राष्ट्रीय

पूर्व CJI ने महाराष्ट्र चुनाव में हार के लिए अदालत को दोषी ठहराने को किया नकारात्मक

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने शिवसेना नेता संजय राउत द्वारा लगाए गए हालिया आरोपों का कड़ा जवाब दिया है। राउत ने आरोप लगाया था कि चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में विपक्षी महा विकास आघाड़ी (MVA) की हार के लिए जिम्मेदार थे, क्योंकि उन्होंने विधायकों की अयोग्यता पर दायर याचिकाओं पर निर्णय नहीं लिया, जिससे राजनीतिक विश्वासघात के लिए रास्ता खुल गया और अंततः चुनाव में MVA की हार हुई।

संजय राउत ने CJI पर लगाए आरोप

राउत ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह आरोप लगाया कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र के राजनेताओं से कानून का डर खत्म कर दिया, क्योंकि उन्होंने विधायकों की अयोग्यता से संबंधित याचिकाओं पर फैसला नहीं किया। राउत का कहना था कि इतिहास उन्हें माफ नहीं करेगा।

CJI का संजय राउत के बयान पर जवाब

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, “मेरा जवाब बहुत सरल है… इस पूरे वर्ष में हम बुनियादी संवैधानिक मामलों पर काम कर रहे थे, जिनमें नौ-न्यायाधीशों की बेंच के फैसले, सात-न्यायाधीशों की बेंच के फैसले, पांच-न्यायाधीशों की बेंच के फैसले शामिल थे। अब, क्या किसी एक पार्टी या व्यक्ति को यह तय करना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट को कौन सा मामला सुनना चाहिए? माफ़ कीजिए, यह चुनाव मुख्य न्यायाधीश का है।”

पूर्व CJI ने महाराष्ट्र चुनाव में हार के लिए अदालत को दोषी ठहराने को किया नकारात्मक

सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों पर CJI की टिप्पणी

पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में कई मामलों पर 20 वर्षों से विचार नहीं हो पा रहा है। “हमारे पास सीमित संसाधन और जज हैं। हमारे पास कुछ मामलों को सुनने का समय होता है, और हमें संतुलन बनाना पड़ता है,” उन्होंने कहा।

संजय राउत की शिकायत पर CJI ने की आलोचना

CJI ने आगे कहा, “यह असल समस्या है। एक निश्चित राजनीतिक वर्ग यह मानता है कि अगर आप मेरा एजेंडा मानते हैं, तो आप स्वतंत्र हैं। लेकिन यह स्वीकार्य नहीं है।” उन्होंने कहा, “हमने चुनावी बांड्स पर भी निर्णय लिया, क्या यह कम महत्वपूर्ण था?”

महत्वपूर्ण मामलों पर CJI का रुख

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण मामलों पर निर्णय लिया है, जैसे अलिगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय मामले में निर्णय, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के तहत मदरसा बंद करने की बात थी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों के लिए विभिन्न अधिकारों पर फैसला लिया गया।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रक्रिया पर CJI का दृष्टिकोण 

पूर्व CJI ने कहा कि अदालत में आने वाले मामलों की प्राथमिकता तय करना न्यायपालिका का अधिकार है और किसी तीसरे पक्ष को इस पर निर्देशित करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके कार्यकाल के दौरान, वे कभी भी किसी तीसरे पक्ष के दबाव में आकर मामलों को प्राथमिकता नहीं देंगे।

पूर्व CJI ने संजय राउत के आरोपों का खंडन करते हुए यह कहा कि न्यायपालिका स्वतंत्र रूप से मामलों पर विचार करती है और किसी राजनीतिक दबाव में आकर फैसले नहीं देती। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायपालिका को अपने कार्यों को बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के करने का अधिकार है और यह किसी एक पार्टी के एजेंडे पर नहीं चल सकती।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button

Discover more from Media Auditor

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue Reading

%d