मध्य प्रदेश

जन सेवा मित्र योजना पर बवाल: भाजपा-कांग्रेस में घमासान, 9 हजार युवा हुए बेरोजगार!

मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा जनहित में शुरू की गई मुख्यमंत्री जन सेवा मित्र योजना अब विवादों में घिर गई है। इस योजना के तहत 9,390 युवाओं को रोजगार देने और उन्हें प्रतिमाह 8 हजार रुपये मानदेय देने की घोषणा की गई थी। लेकिन अब कांग्रेस का आरोप है कि चुनाव जीतने के बाद भाजपा सरकार ने योजना को बंद कर दिया, जिससे हजारों युवा बेरोजगार हो गए।

कांग्रेस का भाजपा पर हमला: चुनावी जुमला निकली योजना

मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता उमंग सिंगार ने मुख्यमंत्री जन सेवा मित्र योजना को लेकर भाजपा सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने सिर्फ चुनाव जीतने के लिए इस योजना को लाया था, लेकिन सत्ता में आते ही इसे बंद कर दिया। इससे 9 हजार से अधिक युवा बेरोजगार हो गए।

सिंगार ने कहा, “भाजपा ने युवाओं को झूठे सपने दिखाए। जन सेवा मित्र योजना के जरिए उन्हें रोजगार का झांसा दिया गया, लेकिन अब सरकार ने इसे खत्म कर दिया। चुनावी फायदे के लिए युवाओं को गुमराह करना बेहद शर्मनाक है।”

भाजपा का पलटवार: योजनाएं बंद नहीं, स्वरूप बदला

कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए मध्यप्रदेश भाजपा के प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसोदिया ने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने कोई भी पुरानी योजना बंद नहीं की है। सिर्फ उनके नाम और स्वरूप में बदलाव किया गया है।

सिसोदिया ने कहा, “मध्यप्रदेश में हो रहा औद्योगिक विकास बड़े पैमाने पर युवाओं को रोजगार देगा। इसके अलावा, सरकार 5 साल में 2.5 लाख सरकारी पदों पर भर्ती की योजना बना रही है। कांग्रेस के झूठे आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है।”

जन सेवा मित्र योजना पर बवाल: भाजपा-कांग्रेस में घमासान, 9 हजार युवा हुए बेरोजगार!

उन्होंने कहा कि जन सेवा मित्र योजना पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है, बल्कि सरकार इसे नए स्वरूप में लागू कर रही है।

क्या है मुख्यमंत्री जन सेवा मित्र योजना?

मध्यप्रदेश सरकार ने 15 अगस्त 2023 को इस योजना की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ घर-घर तक पहुंचाना था। योजना के तहत पहले चरण में 313 विकास खंडों में 4695 जन सेवा मित्र नियुक्त किए गए थे। इसके बाद दूसरे चरण में 4695 और मित्रों की नियुक्ति की गई। इस तरह कुल 9390 जन सेवा मित्र बनाए गए थे।

इन जन सेवा मित्रों का कार्य था कि वे प्रत्येक 50 परिवारों पर एक मित्र के रूप में तैनात होकर घर-घर जाकर सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाएं। इसके लिए उन्हें प्रति माह 8 हजार रुपये का मानदेय दिया जाता था।

कांग्रेस का दावा: चुनावी रणनीति थी योजना

कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि यह योजना महज चुनावी रणनीति का हिस्सा थी। शिवराज सरकार ने विधानसभा चुनावों में युवाओं को लुभाने के लिए इस योजना को शुरू किया, लेकिन भाजपा की जीत के बाद इसे बंद कर दिया गया। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा ने युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है।

भाजपा का तर्क: युवाओं के लिए नए अवसर

भाजपा का कहना है कि जन सेवा मित्र योजना को पूरी तरह से बंद नहीं किया गया है, बल्कि इसे नए स्वरूप में लाया जाएगा। भाजपा नेताओं का दावा है कि प्रदेश में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए नए निवेशकों को लाया जा रहा है, जिससे युवाओं को रोजगार मिलेगा।

युवाओं में निराशा, सरकार पर सवाल

जन सेवा मित्र योजना बंद होने के बाद उन युवाओं में निराशा है, जिन्होंने इस योजना के तहत रोजगार पाया था। कई युवाओं ने आरोप लगाया कि सरकार ने चुनावी फायदे के लिए उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है।

योजना से जुड़े युवा मनीष शर्मा का कहना है, “हमें सरकार ने बड़े सपने दिखाए थे कि जन सेवा मित्र बनकर हम लोगों की सेवा करेंगे और खुद को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएंगे। लेकिन चुनाव के बाद हमें अचानक बेरोजगार कर दिया गया।”

आगे क्या होगा?

कांग्रेस ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने का ऐलान किया है। वहीं, भाजपा का दावा है कि सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। अब देखना होगा कि जन सेवा मित्र योजना का भविष्य क्या होता है और सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है।

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