उत्तर प्रदेश

Hathras stampede case: भोल बाबा को आयोग से क्लीन चिट, जांच रिपोर्ट में क्या सामने आया?

Hathras stampede case: जिले में पिछले साल हुए भीषण भगदड़ कांड को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। इस हादसे में 120 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। अब इस मामले में भोल बाबा उर्फ नारायण साकार हरि को आयोग से क्लीन चिट मिल गई है।

जांच रिपोर्ट में क्या खुलासा हुआ?

सूत्रों के मुताबिक, हाथरस भगदड़ कांड की न्यायिक जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी गई है। इस रिपोर्ट को बजट पेश होने से पहले कैबिनेट बैठक में रखा गया। इसके बाद रिपोर्ट को विधानसभा में प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। न्यायिक आयोग ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस जांच को सही माना है। अभी तक यह पुष्टि नहीं हुई है कि इस घटना के पीछे किसी साजिश के सबूत मिले हैं या नहीं। रिपोर्ट में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं। जानकारी के मुताबिक, जल्द ही इस रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया जाएगा और इसके बाद इसे सार्वजनिक किया जाएगा।

कैसे हुआ हादसा?

2 जुलाई 2024 को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में भगदड़ मच गई थी। यह हादसा कथित संत भोल बाबा उर्फ नारायण साकार हरि के सत्संग के दौरान हुआ था। इस घटना में 121 लोगों की मौत हो गई थी, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। हादसे में जान गंवाने वालों में ज्यादातर महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग थे।

Hathras stampede case: भोल बाबा को आयोग से क्लीन चिट, जांच रिपोर्ट में क्या सामने आया?

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, जब सत्संग समाप्त होने के बाद भोल बाबा अपने वाहन में बैठने के लिए बढ़े, तो उनके भक्तों की भारी भीड़ उनके वाहन की ओर दौड़ पड़ी। इसी दौरान अफरा-तफरी मच गई और भगदड़ की स्थिति बन गई, जिससे दर्जनों लोगों की जान चली गई।

भोल बाबा को क्यों मिली क्लीन चिट?

न्यायिक आयोग ने अपनी जांच में भोल बाबा को इस घटना के लिए प्रत्यक्ष रूप से दोषी नहीं पाया है। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने घटना की जांच सही तरीके से की है और अब तक कोई षड्यंत्र का प्रमाण नहीं मिला है। आयोग का मानना है कि भगदड़ भीड़ के अनियंत्रित हो जाने के कारण हुई थी, न कि किसी सुनियोजित योजना के तहत।

कौन हैं भोल बाबा उर्फ नारायण साकार हरि?

भोल बाबा उर्फ नारायण साकार हरि उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले के पटियाली गांव के निवासी हैं। वे स्वयं को संत बताते हैं और उनके भक्तों की संख्या लाखों में बताई जाती है। बाबा के अनुसार, उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस में 18 वर्षों तक सेवा दी थी और 1990 के आसपास स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले ली थी। उनके भक्तों का मानना है कि VRS लेने के बाद उन्हें ईश्वर का साक्षात्कार हुआ और तब से वे आध्यात्मिक जीवन बिता रहे हैं।

घटना के बाद प्रशासन की कार्रवाई

इस भगदड़ कांड के बाद प्रशासन ने कई कदम उठाए। पुलिस ने शुरू में इस मामले में कई लोगों को हिरासत में लिया और घटना की विस्तृत जांच शुरू की। सत्संग आयोजकों से पूछताछ की गई और सुरक्षा प्रबंधों की भी समीक्षा की गई। इसके अलावा, भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े दिशानिर्देश जारी किए गए।

न्यायिक आयोग की सिफारिशें

रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई है कि धार्मिक आयोजनों में भीड़ नियंत्रण के लिए सख्त दिशा-निर्देश बनाए जाएं। आयोजकों को अनुमति देने से पहले सुरक्षा प्रबंधों की विस्तृत समीक्षा की जाए और पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती सुनिश्चित की जाए।

भविष्य में ऐसे हादसों से बचने के उपाय

  1. सुरक्षा व्यवस्था: आयोजकों को प्रशासन के साथ मिलकर कार्यक्रम स्थल पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने होंगे।
  2. भीड़ नियंत्रण: आयोजनों के दौरान भीड़ नियंत्रण के लिए प्रशासन को विशेष रणनीति अपनानी होगी।
  3. आपातकालीन व्यवस्था: ऐसे आयोजनों में मेडिकल टीम और आपातकालीन सेवाओं की तैनाती अनिवार्य होनी चाहिए।
  4. सख्त नियम: सरकार को धार्मिक आयोजनों के लिए सख्त दिशानिर्देश बनाने चाहिए, ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

हाथरस भगदड़ कांड की जांच रिपोर्ट में भोल बाबा को प्रत्यक्ष दोषी नहीं पाया गया है और उन्हें क्लीन चिट दे दी गई है। हालांकि, इस घटना से यह साफ हो गया कि बड़े धार्मिक आयोजनों में भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम न होने से गंभीर हादसे हो सकते हैं। न्यायिक आयोग ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण सिफारिशें दी हैं, जिन्हें लागू किया जाना बेहद जरूरी है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।

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