हापुड़ अड्डा क्षेत्र में बाल श्रम के खिलाफ कार्रवाई, 11 बच्चों को मुक्त कराया

व्यापार बंधु की बैठक में शहर के चौराहों पर बच्चों से भिक्षावृत्ति कराने और दुकानों पर बाल मजदूरी कराए जाने की शिकायतें सामने आईं। इन शिकायतों के बाद जिलाधिकारी के निर्देश पर श्रम विभाग और एएचटीयू (एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट) की संयुक्त टीम ने कार्रवाई शुरू की। सोमवार को हापुड़ अड्डा चौराहे के आसपास की दुकानों पर निरीक्षण के दौरान आठ दुकानों पर 11 किशोर मजदूर काम करते हुए पाए गए।
मेडिकल जांच के बाद परिजनों को सौंपा गया
इन सभी बच्चों की पहचान कर उनकी मेडिकल जांच कराई गई और उन्हें उनके परिजनों को सौंप दिया गया। श्रम विभाग ने इन बच्चों से काम करवाने वाले सभी आठ दुकानदारों को नोटिस जारी किया है और उनके खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर किया जाएगा।
संयुक्त टीम ने की कार्रवाई
सहायक श्रम आयुक्त अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि जिले में बाल मजदूरी के उन्मूलन, रिहाई और पुनर्वास के लिए श्रम विभाग और एएचटीयू की संयुक्त टीम द्वारा कार्रवाई की गई। इस दौरान न्यू विम्को ऑटोमोबाइल, ए-वन हलीम बिरयानी, मुंबई ऑटोमोबाइल रिपेयरिंग और स्पेयर पार्ट्स, अब्दुल्ला ऑटो सर्विस सेंटर, अल सुब्हान होटल, यूनाइटेड ऑयल एंड रिपेयर्स, हाजी शहजाहान हापुड़ रोड और धमाका सेल हापुड़ अड्डा चौराहे के आसपास स्थित आठ प्रतिष्ठानों पर 11 किशोर मजदूर काम करते पाए गए।
दुकानदारों को नोटिस जारी
सभी बच्चों की पहचान के बाद उनकी मेडिकल जांच कराई गई। इसके बाद उन्हें उनके परिजनों को सौंप दिया गया। उप श्रम आयुक्त राजीव कुमार सिंह ने बताया कि बाल मजदूरी कराने वाले प्रतिष्ठानों के खिलाफ नोटिस जारी किए जा रहे हैं। इन मामलों की सुनवाई सीजेएम कोर्ट में होती है।
बाल श्रम अधिनियम के तहत सजा और जुर्माने का प्रावधान
बाल और किशोर श्रम (प्रतिबंध और विनियमन) अधिनियम 1986 की धारा 03(1) और 03(ए) के उल्लंघन के लिए दोषी पाए गए नियोक्ताओं के खिलाफ 06 महीने से 02 साल तक की जेल या 20 हजार से 50 हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है।
बाल मजदूरी का उन्मूलन: जिला प्रशासन की पहल
जिलाधिकारी के निर्देश पर जिला प्रशासन ने बाल मजदूरी के उन्मूलन के लिए गंभीर कदम उठाए हैं। इस अभियान का उद्देश्य न केवल बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराना है, बल्कि उन्हें पुनर्वासित कर उनका भविष्य सुरक्षित करना भी है।
बाल श्रम उन्मूलन में समाज की भूमिका
बाल मजदूरी एक गंभीर सामाजिक समस्या है जो केवल प्रशासनिक कार्रवाई से समाप्त नहीं की जा सकती। इसके लिए समाज के हर वर्ग को जागरूक होना जरूरी है। अभिभावकों, शिक्षकों और स्थानीय संगठनों को इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
बाल मजदूरी के खिलाफ सख्त कानून की जरूरत
बाल मजदूरी के उन्मूलन के लिए कानून को और सख्त बनाने की जरूरत है। नियोक्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और बच्चों को शिक्षित और पुनर्वासित करने के लिए ठोस योजनाओं का क्रियान्वयन जरूरी है।
बाल मजदूरी का असर: बच्चों का भविष्य दांव पर
बाल मजदूरी के कारण बच्चे अपनी पढ़ाई और खेल-कूद से वंचित रह जाते हैं। इसके अलावा, इससे उनका मानसिक और शारीरिक विकास भी प्रभावित होता है। बाल मजदूरी के खिलाफ यह अभियान बच्चों को उनके अधिकार दिलाने और उन्हें एक उज्जवल भविष्य देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मेरठ में बाल मजदूरी के खिलाफ जिला प्रशासन द्वारा शुरू की गई यह सख्त कार्रवाई सराहनीय है। यह अभियान न केवल बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराएगा, बल्कि उनके पुनर्वास और शिक्षित करने के प्रयासों को भी बल देगा। समाज और प्रशासन के संयुक्त प्रयास से ही बाल मजदूरी को पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है।