रीवा रेंज में नशा तस्करी का सुपर नेटवर्क बेनकाब! 46 किलो गांजा, पॉलिटिकल लिंक और फरार आरोपी पूरे प्रदेश में मचा भूचाल

रीवा/सतना। क्या रीवा रेंज में नशा तस्करी सिर्फ एक अपराध नहीं बल्कि संगठित नेटवर्क का विशाल जाल बन चुकी है? लगातार सामने आ रही घटनाएँ और गिरफ्तारियाँ इस सवाल को और गंभीर बनाती जा रही हैं। पिछले कुछ महीनों में जिस तरह से नशा तस्करी के कई मामले उजागर हुए हैं उसने न केवल पुलिस-प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए हैं बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी गहरा असर छोड़ा है।
ताज़ा मामले में रीवा रेंज के सतना जिले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर करीब 46 किलो गांजा जब्त किया है। यह कार्रवाई रामपुर बघेलान थाना प्रभारी संदीप चतुर्वेदी के नेतृत्व में की गई। पुलिस के अनुसार उन्हें सूचना मिली थी कि एक वाहन में अवैध मादक पदार्थ की ढुलाई की जा रही है। इसके बाद टीम ने घेराबंदी कर संदिग्ध वाहन को रोका। तलाशी के दौरान कथित तौर पर गांजा बरामद किया गया और वाहन को जब्त कर लिया गया।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान अनिल बागरी पिता जय प्रताप बागरी निवासी हाल भरहुत नगर हरदुआ पंकज सिंह पिता सतेंद्र सिंह निवासी मतहा
के रूप में हुई है।
कुछ स्थानीय सूत्र दावा करते हैं कि आरोपी अनिल बागरी एक राज्यमंत्री का कथित रिश्तेदार है। हालांकि, पुलिस ने इन दावों की किसी भी प्रकार से आधिकारिक पुष्टि नहीं की है तथा बयान जारी किया है कि मामले के प्रत्येक पहलू की जांच की जा रही है और पारिवारिक संबंधों की पुष्टि तथ्यात्मक रूप से ही होगी।
जांच आगे बढ़ने के साथ पुलिस ने फरार आरोपी शैलेन्द्र सिंह पिता सुरेंद्र सिंह निवासी विराट नगर को भी इस मामले में आरोपी बनाया है। शैलेन्द्र सिंह वर्तमान में बांदा जेल में बंद हैं जहाँ उन्हें कुछ दिन पहले कथित तौर पर गांजा के साथ पकड़ा गया था। दोनों मामलों के बीच कोई कड़ी है या नहीं इसकी पुष्टि जांच पूरी होने के बाद ही संभव होगी। फिलहाल पुलिस इस दिशा में सभी पहलुओं को खंगाल रही है।
इन घटनाओं ने मिलकर रीवा रेंज में नशा तस्करी की गहराई और सक्रियता को उजागर किया है। ग्रामीण इलाकों हाईवे और कनेक्टिव रूट्स पर तस्करी की लगातार गतिविधियाँ सवाल उठाती हैं कि यह नेटवर्क इतना मजबूत क्यों है और लंबे समय से कैसे सक्रिय बना हुआ है?
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नशा तस्करी के मामलों में कथित राजनीतिक जुड़ाव की चर्चाएँ चिंताजनक हैं। कई लोगों का आरोप है कि यदि पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है, तो नेटवर्क हर बार और मजबूत होकर क्यों सामने आता है? क्या सूचना तंत्र कमजोर है? या फिर अपराधियों को कहीं न कहीं से संरक्षण मिल रहा है? हालांकि, इन आरोपों की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो सकी है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि नशा तस्करी की समस्या सिर्फ अपराध नहीं बल्कि एक सामाजिक आपदा बन चुकी है। यह युवाओं को नशे की लत में धकेल रही है परिवारों को तोड़ रही है और समाज में अपराध को बढ़ावा दे रही है। उनका कहना है कि इस नेटवर्क को खत्म करने के लिए उच्च स्तरीय पारदर्शी और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।

इन बढ़ते आरोपों और चर्चाओं के बीच पुलिस अधिकारियों ने बयान जारी कर कहा है कि आने वाले दिनों में रीवा रेंज में विशेष अभियान चलाया जाएगा। बाहरी रूट्स हाईवे जंगल मार्ग और ग्रामीण कनेक्शन पॉइंट्स को कड़ी सुरक्षा में रखा जाएगा। पुलिस ने दावा किया है कि नशा तस्करी के इस नेटवर्क को जड़ से खत्म करने की तैयारी की जा रही है और जल्द ही कई और खुलासे हो सकते हैं।
फिलहाल पूरा मामला जांच के अधीन है। अधिकारियों का कहना है कि जैसे जैसे पूछताछ और तकनीकी विश्लेषण आगे बढ़ेंगे इस नेटवर्क से जुड़े कई और नाम सामने आ सकते हैं।





