दुकान से युवक का अपहरण, जंगल में मारपीट, कैमरों में कैद वारदात और थाने में बदल दी गई कहानी

Dainikmediaauditor.in शिवपुरी शहर में कानून-व्यवस्था पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र के आर्य समाज रोड पर स्थित कपड़ों की दुकान से एक युवक को दिनदहाड़े जबरन उठाकर कार में अगवा करने, जंगल में ले जाकर बेरहमी से मारपीट करने और फिर पुलिस द्वारा अपहरण की जगह मामूली धाराओं में मामला दर्ज करने का आरोप सामने आया है। पूरी घटना सीसीटीवी कैमरों और मोबाइल वीडियो में कैद है, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद पीड़ित को न्याय के लिए एसपी कार्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
आर्य समाज रोड पर ‘द ओरिजनल’ नाम से कपड़ों की दुकान चलाने वाले अविनाश धाकड़ ने बताया कि 11 दिसंबर की शाम करीब 6 बजे वह अपनी दुकान पर मौजूद था। तभी ब्लैक कलर की स्कॉर्पियो गाड़ी में सवार होकर रूपसिंह रावत, गिरिराज रावत, जस्सी सरदार सहित पांच लोग उसकी दुकान पर पहुंचे। आरोप है कि बिना किसी विवाद या बातचीत के उसे जबरन दुकान से खींचकर गाड़ी में पटका गया। आसपास मौजूद लोग कुछ समझ पाते, उससे पहले गाड़ी तेज रफ्तार में मौके से निकल गई। दुकान से युवक को उठाकर ले जाते हुए दृश्य पास के कैमरों में रिकॉर्ड हो गए, जो बाद में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुए।
अविनाश के मुताबिक आरोपी उसे शिवपुरी से बाहर सुरवाया की ओर ले गए और जंगल में गाड़ी रोककर उसकी जमकर मारपीट की। उसने बताया कि इसी दौरान उसके दोस्तों ने घटना की सूचना सिटी कोतवाली पुलिस को दी। मारपीट के बीच ही कोतवाली से आरोपियों के पास फोन आया, जिसमें कथित तौर पर कहा गया कि “लड़के को वापस लेकर आओ।” इसके बाद आरोपी उसे वापस शिवपुरी लाए, लेकिन सीधे थाने न ले जाकर फिजिकल क्षेत्र में एक वकील के पास ले गए, जहां उससे कोरे कागजों पर जबरन साइन कराने का दबाव बनाया गया। अविनाश का कहना है कि किसी तरह मौका पाकर वह वहां से भाग निकला और अपनी जान बचाई।
पूरा मामला जमीन के एग्रीमेंट से जुड़ा बताया जा रहा है। अविनाश धाकड़ के अनुसार उसने सिंह निवास निवासी रूपसिंह रावत से जमीन का एग्रीमेंट कराया था और करीब 10 लाख रुपये एडवांस दिए थे। तय समय निकल जाने के बाद भी जब रजिस्ट्री नहीं करवाई गई तो उसने अपने पैसे वापस मांगे। आरोप है कि इस पर उसे गाली-गलौज की गई। इसके बाद उसने कानूनी रास्ता अपनाते हुए कोर्ट से नोटिस भिजवाया, जिससे नाराज होकर आरोपियों ने उसे सरेआम उसकी दुकान से अगवा कर लिया।
सबसे गंभीर आरोप पुलिस की भूमिका को लेकर हैं। अविनाश का कहना है कि उसने पूरी घटना की जानकारी देने के बावजूद सिटी कोतवाली पुलिस ने अपहरण की धारा दर्ज नहीं की। आधी रात के बाद उसकी रिपोर्ट लिखी गई, लेकिन उसमें मारपीट और सामान्य धाराएं जोड़ दी गईं, जबकि दुकान से उठाने, जबरन गाड़ी में ले जाने और घंटों बंधक बनाए रखने जैसी गंभीर बातें नजरअंदाज कर दी गईं। पीड़ित का यह भी आरोप है कि घटना में इस्तेमाल की गई स्कॉर्पियो गाड़ी पुलिस के पास होने के बावजूद आरोपी खुलेआम कोतवाली के बाहर घूमते रहे।
इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अपहरण का वीडियो सार्वजनिक होने, पीड़ित के शरीर पर चोटों के निशान होने और घटनाक्रम के कई प्रत्यक्ष सबूत सामने आने के बावजूद मामला साधारण मारपीट में समेटने की कोशिश की गई। यही कारण है कि पीड़ित युवक न्याय की गुहार लगाने सीधे पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचा और सिटी कोतवाली पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।
शिवपुरी में यह कोई पहला मामला नहीं है जब गंभीर अपराध को हल्की धाराओं में बदलने के आरोप लगे हों। लेकिन इस घटना में दुकान से उठाने का वीडियो, जंगल में मारपीट का बयान और जबरन साइन कराने के आरोप इस मामले को और भी गंभीर बना देते हैं। सवाल यह है कि अगर कैमरों में कैद अपहरण भी अपहरण नहीं माना जाएगा, तो आम नागरिक खुद को सुरक्षित कैसे माने। पीड़ित को अब भी इंतजार है कि उसकी शिकायत पर निष्पक्ष जांच हो, अपहरण की धाराएं जुड़ें और कानून अपना काम करे, न कि ताकतवर लोगों के हिसाब से कहानी बदली जाए।






