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14 लाख की इनामी Naxalite का आत्मसमर्पण, मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने महिला नक्सली सुनीता के आत्मसमर्पण पर पुलिस बल को दी बधाई

Mediaauditor.in भोपाल, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बालाघाट जिले में महिला नक्सली सुनीता के आत्मसमर्पण पर पुलिस बल की सराहना की है और प्रदेश पुलिस को इस बड़ी उपलब्धि के लिए बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह घटना न केवल मध्यप्रदेश की नक्सल विरोधी रणनीति की सफलता का प्रतीक है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति जमीनी स्तर पर प्रभावी हो रही है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बालाघाट क्षेत्र में नक्सल गतिविधियों के विरुद्ध पहले भी पुलिस को उल्लेखनीय सफलता मिली है, और यह आत्मसमर्पण उस दिशा में एक निर्णायक कदम है। 1 नवम्बर को लांजी थाना क्षेत्र के चौरिया कैम्प में महिला नक्सली सुनीता पिता बिसरु ओयाम, निवासी गोमवेटा (जिला बीजापुर, छत्तीसगढ़) ने शासन की आत्मसमर्पण नीति पर भरोसा जताते हुए अपने हथियार INSAS राइफल, तीन मैगज़ीन, 30 जिंदा राउंड्स और एक UBGL शेल के साथ आत्मसमर्पण किया।

सुनीता पर छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में कुल 14 लाख रुपये का इनाम घोषित था। वह मलाजखंड दर्रेकसा दलम की एसीएम (एरिया कमांडर मेंबर) के रूप में सक्रिय थी और पिछले कई वर्षों से मध्यप्रदेश-गोंदिया-राजनांदगांव (GRB) डिवीजन में नक्सली गतिविधियों का संचालन कर रही थी। उसने वर्ष 2022 में माओवादी संगठन से जुड़कर छत्तीसगढ़ के माड़ क्षेत्र में 6 माह का सशस्त्र प्रशिक्षण प्राप्त किया था और इसके बाद सीसी मेंबर रामदेर के गार्ड के रूप में कार्य किया।

डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री  अमित शाह के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश सरकार नक्सल नियंत्रण के लक्ष्य की ओर निरंतर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि प्रदेश पुलिस ने नक्सलवाद के विरुद्ध जो सशक्त अभियान चलाया है, वह कानून व्यवस्था और सामाजिक विश्वास दोनों की दृष्टि से सराहनीय है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सजग है और आने वाले समय में नक्सलवाद को पूर्णतः समाप्त करने के लक्ष्य की प्राप्ति होगी।

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि गत 10 महीनों में लगभग 1.46 करोड़ रुपये के इनामी नक्सलियों को या तो निष्क्रिय किया गया है या उन्होंने आत्मसमर्पण किया है। यह मध्यप्रदेश की नक्सल विरोधी रणनीति की स्पष्ट सफलता है।
राज्य सरकार ने ‘सॉफ्ट टच अप्रोच’ के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए पुनर्वास, शिक्षा, रोजगार और सामाजिक पुनर्स्थापन की सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।

यह आत्मसमर्पण “मध्यप्रदेश आत्मसमर्पण, पुनर्वास सह राहत नीति 2023” के अंतर्गत हुआ है और वर्ष 1992 के बाद पहली बार किसी अन्य राज्य के सशस्त्र नक्सली कैडर ने मध्यप्रदेश शासन के समक्ष हथियार डाले हैं। यह न केवल नीति की सफलता है, बल्कि यह प्रदेश में शांति और विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस और प्रशासन के ‘आउटरीच प्रोग्राम’ के सकारात्मक परिणाम अब सामने आने लगे हैं। पुलिस और आम जनता के बीच संवाद और विश्वास की जो कड़ी बनी है, उसने जंगलों और सीमावर्ती इलाकों में बसे लोगों को नक्सलवाद से दूरी बनाने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सरकार न केवल मुख्यधारा में शामिल कर रही है, बल्कि उनके पुनर्वास और सम्मानजनक जीवन की दिशा में भी ठोस कदम उठा रही है।

डॉ. यादव ने कहा, “मध्यप्रदेश में नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई सिर्फ बंदूक से नहीं, बल्कि संवाद, विश्वास और विकास के रास्ते से भी लड़ी जा रही है। जिन हाथों में कभी हथियार थे, अब वे विकास की गाथा लिख रहे हैं।”

राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि पड़ोसी राज्यों छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में सक्रिय नक्सल समूहों की गतिविधियों पर निरंतर निगरानी रखी जा रही है और किसी भी संदिग्ध गतिविधि को जड़ से खत्म करने के लिए मध्यप्रदेश पुलिस पूरी तरह से सतर्क और सक्षम है।

इस आत्मसमर्पण के साथ ही प्रदेश में नक्सल विरोधी अभियान को नई ऊर्जा मिली है। सुनीता का यह निर्णय उन तमाम भटके हुए युवाओं के लिए भी संदेश है जो हिंसा का रास्ता छोड़कर संविधान और लोकतंत्र की मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं।

मुख्यमंत्री ने अंत में कहा कि यह आत्मसमर्पण केवल एक घटना नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है — उस भारत की, जो हिंसा से नहीं, बल्कि विश्वास और विकास से आगे बढ़ता है।

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