अंतर्राष्ट्रीय

कनाडा में क्या सचमुच हो रहे हैं चुनाव? ट्रंप के आर्थिक युद्ध का असर

कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने अचानक मध्यावधि चुनाव की घोषणा करने का फैसला लिया है। यह निर्णय उस समय आया है जब कैनेडियन राजनीति में कुछ अप्रत्याशित घटनाएँ घट रही हैं। शनिवार को ‘लिबरल पार्टी’ ने ऐलान किया कि कार्नी रविवार को मध्यावधि चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकते हैं, और मतदान 28 अप्रैल को हो सकता है। इसके साथ ही कार्नी खुद ओटावा क्षेत्र के एक जिला से चुनाव लड़ने का इरादा भी रखते हैं।

मध्यावधि चुनाव क्यों कराना चाहते हैं कार्नी?

मार्क कार्नी, जो कि कनाडा के केंद्रीय बैंक के पूर्व प्रमुख रहे हैं, ने प्रधानमंत्री के रूप में 14 मार्च को शपथ ली थी, और उन्होंने खुद को इस पद पर ट्रूडो के उत्तराधिकारी के रूप में स्थापित किया। ट्रूडो ने जनवरी में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, और इसके बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि अगले चुनावों में लिबरल पार्टी को काफी नुकसान हो सकता है। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कनाडा के खिलाफ ‘आर्थिक युद्ध’ की घोषणा के बाद से चुनावी समीकरण बदल गए हैं। ट्रंप ने कनाडा के इस प्रस्ताव को नकारते हुए कनाडा के स्टील और एल्युमिनियम पर 25 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है और 2 अप्रैल से सभी कनाडाई उत्पादों पर भारी शुल्क लगाने की घोषणा की है। ट्रंप की इन धमकियों ने लिबरल पार्टी के लिए एक नई उम्मीद जगा दी है, जिससे पार्टी को उम्मीद है कि अगर तुरंत चुनाव होते हैं तो वे सत्ता में लौट सकते हैं।

क्या इस चुनाव के बाद ट्रूडो फिर प्रधानमंत्री बनेंगे?

हालांकि, इस समय यह स्पष्ट नहीं है कि पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को मध्यावधि चुनाव के बाद फिर से प्रधानमंत्री का पद मिलेगा या नहीं। लिबरल पार्टी इस चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत करने की पूरी कोशिश कर रही है, और कार्नी को उम्मीद है कि वह इस चुनाव में लिबरल पार्टी को एक नई दिशा दे पाएंगे। यह चुनाव कैनेडियन राजनीति के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह ना सिर्फ लिबरल पार्टी की सत्ता बनाए रखने के लिए है, बल्कि यह कनाडा की संप्रभुता और व्यापारिक संबंधों पर भी असर डाल सकता है।

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कनाडा में चुनाव के लिए कितनी सीटों पर मतदान होगा?

कनाडा के ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में 343 सीटें हैं, और इन सभी सीटों पर चुनाव हो सकते हैं। चुनाव अभियान 37 दिनों तक चलेगा, और यह एक ऐसा चुनाव होगा जिसमें मतदान के दौरान राजनीतिक दलों के बीच तीखी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है।

मार्क कार्नी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही लिबरल पार्टी ने उनके नेतृत्व में चुनावी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। कार्नी के लिए यह चुनाव अपनी कड़ी मेहनत और जनता के विश्वास को मजबूत करने का एक अवसर हो सकता है।

क्या इस चुनाव से ट्रंप का आर्थिक युद्ध प्रभावित होगा?

कनाडा में चुनाव के होने से पहले, एक और बड़ा सवाल यह है कि क्या ट्रंप का आर्थिक युद्ध इस चुनाव में लिबरल पार्टी को फायदा पहुंचाएगा। ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ और आर्थिक दबाव ने कनाडा के व्यापारिक माहौल में भारी बदलाव ला दिया है। ऐसे में, कार्नी के लिए यह चुनावी समय अपने देश की आर्थिक स्थिति को मजबूती से संभालने का एक मौका हो सकता है।

यहां तक कि कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह चुनाव लिबरल पार्टी के लिए एक अवसर हो सकता है, जिससे वह अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत कर सके। हालांकि, यह चुनाव कनाडा की राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है, और सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि क्या कार्नी अपने राजनीतिक दांव से लिबरल पार्टी को जीत दिला पाएंगे।

क्या बदलाव ला सकते हैं कार्नी?

कनाडा की राजनीति में अगर इस चुनाव के बाद लिबरल पार्टी सत्ता में आती है, तो कार्नी को अपनी पार्टी के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लेने होंगे। वहीं, ट्रंप के खिलाफ इस चुनाव के दौरान कार्नी को अपने देश की संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा करनी होगी।

यह चुनाव न सिर्फ कैनेडियन राजनीति के लिए एक चुनौती होगी, बल्कि यह देश की भविष्यवाणी करने के लिए भी अहम होगा। अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि कार्नी अपनी पहली मध्यावधि चुनावी चुनौती को किस तरह से संभालते हैं और क्या वह लिबरल पार्टी को फिर से सत्ता में लाने में सफल होंगे।

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