सिगरेट गई बीते जमाने में, अब वेपिंग का क्रेज़! लेकिन क्या यह वाकई है कम खतरनाक?

आजकल युवाओं में धुएं के छल्ले उड़ाने का शौक बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। चाहे वह चाय की दुकान हो या ऑफिस के बाहर की कोई छोटी सी कैंटीन, युवा हाथ में सिगरेट लिए नजर आ ही जाते हैं। कुछ लोग इसे तनाव दूर करने का तरीका मानते हैं तो कुछ इसे स्टाइल या आदत का हिस्सा बना चुके हैं। लेकिन अब सिगरेट या बीड़ी से आगे बढ़कर वेपिंग यानी ई-सिगरेट का जमाना आ गया है। इस हाईटेक आदत ने नई पीढ़ी को अपनी तरफ तेजी से खींचा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वेपिंग वास्तव में सिगरेट से कम खतरनाक है या यह भी सेहत के लिए गंभीर खतरा है।
क्या है स्मोकिंग और वेपिंग में फर्क?
स्मोकिंग यानी सिगरेट या बीड़ी पीना, जिसमें तंबाकू को जलाया जाता है और उसका धुआं मुंह के जरिए शरीर में लिया जाता है। इस धुएं में निकोटीन, टार, कार्बन मोनोऑक्साइड और 70 से ज्यादा कैंसर पैदा करने वाले रसायन होते हैं। ये सभी शरीर के फेफड़ों से लेकर दिमाग और हृदय तक को नुकसान पहुंचाते हैं। दूसरी ओर, वेपिंग एक इलेक्ट्रॉनिक तरीका है जिसमें ई-सिगरेट, वेप पेन या पॉड डिवाइस का उपयोग होता है। इसमें तंबाकू को जलाया नहीं जाता बल्कि एक खास लिक्विड को गर्म कर भाप बनाई जाती है और उसे अंदर लिया जाता है। इसमें भी निकोटीन, फ्लेवर और अन्य रसायन शामिल होते हैं।
क्या वेपिंग सिगरेट से सुरक्षित है?
यह सवाल आज हर युवा के मन में है। दिखने में भले ही वेपिंग कम खतरनाक लगे क्योंकि इसकी गंध हल्की या सुगंधित होती है और कपड़ों में नहीं बसती लेकिन इसके अंदर मौजूद रसायन भी नुकसानदायक होते हैं। जहां स्मोकिंग में 7000 से ज्यादा रसायन होते हैं, वहीं वेपिंग में 100 से 200 तक रसायन होते हैं। इनमें से कई रसायन शरीर के लिए सुरक्षित नहीं माने जाते। वेपिंग से सांस लेने में दिक्कत, हृदय रोग और निकोटीन की लत लगने का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। इसके अलावा वेपिंग करने वालों में कैंसर और फेफड़ों की सूजन जैसे मामले भी सामने आ रहे हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय: दोनों से दूरी ही बेहतर
अधिकतर युवा यह मान बैठते हैं कि वेपिंग सुरक्षित है और इसीलिए इसकी लत तेजी से बढ़ रही है। लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि वेपिंग को सुरक्षित मानना पूरी तरह गलत है। WHO और CDC जैसी संस्थाओं ने भी इसे शरीर के लिए नुकसानदायक माना है। हाल ही में हुए कई शोधों में यह सामने आया है कि वेपिंग करने वाले युवाओं में फेफड़ों की गंभीर बीमारियां और निकोटीन की लत तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञ साफ कहते हैं कि एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए न केवल स्मोकिंग बल्कि वेपिंग से भी दूर रहना जरूरी है। तंबाकू किसी भी रूप में हो, शरीर को धीरे-धीरे अंदर से खोखला करता है।