मध्य प्रदेश

हर्दा ब्लास्ट मामले में मुख्य आरोपी की जमानत पर गुस्से में पीड़ित परिवार, मुख्यमंत्री से मिलने की है इच्छा

भोपाल: फरवरी महीने में हर्दा जिले के एक पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट में 13 लोगों की मौत हो गई थी और कई घरों को नुकसान पहुंचा था। इस हादसे ने पूरे देश में हलचल मचा दी थी, और इसके बाद कई लोग मुआवजे की मांग के लिए आंदोलन पर उतर आए थे। इस मामले में पुलिस ने आरोपी फैक्ट्री मालिकों को गिरफ्तार किया था, लेकिन बाद में मुख्य आरोपी को जमानत मिल गई, जिससे पीड़ित परिवारों में गुस्सा फूट पड़ा है। अब इन परिवारों ने मुख्यमंत्री से मिलने के लिए हर्दा से भोपाल तक पदयात्रा शुरू की है, लेकिन पुलिस ने उन्हें यात्रा रोक दी है।

हर्दा पटाखा फैक्ट्री में हुआ था विस्फोट

6 फरवरी को हर्दा जिले के एक पटाखा फैक्ट्री में हुए भयंकर विस्फोट में 13 लोगों की मौत हो गई थी। यह हादसा इतना भयानक था कि मृतकों की पहचान तक नहीं हो पाई थी। विस्फोट के बाद, पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और फैक्ट्री के कर्मचारियों और मालिकों को गिरफ्तार किया। हालांकि, मुख्य आरोपी राजेश अग्रवाल को बाद में अंतरिम जमानत मिल गई, जिसका पीड़ित परिवारों ने विरोध किया है। वे आरोप लगा रहे हैं कि जमानत मिलने के बाद भी आरोपी खुलेआम घूम रहा है और पैसे वसूल रहा है।

मुख्य आरोपी राजेश अग्रवाल को मिली जमानत

पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए मुख्य आरोपी राजेश अग्रवाल को अंतरिम जमानत मिली है, क्योंकि उसने यह दावा किया था कि उसकी किडनी में समस्या है। इस जमानत से पीड़ित परिवारों में आक्रोश है। उनका कहना है कि राजेश अग्रवाल को जमानत मिलने के बाद, वह खुलेआम घूम रहा है और अपनी गलती पर कोई पछतावा नहीं दिखा रहा है। पीड़ित परिवारों का कहना है कि उन्हें न्याय मिलना चाहिए और इस मामले में आरोपी को कड़ी सजा दी जानी चाहिए।

पीड़ित परिवारों का मुख्यमंत्री से मिलने का प्रयास

हर्दा में हुए इस हादसे के पीड़ित परिवारों ने अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मिलने के लिए भोपाल जाने का फैसला किया है। इन परिवारों का कहना है कि उन्हें मुआवजा और न्याय नहीं मिला है। हालांकि, पुलिस ने इन परिवारों को भोपाल जाने से रोक दिया है। हर्दा एसपी का कहना है कि मुख्य आरोपी को किडनी में समस्या होने के कारण जमानत मिली है, लेकिन पीड़ित परिवारों का कहना है कि आरोपी राजेश अग्रवाल खुलेआम घूम रहा है और इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।

हर्दा ब्लास्ट मामले में मुख्य आरोपी की जमानत पर गुस्से में पीड़ित परिवार, मुख्यमंत्री से मिलने की है इच्छा

हर्दा पटाखा फैक्ट्री से मिलीं 16 ड्रम कपास बम

विस्फोट के बाद, पुलिस ने फैक्ट्री के मलबे से 16 ड्रम कपास बम बरामद किए थे। इन बमों को प्रशासन ने पानी में डालकर नष्ट कर दिया था। इस हादसे के बाद प्रभावित लोगों ने सड़क जाम कर दिया था और कई दिनों तक धरना दिया था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी भी मौके पर पहुंचे थे और पीड़ितों को जल्द मुआवजा देने का आश्वासन दिया था।

घटनाक्रम का राजनीतिक प्रभाव

हर्दा पटाखा फैक्ट्री के हादसे को लेकर अब फिर से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। पीड़ित परिवारों की जमानत पर गुस्से के बाद, यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। पीड़ितों ने मुख्यमंत्री से मिलने के लिए भोपाल जाने का फैसला किया है, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया है। हर्दा एसपी ने इस पर बयान देते हुए कहा कि आरोपी को जमानत मिलने के कारण पुलिस को कोई कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। हालांकि, पीड़ितों ने अब मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए संघर्ष तेज कर दिया है।

पीड़ित परिवारों की मांगें

पीड़ित परिवारों की मुख्य मांग है कि उन्हें जल्द मुआवजा मिले और आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उनके अनुसार, जमानत मिलने के बाद आरोपी राजेश अग्रवाल अब खुलेआम घूम रहा है और लोगों से पैसे वसूलने की कोशिश कर रहा है। इस मामले में पीड़ित परिवारों ने आरोप लगाया है कि पुलिस और प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की सख्ती नहीं दिखाई जा रही है। वे चाहते हैं कि मुख्यमंत्री उनकी समस्याओं को गंभीरता से लें और जल्द से जल्द उचित कार्रवाई की जाए।

सीएम से मुलाकात की उम्मीदें

हालांकि, पुलिस ने पीड़ित परिवारों की पदयात्रा को रोकने की कोशिश की है, लेकिन पीड़ितों का कहना है कि वे बिना मिले वापस नहीं लौटेंगे। वे चाहते हैं कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उनकी समस्याओं को सुने और जल्द न्याय दिलवाने का आश्वासन दें। इस मामले में, उनके लिए यह लड़ाई सिर्फ मुआवजा और न्याय की नहीं, बल्कि उनका सम्मान और जीवन की सुरक्षा का सवाल भी है।

हर्दा पटाखा फैक्ट्री विस्फोट ने न केवल 13 परिवारों के सिर से छत छीन ली, बल्कि यह मामला प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर भी कई सवाल खड़े कर रहा है। पीड़ित परिवारों की ओर से मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिशें, जमानत पर विवाद, और पुलिस की निष्क्रियता, इन सभी पहलुओं ने इस मामले को और भी जटिल बना दिया है। अब यह देखना होगा कि मुख्यमंत्री इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और पीड़ित परिवारों को कब तक न्याय मिलता है।

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