राज्योत्सव में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का अनोखा अंदाज, ढोलक बजाकर कलाकारों के साथ नृत्य किया
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस (राज्योत्सव) का आयोजन 4 नवंबर से 6 नवंबर तक राज्य के सभी जिलों में धूमधाम से किया जा रहा है। राजधानी रायपुर (नया रायपुर) समेत राज्यभर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राज्योत्सव के दौरान एक अलग ही अंदाज में अपनी सहभागिता दिखाई, जो चर्चा का विषय बन गया। मुख्यमंत्री ने पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्रों ढोलक, तबला और मंदर की धुनों पर कलाकारों के साथ नृत्य करते हुए छत्तीसगढ़ी कला और संस्कृति के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की।
मुख्यमंत्री का पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ नृत्य
राज्योत्सव के कार्यक्रम के दौरान जब कलाकार पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ नृत्य कर रहे थे, तो मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय खुद को रोक नहीं सके। उन्होंने ढोलक को गले में डाला और ढोलक बजाते हुए कलाकारों के साथ नृत्य में शामिल हो गए। मुख्यमंत्री का यह अंदाज देखकर वहां उपस्थित लोग दंग रह गए। कलाकारों ने भी यह अप्रत्याशित कदम देखकर न सिर्फ सीएम की तारीफ की, बल्कि उनके साथ नृत्य करके उनका उत्साह भी दोगुना हो गया।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का यह कदम छत्तीसगढ़ी कला और संस्कृति के प्रति उनके गहरे लगाव को दर्शाता है। मुख्यमंत्री का आदिवासी समाज से ताल्लुक है, ऐसे में उनके लिए पारंपरिक वाद्ययंत्र और नृत्य की धुनों पर थिरकना एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी। राज्य के प्रमुख नेता का इस प्रकार का भागीदारी दिखाना, राज्य की सांस्कृतिक धरोहर के प्रति उनकी संवेदनशीलता को उजागर करता है।
राज्योत्सव की धूम
राज्योत्सव का आयोजन हर साल छत्तीसगढ़ के स्थापना दिवस के अवसर पर होता है, जिसे राज्य के सांस्कृतिक धरोहर, परंपराओं और जनजीवन की अनूठी पहचान के रूप में मनाया जाता है। यह उत्सव राज्यवासियों के लिए गर्व का अवसर होता है, जिसमें राज्य के विकास की उपलब्धियों का जश्न मनाया जाता है। इस वर्ष राज्योत्सव 4 से 6 नवंबर तक मनाया जा रहा है, जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक और क्रीड़ात्मक कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के द्वारा इस उत्सव में अपने प्रदर्शन से राज्य की सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा दिया गया है। राज्य की पारंपरिक नृत्य और संगीत ने न केवल राज्यवासियों को जोड़ने का काम किया, बल्कि देशभर में छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत किया है।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का कार्यक्रम में योगदान
राज्योत्सव के पहले दिन पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। डॉ. रमन सिंह ने राज्य के गठन से लेकर अब तक हुए विकास कार्यों की सराहना की और छत्तीसगढ़ राज्य के समग्र विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं की भूमिका पर प्रकाश डाला।
दूसरे दिन, राज्यपाल रमण डेका भी राज्योत्सव के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल हुए और राज्य की प्रगति की सराहना की। राज्योत्सव में इस अवसर पर राज्य के विकास में योगदान देने वाले विभिन्न लोगों को सम्मानित भी किया गया।
राज्योत्सव में अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान
राज्योत्सव के इस कार्यक्रम के दौरान, राज्य के गठन के श्रेय को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को दिया गया। अटल जी के नेतृत्व में ही छत्तीसगढ़ राज्य के गठन की योजना बनाई गई थी, और उन्होंने छोटे राज्यों के निर्माण के जरिए विकास को प्राथमिकता दी थी। उनकी दूरदर्शिता के कारण ही आज छत्तीसगढ़ एक समृद्ध राज्य बन चुका है। राज्योत्सव के कार्यक्रम में अटल बिहारी वाजपेयी की यादें ताज की गईं और उनके योगदान को सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री का पारंपरिक कला और संस्कृति के प्रति प्यार
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का यह कदम राज्य की कला और संस्कृति के प्रति उनके प्यार और सम्मान को साफ तौर पर प्रदर्शित करता है। आदिवासी समाज से ताल्लुक रखने वाले मुख्यमंत्री ने अपने ढोलक बजाने और नृत्य करने के जरिए यह दिखा दिया कि वे सिर्फ एक राजनीतिक नेता नहीं, बल्कि अपनी सांस्कृतिक धरोहर से गहरे जुड़े हुए हैं। यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण अवसर था, जिसमें उन्होंने राज्य की विविध सांस्कृतिक धारा से अपनी पहचान को जोड़ते हुए आम जनता के बीच एक सहज और सरल नेता के रूप में अपनी छवि बनाई।
राज्योत्सव और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर
राज्योत्सव का उद्देश्य सिर्फ राज्य के विकास का जश्न मनाना नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित करना और उसे बढ़ावा देना है। राज्योत्सव में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें छत्तीसगढ़ी लोक कला, संगीत, नृत्य और काव्य का प्रदर्शन किया जाता है। यह राज्य के युवाओं को अपनी संस्कृति से जुड़ने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेना और ढोलक बजाना इस बात का प्रतीक है कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत केवल एक समारोह नहीं, बल्कि राज्य के प्रत्येक नागरिक की पहचान है।