मध्यप्रदेश में IAS अधिकारियों के रातों-रात ट्रांसफर पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, भाजपा ने दिया जवाब
मध्यप्रदेश में एक बार फिर से 24 से अधिक भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारियों के ट्रांसफर किए गए हैं, और यह भी रात के समय हुआ है। इस बार की ट्रांसफर लिस्ट में मुख्यमंत्री मोहन यादव के दोनों प्रमुख सचिवों के नाम भी शामिल हैं। इस रात के समय हुए ट्रांसफर पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं और इसे लेकर तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं।
कांग्रेस ने उठाए सवाल
कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आरोप लगाया है कि रात के अंधेरे में ‘ट्रांसफर उद्योग’ पूरी ताकत से चल रहा है और इसने प्रशासनिक तंत्र को हिलाकर रख दिया है। पटवारी का कहना है कि यह निरंतर होने वाले ट्रांसफर नियमों का उल्लंघन करते हैं और इससे सरकार की कमजोरी और अनिर्णय की स्थिति उजागर होती है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस तरह के आदेश सरकार की डरपोक और अस्थिर स्थिति को दर्शाते हैं, जिससे प्रशासन में अव्यवस्था फैल रही है।
भा.ज.पा. का पलटवार
भा.ज.पा. ने पटवारी के आरोपों का कड़ा विरोध किया है। भाजपा नेता राजपाल सिंह ने आरोप लगाया कि जीतू पटवारी अब तक के सबसे असफल राज्य अध्यक्ष साबित हुए हैं और शायद उन्हें कांग्रेस सरकार के समय का भूल गया है। सिंह ने याद दिलाया कि कमलनाथ सरकार के दौरान सिर्फ 15 महीने में ट्रांसफर उद्योग चरम पर था, जब एक अधिकारी को एक महीने में तीन बार ट्रांसफर किया जाता था।
राजपाल सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा किए गए ट्रांसफर नियमों के अनुसार हैं और कांग्रेस सरकार के समय हुए अव्यवस्थित ट्रांसफर की तुलना में इन ट्रांसफरों में कोई अनियमितता नहीं है। भाजपा नेता ने यह भी कहा कि जीतू पटवारी को शायद मध्यप्रदेश के विकास से कोई समस्या है, यही कारण है कि वे इस तरह के झूठे आरोप लगा रहे हैं।
मध्यप्रदेश में ट्रांसफर की नीति
भा.ज.पा. का कहना है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में अब तक सबसे कम ट्रांसफर हुए हैं और सभी ट्रांसफर नियमों के तहत किए गए हैं। भाजपा के अनुसार, इन ट्रांसफरों का उद्देश्य प्रशासन की कार्यकुशलता को बढ़ाना और जनता के हितों को ध्यान में रखना है। भाजपा प्रवक्ता राजपाल सिंह ने यह भी कहा कि कांग्रेस को हर आदेश में राजनीति दिखने लगी है, खासकर जब से मध्यप्रदेश में उपचुनाव हो रहे हैं।
कांग्रेस का विरोध जारी
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार अपने कार्यों में पूरी तरह से पारदर्शी नहीं है और ट्रांसफर के आदेशों को रात के समय इसलिए जारी किया जा रहा है ताकि विपक्षी दल को इनका विरोध करने का समय न मिल सके। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इससे प्रदेश में प्रशासनिक ढांचा कमजोर हो रहा है और इससे राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बन सकता है।
भा.ज.पा. का स्पष्टीकरण
भा.ज.पा. ने कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि सरकार द्वारा जारी किए गए ट्रांसफर आदेश जनता के हित में हैं और किसी भी प्रकार की राजनैतिक साजिश के तहत नहीं किए गए हैं। भाजपा ने कहा कि उपचुनाव के चलते कांग्रेस को हर मामले में राजनीति दिखाई देती है, जबकि सरकार की प्राथमिकता हमेशा प्रदेश के विकास और जनकल्याण रही है।
मध्यप्रदेश में IAS अधिकारियों के ट्रांसफर पर उठ रहे सवाल राजनीतिक बहस को और तेज कर रहे हैं। जहां एक तरफ कांग्रेस इसे ‘ट्रांसफर उद्योग’ और सरकार की कमजोर नीतियों का परिणाम मान रही है, वहीं भाजपा का कहना है कि यह सब नियमों के तहत हो रहा है और इनका उद्देश्य प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था को दुरुस्त करना है। अब देखना यह है कि इस विवाद में आगे क्या नया मोड़ आता है और किसकी दलील को जनता ज्यादा सही मानती है।