मेरठ में वर्षों पुरानी मस्जिद हटाई गई, मुस्लिम समुदाय की सहमति से हुआ निर्माण कार्य सुचारू

मेरठ में बन रहे रैपिड रेल कॉरिडोर के निर्माण में बाधा बन रही एक वर्षों पुरानी मस्जिद को प्रशासन ने मुस्लिम समुदाय की सहमति से हटा दिया। अधिकारियों ने शनिवार को इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि मस्जिद प्रबंधन और मुस्लिम समुदाय के सदस्यों से विचार-विमर्श के बाद शुक्रवार को इस मस्जिद को हटाने की प्रक्रिया संपन्न हुई।
मेरठ के अपर जिला मजिस्ट्रेट (सिटी) बृजेश कुमार सिंह ने जानकारी दी कि यह मस्जिद रैपिड रेल प्रोजेक्ट के रास्ते में आ रही थी, जिसके चलते इसे हटाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने खुद इस मस्जिद को हटाने की पहल की।
मस्जिद को हटाने की प्रक्रिया
अधिकारियों के मुताबिक, शुरुआत में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने खुद मस्जिद को हटाने के लिए हथौड़ों का इस्तेमाल किया। बाद में, जब ज्यादातर ढांचा हटा दिया गया, तो प्रशासन ने रात के समय बुलडोज़र का उपयोग कर ढांचे को पूरी तरह गिरा दिया। इस दौरान मौके पर मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया कि पूरी प्रक्रिया शांतिपूर्ण और आपसी सहमति से हो।
प्रशासन ने मस्जिद को हटाने के साथ ही उसके मलबे को भी पूरी तरह से साफ कर दिया, जिससे निर्माण कार्य बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ सके।
आपसी सहमति से लिया गया निर्णय
अपर जिला मजिस्ट्रेट (सिटी) बृजेश कुमार सिंह ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए गए बयान में कहा, “मस्जिद को हटाने की प्रक्रिया मुस्लिम समुदाय की सहमति से पूरी की गई। समुदाय के लोगों ने खुद मस्जिद को हटाने का फैसला लिया और हमने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के अधिकारियों के साथ बैठक कर इस पर चर्चा की।”
मस्जिद की ऐतिहासिकता को लेकर भिन्न मत
जब सिंह से मस्जिद की उम्र के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों के अलग-अलग मत हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह मस्जिद लगभग 80 साल पुरानी थी, जबकि कुछ इसे 168 साल पुरानी बताते हैं। हालांकि, प्रशासन ने इस विषय पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
बिजली आपूर्ति और अन्य व्यवस्थाओं को हटाया गया
स्थानीय निवासियों के अनुसार, शुक्रवार को पहली बार मस्जिद में जुमे की नमाज नहीं पढ़ी जा सकी, क्योंकि प्रशासन ने पहले ही मस्जिद की बिजली आपूर्ति काट दी थी और इसके मुख्य गेट को भी हटा दिया था। मस्जिद प्रबंधन और स्थानीय समुदाय को इसकी जानकारी पहले ही दे दी गई थी, ताकि किसी भी तरह की असुविधा न हो।
विकल्प की कोई मांग नहीं, नई जगह आवंटन पर कोई निर्णय नहीं
जब प्रशासन से मस्जिद को दूसरी जगह स्थानांतरित करने के बारे में पूछा गया, तो सिंह ने स्पष्ट किया कि अभी तक मुस्लिम समुदाय की ओर से वैकल्पिक स्थान की कोई मांग नहीं की गई है। उन्होंने कहा, “अब तक मस्जिद के लिए कोई वैकल्पिक भूमि प्रदान करने का निर्णय नहीं लिया गया है और न ही मुस्लिम समुदाय की ओर से इस संबंध में कोई अनुरोध किया गया है।”
प्रशासन और समुदाय के बीच सौहार्दपूर्ण बातचीत
प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि मस्जिद को हटाने से पहले स्थानीय समुदाय, मस्जिद के इमाम और प्रबंधन से कई दौर की वार्ताएं हुईं। सभी पक्षों को यह समझाया गया कि रैपिड रेल कॉरिडोर के निर्माण कार्य के लिए यह आवश्यक है। लंबी चर्चा के बाद, मस्जिद प्रबंधन ने स्वेच्छा से इसे हटाने पर सहमति जता दी।
रैपिड रेल परियोजना की अहमियत
रैपिड रेल कॉरिडोर परियोजना दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) का हिस्सा है। यह परियोजना दिल्ली और मेरठ के बीच यात्रा के समय को कम करने के लिए बनाई जा रही है। वर्तमान में इस परियोजना के तहत तेजी से निर्माण कार्य जारी है। प्रशासन का कहना है कि परियोजना के सुचारू रूप से आगे बढ़ने के लिए आवश्यक था कि मार्ग में आने वाले सभी बाधाओं को हटाया जाए।
स्थानीय प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासियों ने प्रशासन के इस कदम को मिलाजुला समर्थन दिया है। कुछ लोगों ने इसे विकास कार्य के लिए आवश्यक बताया, तो कुछ ने इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़कर देखा। हालांकि, प्रशासन ने यह स्पष्ट किया कि मस्जिद को केवल आपसी सहमति से ही हटाया गया है और किसी भी तरह की जबरदस्ती नहीं की गई।
मेरठ में रैपिड रेल परियोजना के लिए बाधा बन रही वर्षों पुरानी मस्जिद को मुस्लिम समुदाय की सहमति से हटा दिया गया। इस पूरी प्रक्रिया को प्रशासन ने शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण तरीके से पूरा किया। मस्जिद के स्थानांतरण को लेकर फिलहाल कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है, लेकिन प्रशासन और समुदाय के बीच संवाद जारी है। रैपिड रेल परियोजना के तहत यह एक महत्वपूर्ण कदम था, जिससे मेरठ के विकास में गति आने की उम्मीद है।