लॉरेंस बिश्नोई के कुख्यात गैंगस्टर Aman Sahu अब बनना चाहता है विधायक, झारखंड चुनावों में कोर्ट पहुंचा
झारखंड विधानसभा चुनावों की घोषणा हो चुकी है और सभी राजनीतिक पार्टियाँ अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर रही हैं। इसी बीच, कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू भी विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है। अमन के वकील हिमांतो सिकरवार ने रांची से रायपुर पहुंचकर अमन साहू के नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर कराए हैं।
चुनाव लड़ने के लिए अदालत में अपील
गैंगस्टर अमन साहू ने झारखंड कोर्ट में चुनाव लड़ने की अनुमति के लिए आवेदन दिया है। सूत्रों के अनुसार, अमन साहू, जो वर्तमान में जेल में है, झारखंड की बरकागांव विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहता है। इस संबंध में, उन्होंने लेटहार की प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट और सेशंस जज की अदालत में एक याचिका दायर की है।
अमन साहू के खिलाफ 50 से अधिक आपराधिक मामले
अमन साहू झारखंड का एक सबसे Wanted गैंगस्टर है। उसके खिलाफ झारखंड में 50 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह वर्तमान में जेल में कैद है, जहाँ उसके खिलाफ हत्या, जबरन वसूली, और आर्म्स एक्ट जैसे गंभीर मामलों का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में, झारखंड एटीएस ने लॉरेंस बिश्नोई के साथ उसके संबंधों का खुलासा किया है, जिससे उसकी आपराधिक गतिविधियों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
पुलिस की नजर में अमन साहू
वर्तमान में, गैंगस्टर अमन साहू को छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक व्यवसायी पर किए गए गोलीबारी के मामले में, झारखंड के सरायकेला से रायपुर लाया गया है। रायपुर जिला कोर्ट ने उसे 28 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, पुलिस ने अदालत परिसर में अतिरिक्त बल तैनात किया था। अमन साहू के खिलाफ पहले से कई आपराधिक मामले दर्ज हैं और उसकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने कई सुराग खोज निकाले हैं, जो आगे की जांच में मददगार हो सकते हैं।
अमन साहू की खतरनाक पहचान
अमन साहू, जो बिश्नोई गैंग का एक प्रमुख सदस्य है, इतना खतरनाक है कि जब रायपुर पुलिस ने उसे सरायकेला जेल से लाने के लिए पहुंची, तो उसे 40 सुरक्षा कर्मियों की सुरक्षा में लाया गया। लॉरेंस बिश्नोई की तरह, अमन साहू भी जेल से अपनी गैंग का संचालन करता था। टेलीबंदा, रायपुर में एक कोयला और निर्माण व्यवसायी के पास झारखंड में 800 करोड़ का ठेका है। प्रहलाद अग्रवाल, जो PRA ग्रुप के मालिक हैं, के ऑफिस के बाहर हुई गोलीबारी में पुलिस ने CCTV के आधार पर दो लोगों को गिरफ्तार किया था।
जेल से गैंग का संचालन
यह खुलासा हुआ था कि अमन साहू इस गोलीबारी के पीछे था, क्योंकि उससे पहले उसने रायपुर के व्यवसायी को जेल से ही धमकी दी थी। अमन साहू और उसकी गैंग झारखंड में काम करने वाले व्यवसायियों से लेवी वसूल करती है। इसके अलावा, अमन साहू की गैंग व्यवसायियों से सुरक्षा शुल्क भी मांगती है और यदि सुरक्षा शुल्क नहीं दिया जाता है, तो इन लोगों पर गोलीबारी कर दी जाती है। अमन साहू इन सभी गोलीबारी के मामलों का संचालन जेल से ही करता था।
अमन साहू का स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरना
अमन की गैंग का नेटवर्क झारखंड के कई जिलों में फैला हुआ है। वह रांची, धनबाद, रामगढ़, चतरा, हज़ारीबाग, पलामू, लेटहार, बोकारो, जमशेदपुर और झारसुगुड़ा की जेलों में रहकर कोयला खनन कंपनियों, कोयला व्यापार परिवहन और व्यवसायियों से पैसे वसूलता है और पैसे न देने पर झारखंड में कई बार गोलीबारी भी करवा चुका है।
अब यह चतुर गैंगस्टर झारखंड के विधानसभा चुनाव में भाग लेने की तैयारी कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, अगर उसे किसी राजनीतिक पार्टी से टिकट नहीं मिलता है, तो अमन बरकागांव सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेगा।
अमन साहू का चुनावी मैदान में आना यह दर्शाता है कि अपराध और राजनीति के बीच का अंतर कहीं न कहीं धुंधला होता जा रहा है। इसके साथ ही यह भी सवाल उठता है कि क्या देश में ऐसे आपराधिक तत्वों को चुनावी प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए।
अमन साहू की कहानी यह साबित करती है कि कैसे अपराधी तत्व राजनीति का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहे हैं। यह भारत के लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि हमें इन तत्वों पर कड़ी निगरानी रखने की आवश्यकता है। आगे की कार्रवाई और अदालत के फैसले का इंतजार रहेगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि अमन साहू का राजनीति में आना एक गंभीर मुद्दा है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।