उत्तर प्रदेश

गोरखपुर में अवैध निर्माण पर सख्त हुई GDA, 15 दिन में मस्जिद गिराने का आदेश

 गोरखपुर विकास प्राधिकरण (GDA) ने नगर निगम की भूमि पर अवैध रूप से बनाई गई तीन मंजिला मस्जिद को गिराने के लिए 15 दिनों की मोहलत दी है। यह मस्जिद गोरखपुर के घोसी कंपनी चौक के पास स्थित है, जहां नगर निगम की 47 डिसमिल जमीन पर पहले अवैध कब्जा कर लिया गया था। करीब सात महीने पहले नगर निगम की टीम ने बुलडोजर चलाकर इस अवैध कब्जे को हटा दिया था। लेकिन, इसी जमीन के 520 वर्ग फीट क्षेत्र में बिना स्वीकृत नक्शे के तीन मंजिला मस्जिद का निर्माण कर दिया गया।

अवैध निर्माण को हटाने का निर्देश

GDA ने इस अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। 15 फरवरी को शुआइब अहमद, जो कि मस्जिद के पूर्व मुतवल्ली के पुत्र हैं, को नोटिस जारी किया गया। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वे स्वयं इस अवैध निर्माण को 15 दिनों के भीतर हटा लें। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो GDA खुद इसे ध्वस्त करेगा और इसके खर्च की भरपाई निर्माणकर्ता से की जाएगी।

तीन बार भेजा गया नोटिस

गोरखपुर विकास प्राधिकरण के अनुसार, मस्जिद का निर्माण बिना किसी स्वीकृत नक्शे के किया गया है। सूत्रों के अनुसार, जब GDA ने निर्माण के दौरान नक्शा दिखाने को कहा था, तो निर्माणकर्ता कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर सके। इसके बाद GDA ने तीन बार नोटिस जारी किया, जिसमें अवैध निर्माण को हटाने का आदेश दिया गया।

GDA के नोटिस में साफ-साफ लिखा गया है कि “जो निर्माण आप लोगों ने किया है, वह पूरी तरह से अवैध है। इस भवन का कोई नक्शा पास नहीं किया गया है। इसलिए इसे जल्द से जल्द हटाना अनिवार्य है।”

गोरखपुर में अवैध निर्माण पर सख्त हुई GDA, 15 दिन में मस्जिद गिराने का आदेश

मुतवल्ली ने किया आदेश का विरोध, कमिश्नर कोर्ट में की अपील

मस्जिद के मुतवल्ली के उत्तराधिकारी शुआइब अहमद ने GDA के आदेश को चुनौती देते हुए कमिश्नर कोर्ट में अपील की है। उनका कहना है कि मस्जिद के निर्माण में पूरे शहर के लोगों का योगदान है और इसे गिराने की बात केवल एक “छोटी सी बात” के लिए की जा रही है। उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर वे हाईकोर्ट भी गए हैं और उन्हें न्याय की उम्मीद है।

प्रशासन का बयान देने से इनकार

इस मामले पर कोई भी प्रशासनिक अधिकारी कैमरे पर बयान देने को तैयार नहीं है। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक, जिला प्रशासन और GDA इस मुद्दे पर पूरी तरह से सख्त रुख अपनाए हुए हैं और किसी भी स्थिति में अवैध निर्माण को नहीं रहने देने के पक्ष में हैं।

स्थानीय लोगों में चिंता का माहौल

इस फैसले को लेकर स्थानीय लोगों में चिंता बनी हुई है। कुछ लोगों का कहना है कि प्रशासन को इस मस्जिद के निर्माण से पहले ही हस्तक्षेप करना चाहिए था। वहीं, कुछ लोग इसे प्रशासन की निष्पक्ष कार्रवाई मानते हैं और GDA के आदेश का समर्थन कर रहे हैं।

नगर निगम की भूमि पर कब्जे का इतिहास

गोरखपुर में नगर निगम की भूमि पर अवैध कब्जे की घटनाएं पहले भी सामने आती रही हैं। प्रशासन ने पिछले कुछ वर्षों में कई अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की है, लेकिन इस मस्जिद का मामला इसलिए खास बन गया है क्योंकि यह धार्मिक स्थल से जुड़ा हुआ है।

क्या कहता है कानून?

उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम के अनुसार, किसी भी प्रकार के भवन निर्माण के लिए संबंधित विकास प्राधिकरण से स्वीकृत नक्शा अनिवार्य होता है। यदि कोई निर्माण बिना स्वीकृति के किया जाता है, तो उसे अवैध माना जाता है और प्राधिकरण के पास इसे हटाने का पूरा अधिकार होता है।

मस्जिद का भविष्य क्या होगा?

अब सवाल यह उठता है कि क्या यह मस्जिद गिरा दी जाएगी या फिर इसके लिए कोई वैकल्पिक समाधान निकलेगा?

  • यदि हाईकोर्ट से कोई रोक नहीं लगती है, तो GDA तय समय सीमा के भीतर इसे गिरा सकता है।
  • यदि मुतवल्ली और अन्य पक्षकार कोर्ट से राहत लेने में सफल होते हैं, तो इस पर कानूनी लड़ाई लंबी चल सकती है।
  • प्रशासन और समुदाय के बीच किसी प्रकार का समझौता भी संभव हो सकता है, जिसमें मस्जिद को वैध रूप से पुनर्निर्मित करने का विकल्प दिया जाए।

राजनीतिक हलचल भी तेज़

इस मामले में राजनीतिक दल भी अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

  • भाजपा के नेताओं का कहना है कि अवैध निर्माण चाहे किसी भी धर्म या समुदाय का हो, उसे हटाना जरूरी है।
  • समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जैसे दलों का कहना है कि सरकार को धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए इस मुद्दे का समाधान निकालना चाहिए।

क्या होगा आगे?

अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि मुतवल्ली की अपील पर कोर्ट का क्या फैसला आता है। यदि कोर्ट से राहत नहीं मिलती, तो प्रशासन GDA के आदेशानुसार 15 दिनों के बाद अवैध निर्माण को गिरा सकता है। हालांकि, इससे स्थानीय स्तर पर विवाद बढ़ सकता है और प्रशासन को कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतनी पड़ सकती है।

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