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दिग्गज हॉकी खिलाड़ी ललित उपाध्याय का संन्यास, ओलंपिक में रचा था गौरवशाली इतिहास

भारतीय हॉकी के दिग्गज फॉरवर्ड खिलाड़ी ललित उपाध्याय ने आखिरकार अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास ले लिया है। उन्होंने दो ओलंपिक—टोक्यो 2020 और पेरिस 2024 में भारत के लिए कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया। अब जब उन्होंने अपने दो दशक लंबे चमकदार करियर को विराम दिया है तो उनके फैंस भावुक हो गए हैं। ललित ने 2014 के हॉकी वर्ल्ड कप से अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की थी और तब से लेकर अब तक वो भारतीय टीम के एक भरोसेमंद खिलाड़ी बने रहे।

ललित उपाध्याय ने अपने संन्यास की घोषणा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर की। उन्होंने लिखा कि यह सफर एक छोटे से गांव से शुरू हुआ था जहां संसाधनों की कमी थी लेकिन सपनों की कोई सीमा नहीं थी। उन्होंने लिखा कि एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें स्टिंग ऑपरेशन जैसी मुश्किलों से गुजरना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और दो बार ओलंपिक के पोडियम तक पहुंचे। वो अपने शहर के पहले ओलंपियन बने जो 26 साल बाद इस मुकाम तक पहुंचे। ललित का यह भावनात्मक पोस्ट सभी खेल प्रेमियों को छू गया।

भारत के लिए 67 गोल किए

ललित उपाध्याय ने भारतीय हॉकी टीम के लिए कुल 183 मैच खेले और 67 गोल किए। कई मैचों में उन्होंने अकेले दम पर टीम को जीत दिलाई। उनके पास गोल करने की जबरदस्त क्षमता थी और वो हमेशा विपक्षी डिफेंस के लिए एक चुनौती बनकर उभरते थे। 31 साल के ललित ने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच 15 जून 2025 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था। यह मैच उनके शानदार करियर का आखिरी अध्याय साबित हुआ।

अर्जुन अवॉर्ड से भी हो चुके हैं सम्मानित

ललित ने सिर्फ ओलंपिक में ही नहीं बल्कि एशिया कप 2017, एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2016, हॉकी वर्ल्ड लीग फाइनल 2017 और एशियन गेम्स 2018 में भी शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने 2022 के एशियन गेम्स में भारत को गोल्ड दिलाया और एफआईएच प्रो लीग 2021-22 में भी टीम को तीसरा स्थान दिलाया। उनके इन योगदानों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 2021 में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया। ललित का करियर हर युवा खिलाड़ी के लिए प्रेरणा है और उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।

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