CJI DY Chandrachud ने वकीलों को फटकार लगाई, कहा- “मेरी विश्वसनीयता है दांव पर”
भारतीय न्यायपालिका में न्यायाधीशों की भूमिका न केवल न्याय प्रदान करना होती है, बल्कि कानूनी प्रक्रियाओं का सही पालन कराना भी होता है। हाल ही में, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) DY Chandrachud ने वकीलों के एक नए रुख पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि कुछ वकील एक ही मामले को बार-बार अदालत में लाकर तिथियां मांग रहे हैं, जिससे न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठने लगा है।
वकीलों की नई प्रथा पर CJI का असंतोष
CJI Chandrachud ने कहा कि यह एक नई प्रथा बन गई है, जिसमें वकील बार-बार एक ही मामले को पेश कर रहे हैं, और जब न्यायाधीश थोड़ी भी देरी करते हैं, तो वे अगली सुनवाई की तारीख प्राप्त कर लेते हैं। CJI ने इस प्रवृत्ति की कड़ी निंदा की और कहा कि यह न्यायालय को “मैनिपुलेट” करने का प्रयास है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इस संबंध में, एक बेंच जिसमें CJI Chandrachud, न्यायमूर्ति JB पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे, ने एक मामले की सुनवाई की, जिसमें एक वकील की खनन पट्टा समाप्ति का मुद्दा उठाया गया था। जब पता चला कि यह मामला पहले भी पेश किया गया था, तो CJI ने अपनी नाराजगी व्यक्त की।
व्यक्तिगत विश्वसनीयता का प्रश्न
CJI ने कहा, “मेरी व्यक्तिगत विश्वसनीयता दांव पर है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि अदालत में एक समान प्रक्रिया का पालन होना चाहिए और किसी भी वकील को यह अधिकार नहीं है कि वे अपनी सुविधा के अनुसार मामलों को पेश करें। CJI ने यह भी कहा कि उनकी छोटी सी विवेकाधिकार कभी भी वकीलों के पक्ष में इस्तेमाल नहीं की जाएगी।
CJI ने आगे कहा कि “आप कोर्ट को धोखा नहीं दे सकते। मैं सभी के लिए मानक नियमों का पालन करना चाहता हूं।” यह संकेत दिया गया कि न्यायपालिका की इमेज और विश्वसनीयता को बनाए रखना सर्वोपरि है।
वकीलों को दी गई चेतावनी
CJI ने कई हालिया सुनवाई में वकीलों को फटकार लगाई है, जिन्होंने एक के बाद एक मामले का जिक्र किया। उन्होंने सभी वकीलों से अनुरोध किया कि वे उचित प्रक्रिया का पालन करें, आवेदन दाखिल करें और मामले को उसी के अनुसार उठाएं।
यह स्पष्ट है कि न्यायपालिका की प्रक्रिया को सुरक्षित और निष्पक्ष बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि वकील उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करें। बार-बार एक ही मामले का उल्लेख करने से न केवल न्यायपालिका का समय बर्बाद होता है, बल्कि इससे अन्य मामलों में न्याय की प्रक्रिया में भी देरी हो सकती है।
न्यायपालिका की चुनौतियाँ
इस घटनाक्रम ने न्यायपालिका के समक्ष कई चुनौतियाँ पेश की हैं। भारत में न्यायाधीशों की संख्या सीमित है, और ऐसे में, वकीलों द्वारा एक ही मामले को बार-बार उठाने से मामलों की सुनवाई में काफी देरी हो सकती है। इससे न्याय की धीमी प्रक्रिया के बारे में आम जनता का विश्वास भी प्रभावित हो सकता है।