CM योगी का निर्देश: टेलीमेडिसिन से जोड़े जाएंगे सभी मेडिकल कॉलेज

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU), संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SGPGI), और डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से टेलीमेडिसिन के माध्यम से जोड़ने का निर्देश दिया है। यह पहल विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाओं को इन संस्थानों से लेकर राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों तक पहुंचाने के लिए की जा रही है। मुख्यमंत्री का मानना है कि इस कदम से प्रदेश भर के मरीजों को बेहतर इलाज की सुविधा मिलेगी।
टेलीमेडिसिन के जरिए विशेषज्ञ उपचार की सुविधा
मुख्यमंत्री ने यह निर्देश दिया कि मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विशेषज्ञों से सलाह लेने का मौका मिले। यह पहल एक हब-एंड-स्पोक मॉडल पर आधारित होगी, जिसमें मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टर अपनी विशेषज्ञता से बाहर की राय के लिए उच्च गुणवत्ता वाले विशेषज्ञों से संपर्क कर सकेंगे। इस कदम से न केवल इलाज की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि मरीजों को उनके इलाज के लिए राजधानी लखनऊ या अन्य बड़े शहरों तक यात्रा करने की आवश्यकता भी कम हो जाएगी।
ऑर्गन ट्रांसप्लांट सुविधाओं का विस्तार और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति पर समीक्षा
सीएम योगी ने मेडिकल सेवाओं की स्थिति की समीक्षा करते हुए राज्य भर में अंग प्रत्यारोपण की सुविधाओं को बढ़ाने की भी निर्देश दिया। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रत्येक जिले में इस तरह की सेवाओं को उचित रूप से उपलब्ध कराया जाए, ताकि जरूरतमंद मरीजों को समय पर मदद मिल सके। इसके अलावा, सीएम ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस दिशा में सुधार के लिए जिला स्तर पर निरीक्षण करेगी और किसी भी कमी को दूर किया जाएगा।
झांसी मेडिकल कॉलेज में आग की घटना के बाद सुरक्षा उपायों पर जोर
झांसी मेडिकल कॉलेज में हाल ही में हुई आग की घटना के बाद, मुख्यमंत्री ने सभी सरकारी अस्पतालों को कठोर अग्नि सुरक्षा उपायों को लागू करने का निर्देश दिया। उन्होंने आग से बचाव के उपायों के लिए अस्पतालों के अग्नि सुरक्षा ऑडिट भी कराए जाने को कहा। इस कदम से यह सुनिश्चित होगा कि अस्पतालों में आग की कोई भी अप्रत्याशित घटना होने पर अस्पताल में काम करने वाले और आने वाले मरीज सुरक्षित रहेंगे। साथ ही, उन्होंने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत अस्पतालों को समय पर भुगतान करने के निर्देश दिए।
टीबी मरीजों के इलाज के लिए सार्वजनिक प्रतिनिधियों से समर्थन की अपील
CM योगी आदित्यनाथ ने तपेदिक (टीबी) मरीजों के इलाज को लेकर सार्वजनिक प्रतिनिधियों से समर्थन की अपील की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार टीबी मरीजों के इलाज की दिशा में पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और इस बीमारी को समाप्त करने के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं। इस संदर्भ में, उन्होंने टीबी मरीजों के इलाज को प्राथमिकता देने का आह्वान किया, ताकि इस गंभीर बीमारी से निपटने में मदद मिल सके।
डीजल, जापानी इन्फ्लूएंजा, और AES के मामलों में कमी की उपलब्धि
मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की उपलब्धियों पर भी जोर दिया, विशेष रूप से डेंगू, जापानी इन्फ्लूएंजा (JE), और तीव्र इन्फ्लूएंजा सिंड्रोम (AES) के मामलों में कमी लाने की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इन बीमारियों के प्रसार को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है, और यह स्वास्थ्य प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के प्रयासों का परिणाम है। साथ ही, उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता बनी रहे और एम्बुलेंस सेवाओं को बेहतर किया जाए, ताकि रोगियों को त्वरित सहायता मिल सके।
आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन और रात्रि आश्रय में सुधार
मुख्यमंत्री ने आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत परियोजनाओं की गुणवत्ता और समयबद्धता पर भी ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस मिशन के तहत सभी परियोजनाएं समय पर पूरी की जाएं और सुनिश्चित किया जाए कि डिजिटल स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदेश के हर कोने तक पहुंचें। इसके अलावा, उन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में रात्रि आश्रय की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए, ताकि मरीजों के रिश्तेदारों को भी वहां रहने की सुविधा मिल सके।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए इन निर्देशों से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इन पहलों से न केवल प्रदेश में चिकित्सा सुविधाओं में सुधार होगा, बल्कि लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं का लाभ मिलेगा। इन कदमों से उत्तर प्रदेश में चिकित्सा क्षेत्र की स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार होगा और प्रदेशवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त होंगी।