छत्तीसगढ

छत्तीसगढ़ विधानसभा में पास हुआ लोकतंत्र सेनानी सम्मान बिल, कांग्रेस ने किया विरोध

छत्तीसगढ़ विधानसभा ने शुक्रवार (20 मार्च) को आपातकाल के दौरान आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (मिसा) के तहत गिरफ्तार व्यक्तियों को पेंशन और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक विधेयक पारित किया। विधानसभा में बिल पास होने के बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साई ने कहा कि राज्य में पहले से ही मिसा बंदियों (लोकतंत्र सेनानियों) को पेंशन देने का प्रावधान है, लेकिन इसे कानून का रूप देने का निर्णय लिया गया ताकि इस योजना को विधिक सुरक्षा मिल सके और लोकतंत्र सेनानियों के हितों की रक्षा की जा सके।

हालांकि, छत्तीसगढ़ विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस बिल का विरोध किया। कांग्रेस ने बहस के दौरान इस पर आपत्ति जताई और सदन से वॉकआउट कर दिया। कांग्रेस के विरोध के बीच मुख्यमंत्री विष्णुदेव साई ने ‘छत्तीसगढ़ लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक-2025’ को सदन में पेश किया।

कांग्रेस के विरोध पर सीएम का जवाब

विपक्ष के नेता चरणदास महंत ने बिल का विरोध करते हुए पूछा कि क्या इस संदर्भ में कानून बनाने या चर्चा करने का अधिकार सदन को है? उन्होंने कहा कि यह विषय राज्य सूची में शामिल नहीं है। इसके जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘लोक व्यवस्था’ राज्य सूची का विषय है, लेकिन इसमें नौसेना, सेना, वायुसेना, संघीय बल या केंद्र सरकार के नियंत्रण में कोई अन्य बल शामिल नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विधेयक आपातकाल के दौरान लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने वाले सेनानियों को सम्मानित करने के लिए है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में पहले भाजपा सरकार के दौरान (जिसमें विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह थे) वर्ष 2008 में ‘लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम’ बनाए गए थे। इसके तहत मिसा-डीआईआर के तहत बंदियों को सम्मान राशि (पेंशन) देने की प्रक्रिया शुरू की गई थी।

आपातकाल को बताया काला अध्याय

CM विष्णुदेव साई ने आपातकाल को भारत के इतिहास का काला अध्याय बताया। उन्होंने कहा, “25 जून 1975 का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा।” उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत हित के लिए देश में आपातकाल थोप दिया था और हजारों लोगों को जेल में डाल दिया गया था।

छत्तीसगढ़ विधानसभा में पास हुआ लोकतंत्र सेनानी सम्मान बिल, कांग्रेस ने किया विरोध

CM ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने 29 जुलाई 2020 को लोकतंत्र सेनानियों की पेंशन बंद कर दी थी, लेकिन भाजपा सरकार ने इसे फिर से बहाल किया। उन्होंने बताया कि हमारी सरकार ने 7 मार्च 2024 को एक अधिसूचना जारी कर लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम 2008 को बहाल किया है। इसके तहत लोकतंत्र सेनानियों को उनके अंतिम संस्कार के लिए 25,000 रुपये की आर्थिक सहायता और राजकीय सम्मान देने का प्रावधान किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में लोकतंत्र सेनानियों और उनके 128 आश्रितों को सम्मान राशि देने के लिए 42 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

कांग्रेस का वॉकआउट और बिल का पारित होना

कांग्रेस विधायक चरणदास महंत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 246 के अनुसार राज्य सरकार को इस विषय पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि सातवीं अनुसूची की सूची-2 और समवर्ती सूची की सूची-3 में ऐसा कोई विषय नहीं है, जिस पर यह विधेयक लाया जा सके।

वहीं, भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कांग्रेस के इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि यह विषय सामाजिक क्षेत्र से जुड़ा है, जो समवर्ती सूची में शामिल है। इसलिए राज्य सरकार को इस पर कानून बनाने का अधिकार है। विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस की आपत्ति को खारिज कर बिल पर चर्चा की अनुमति दी।

चर्चा के बाद कांग्रेस विधायकों की अनुपस्थिति में विधानसभा में यह विधेयक पारित हो गया।

छत्तीसगढ़ में 350 मिसा बंदी

एक अधिकारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में करीब 350 मिसा बंदी हैं। इन बंदियों को तीन अलग-अलग श्रेणियों में प्रतिमाह 10,000 रुपये से 25,000 रुपये तक की पेंशन दी जाती है।

लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम 2008 के तहत छत्तीसगढ़ सरकार ने इस पेंशन योजना को शुरू किया था। हालांकि, कांग्रेस सरकार ने इसे 2020 में समाप्त कर दिया था, जिसे भाजपा सरकार ने अब फिर से लागू कर दिया है।

विधेयक पास होने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कानून लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान देने के लिए है और उनकी कुर्बानियों को याद रखने का प्रयास है।

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