?

Madhya pradesh news: मध्य प्रदेश के सीधी जिले के एक सरकारी कॉलेज में गेस्ट लेक्चरर के रूप में कार्यरत एक प्रोफेसर ने हाई कोर्ट में यह आरोप लगाते हुए याचिका दाखिल की थी कि कॉलेज प्रशासन उन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ज्वाइन करने का दबाव बना रहा है। इस मामले को लेकर हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया है। राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है कि वह खुद इस मामले की जांच करेगी और उचित कार्रवाई करेगी।
प्रोफेसर का आरोप: जबरन आरएसएस ज्वाइन करने का दबाव
याचिकाकर्ता सीधी जिले के माझौली स्थित एक सरकारी कॉलेज में गेस्ट प्रोफेसर (कॉमर्स) हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कॉलेज प्रशासन ने उन्हें आरएसएस ज्वाइन करने का निर्देश दिया। प्रोफेसर का कहना है कि उनकी विचारधारा आरएसएस की विचारधारा से मेल नहीं खाती और उन्होंने इसे ज्वाइन करने से इनकार कर दिया। इसके बाद, उनके साथ मारपीट की गई और धमकाया गया।
कोर्ट की सुनवाई और राज्य सरकार का आश्वासन
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने याचिकाकर्ता के आरोपों पर कोई टिप्पणी किए बिना याचिका का निपटारा कर दिया। राज्य सरकार के वकील वी.एस. चौधरी ने कोर्ट को जानकारी दी कि सरकार सीधी जिले के एसपी को निर्देश देगी कि वे याचिकाकर्ता की शिकायत पर ध्यान दें और उसकी जांच करें।
वकील ने यह भी कहा कि यदि शिकायत सही पाई जाती है, तो एसपी को मामले का समाधान करने के निर्देश दिए जाएंगे। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के इस आश्वासन को स्वीकार कर लिया और याचिका का निपटारा कर दिया।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर सवाल
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने अपनी शिकायत सीधी के पुलिस अधीक्षक और इलाके के इंस्पेक्टर के पास दर्ज कराई थी। हालांकि, उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि पुलिस ने उनकी शिकायत को अनदेखा कर दिया, जिससे उन्हें हाई कोर्ट का रुख करना पड़ा।
प्रोफेसर की विचारधारा और आरएसएस से असहमति
याचिकाकर्ता का कहना है कि उनकी व्यक्तिगत विचारधारा आरएसएस की विचारधारा से मेल नहीं खाती। उन्होंने आरएसएस में शामिल होने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उन्हें धमकी दी गई और उनके साथ मारपीट की गई। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में यह भी बताया कि इस घटना ने उनकी सुरक्षा और आजीविका को लेकर चिंता बढ़ा दी है।
हाई कोर्ट ने दिया जांच का निर्देश
हाई कोर्ट ने कहा कि एसपी को आदेश दिया जाएगा कि वे इस मामले की जांच करें और यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो मामले का निपटारा तुरंत किया जाए। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि आदेश की प्रमाणित प्रति मिलने के सात दिन के भीतर एसपी इस मामले पर कार्रवाई करें।
राज्य सरकार का रुख
राज्य सरकार ने हाई कोर्ट को यह विश्वास दिलाया कि प्रोफेसर की शिकायत की जांच निष्पक्ष तरीके से की जाएगी। सरकार का कहना है कि यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस मामले ने सरकारी कॉलेजों में राजनीतिक हस्तक्षेप और विचारधारा के टकराव को उजागर किया है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार की जांच और कार्रवाई के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि प्रोफेसर के आरोपों में कितनी सच्चाई है।
इस मामले ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या शैक्षणिक संस्थानों में व्यक्तिगत विचारधारा के आधार पर दबाव बनाना उचित है? सरकार और प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।