UP News: ताजमहल पहुंचे पीठाधीश्वर परमहंस आचार्य, बताया ‘प्राचीन शिव मंदिर’
अयोध्या के पीठाधीश्वर परमहंस महाराज शनिवार, 27 अक्टूबर को ताजमहल का दर्शन करने के लिए आगरा पहुंचे। इससे पहले भी परमहंस महाराज ताजमहल का दर्शन करने के लिए आए थे, लेकिन धार्मिक छड़ी ले जाने के कारण उन्हें प्रवेश नहीं मिल पाया था। इस बार फिर परमहंस महाराज ने ताजमहल को ‘तेजोमहालय’ बताते हुए इसे प्राचीन शिव मंदिर का दर्जा दिया।
ताजमहल के प्राचीन शिव मंदिर होने का दावा
परमहंस महाराज ने ताजमहल पहुंचते ही इसे ‘तेजोमहालय’ कहा। उनका मानना है कि ताजमहल कोई मकबरा नहीं बल्कि भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है। उन्होंने इसे लेकर कहा कि “आज हमने इस शिव मंदिर के दर्शन किए और हमें दिव्य अनुभूति हुई। यह हमारे इतिहास का हिस्सा है, जिसे विदेशी आक्रमणकारियों ने विकृत किया है।”
प्रसिद्ध डायना बेंच पर फोटो खिंचवाने का मौका
इस बार परमहंस महाराज ने ताजमहल का मुख्य परिसर भी देखा और प्रसिद्ध डायना बेंच पर बैठकर फोटो खिंचवाई। उनके चेहरे पर ताजमहल के दर्शन करने की प्रसन्नता झलक रही थी। उन्होंने इसे ‘तेजोमहालय’ कहकर अपने दावे को फिर से दोहराया और कहा, “आज हमने इस प्राचीन शिव मंदिर में ईश्वर का अनुभव किया।”
एएसआई अधिकारियों ने माफी माँगी और प्रवेश दिया
परमहंस महाराज के अनुसार, पिछली बार जब उन्हें ताजमहल के दरवाजे पर रोका गया था, तब इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था। इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के प्रमुख ने उनसे माफी मांगी और उन्हें ताजमहल का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया। इस बार उन्होंने मंदिर के स्वरूप में इसे देखने की पुष्टि की और इसे धार्मिक दृष्टिकोण से भारतीय धरोहर बताया।
हिंदू राष्ट्र बनने की बात की
ताजमहल का दौरा करने के बाद, परमहंस महाराज ने देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा, “जिस प्रकार अयोध्या के राम जन्मभूमि का निर्णय हुआ और वहां मंदिर का निर्माण हुआ, वैसे ही एक दिन ताजमहल का सच भी सामने आएगा। यह कोई मकबरा नहीं, बल्कि हमारे भगवान शिव का मंदिर है और इसे सही पहचान दी जाएगी।”
इतिहास की पुनर्स्थापना का लक्ष्य
परमहंस महाराज ने अपने बयानों में यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति और धरोहर को लेकर हमें अपने इतिहास की पुनर्स्थापना की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विदेशी आक्रमणकारियों ने हमारे इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा है और ताजमहल भी इसी छेड़छाड़ का एक हिस्सा है। उनके अनुसार, समय आने पर ताजमहल का असली इतिहास दुनिया के सामने आएगा और इसे ‘तेजोमहालय’ के नाम से जाना जाएगा।
ताजमहल का प्राचीन महत्व
परमहंस महाराज का यह दावा कि ताजमहल वास्तव में एक शिव मंदिर है, इतिहास के इस महत्वपूर्ण स्मारक को लेकर नए सवाल खड़े करता है। उनका मानना है कि ताजमहल का वास्तु और इतिहास दोनों ही इसे एक मंदिर के रूप में दर्शाते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित है। इस बयान के बाद एक बार फिर इस विवादित मुद्दे पर चर्चा तेज हो गई है।
अंत में, परमहंस महाराज ने यह संदेश दिया कि ताजमहल को ‘तेजोमहालय’ के नाम से पहचाना जाना चाहिए और इसकी प्राचीन पहचान को पुनर्जीवित करने के प्रयास किए जाने चाहिए।