शिखर सम्मान से सम्मानित गुरु का निधन, अब BHU को सौंपा शरीर ज्ञान के लिए

प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्य गुरु प्रेमचंद हॉम्बल का शनिवार दोपहर लखनऊ के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वे कुछ समय से इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती थे। दोपहर 1 बजकर 31 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका पार्थिव शरीर रविवार को वाराणसी लाया जाएगा और अंतिम संस्कार उनके निवास स्थान पर किया जाएगा। उनके जाने से कला जगत में शोक की लहर फैल गई है।
देहदान की थी इच्छा, IMS BHU को किया जाएगा समर्पित
प्रेमचंद हॉम्बल ने जीवनकाल में चिकित्सा शिक्षा के लिए अपने शरीर को IMS BHU को दान करने की घोषणा की थी। उनके इस संकल्प को उनकी मृत्यु के बाद उनके परिवार द्वारा पूरा किया जाएगा। उनके इस निर्णय की हर तरफ सराहना हो रही है और यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन रहा है। उनके परिवार का कहना है कि यह गुरुजी की अंतिम इच्छा थी जिसे वे पूरी श्रद्धा से निभाएंगे।
नाट्यकला और भरतनाट्यम को दी नई पहचान
प्रेमचंद हॉम्बल ने भरतनाट्यम और नाट्यकला के प्रचार प्रसार में विशेष योगदान दिया। उन्हें वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और वर्ष 2021 में केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संगीत और मंच कला संकाय में 37 वर्षों तक सेवा दी। वे विभागाध्यक्ष भी रहे। नृत्य निर्देशन के साथ-साथ उन्होंने कई नाटकों और बैले में अभिनय और निर्देशन भी किया।
पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाया
प्रेमचंद हॉम्बल को यह कला अपने पिता शंकर हॉम्बल से विरासत में मिली थी जो स्वयं भरतनाट्यम के प्रसिद्ध विद्वान थे। शंकर हॉम्बल को 1997 में भरतनाट्यम में शिखर सम्मान प्राप्त हुआ था। प्रेमचंद जी ने अपने पिता की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए कला को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनके छात्र और कला प्रेमी उन्हें एक सच्चे गुरु और समर्पित कलाकार के रूप में हमेशा याद रखेंगे।