बंधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत का विवाद: कांग्रेस का आरोप, ‘बेटियाँ और हाथी दोनों असुरक्षित’
हाल ही में मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 72 घंटे के भीतर 10 हाथियों की मौत ने पूरे राज्य में हंगामा खड़ा कर दिया है। इन 10 हाथियों में से 13 के एक झुंड के 10 हाथी मारे गए हैं। इस घटना के बाद पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई है। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि राज्य में ना बेटियाँ सुरक्षित हैं और ना ही हाथी। इस स्थिति को ‘जंगलराज’ के रूप में वर्णित किया गया है।
हाथियों की मौत का कारण
29 अक्टूबर को, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के खटौली और पट्टोरे रेंज में 13 हाथियों के झुंड में से चार हाथी (एक नर और तीन मादा) मृत पाए गए। जबकि छह हाथी अस्वस्थ दिख रहे थे और तीन हाथी स्वस्थ थे। इसके बाद, हाथियों की मौत के कारणों की जांच के लिए पूरी क्षेत्र की खोजबीन की गई। वन्यजीव स्वास्थ्य अधिकारियों और वन्यजीव पशु चिकित्सकों की मेडिकल टीम ने घायल हाथियों का इलाज किया। इस मामले की जांच के लिए जबलपुर और भोपाल से एसटीएसएफ की टीमें भी पहुँचीं।
30 अक्टूबर को, चार और हाथियों की मौत इलाज के दौरान हुई। इस प्रकार, बुधवार तक एक नर और सात मादा हाथी मर चुके थे। एसडब्ल्यूएफएच जबलपुर के वन्यजीव स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम ने बाकी पांच अस्वस्थ हाथियों का इलाज किया।
जांच की प्रक्रिया
घटना के तुरंत बाद, पोस्ट-मॉर्टम किया गया और हाथियों को दफन कर दिया गया। सभी हाथियों के नमूने लिए गए और उनके परीक्षण के लिए हिस्टोपैथोलॉजिकल, टॉक्सिकोलॉजिकल और फॉरेंसिक लैब में भेजा गया। इस पूरे मामले की गहराई से जांच करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि हाथियों की मौत का एक संभावित कारण ‘मायकोटॉक्सिन’ हो सकता है, जो कोदो के साथ जुड़ा हुआ है। जब कोदो में फंगस का संक्रमण होता है, तो यह जहरीला हो जाता है।
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
राज्य के वन मंत्री ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “यह एक जांच का मामला है, और इस विषय पर एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है। हम भविष्य में हाथियों की सुरक्षा के लिए व्यवस्था कर रहे हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी हर मुद्दे पर राजनीति करने की आदत रखती है।
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस पार्टी ने इस घटना को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उन्होंने कहा कि “नवरात्रि के दौरान बेटियों के साथ दुष्कर्म हो रहे हैं और दीवाली के मौके पर हाथियों, जो गणेश जी के प्रतीक हैं, की मौत हो रही है। जंगल में जानवर सुरक्षित नहीं हैं और राज्य में बेटियाँ भी सुरक्षित नहीं हैं।”
घटना का विस्तृत विवरण
29 अक्टूबर की दोपहर, हाथियों की मौत की खबर आने के बाद वन्यजीव अधिकारियों ने क्षेत्र में गहन जांच शुरू की। इस प्रक्रिया में डॉग स्क्वॉड की मदद ली गई। डॉग स्क्वॉड के माध्यम से 7 खेतों और 7 घरों की जांच की गई, और 5 लोगों से पूछताछ की गई।
29 अक्टूबर को चार हाथियों की मौत के बाद, इलाज के दौरान 30 अक्टूबर को चार और हाथियों की मौत हुई। इस प्रकार, अब तक 10 हाथियों की मौत हो चुकी है। पोस्ट-मॉर्टम में सामने आया है कि हाथियों के पेट में बड़ी मात्रा में कोदो पाया गया था, जो फंगस के संक्रमण के कारण जहरीला हो गया था।
वन्यजीव संरक्षण की दिशा में कदम
इस घटना ने राज्य सरकार को हाथियों की सुरक्षा को लेकर गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर दिया है। राज्य सरकार ने यह वादा किया है कि भविष्य में हाथियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों की मौत की घटना न केवल वन्यजीवों के लिए बल्कि पूरे राज्य के लिए एक गंभीर चेतावनी है। इसने कांग्रेस पार्टी को राजनीतिक आरोप लगाने का मौका दिया है, और यह स्पष्ट है कि राज्य में सुरक्षा की स्थिति को लेकर गहरी चिंता है। सभी पक्षों के लिए यह जरूरी है कि वे इस मामले की गहराई से जांच करें और हाथियों तथा अन्य जानवरों के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाएं।
इस घटना ने न केवल वन्यजीवों की सुरक्षा की दिशा में सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी दर्शाया है कि राजनीति और सुरक्षा के मुद्दों को एक साथ कैसे संबोधित किया जा सकता है। केवल समय ही बताएगा कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाएगी।