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रूस के साथ व्यापार में तेजी, पर इन 10 बातों का रखना होगा ध्यान – एस जयशंकर

भारत और रूस के बीच व्यापार में लगातार वृद्धि हो रही है, लेकिन इसके साथ ही कुछ महत्वपूर्ण बिंदु भी हैं जिन्हें ध्यान में रखना बेहद जरूरी है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में इन मुद्दों को उठाया और कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार को और प्रभावी बनाने के लिए कुछ खास पहलुओं पर काम करना जरूरी है। ये बातें एस जयशंकर ने सोमवार को भारत-रूस व्यापार मंच की बैठक में कही, जिसमें रूस के प्रथम उप विदेश मंत्री डेनिस मंटुरोव भी मौजूद थे। इस लेख में हम उन 10 अहम बिंदुओं पर चर्चा करेंगे, जिन्हें भारत-रूस व्यापार संबंधों को मजबूत करने के लिए दोनों देशों को ध्यान में रखना होगा।

1. बिलेट्रल ट्रेड का लक्ष्य $100 बिलियन

भारत और रूस के बीच व्यापार वर्तमान में लगभग 66 अरब डॉलर का है, और दोनों देशों ने 2030 तक इसे 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। एस जयशंकर के अनुसार, यह लक्ष्य महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे प्राप्त करने के लिए व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करना होगा। हालांकि, इस वृद्धि के साथ कुछ चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं, जिन पर ध्यान देना जरूरी है।

2. बढ़ता हुआ व्यापार घाटा

भारत और रूस के बीच व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है, विशेष रूप से तेल आयात के कारण। 2023-24 में भारत का रूस से व्यापार घाटा 57 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, जो कि चिंता का विषय है। एस जयशंकर ने इस बात को उठाया और कहा कि जब दोनों देशों के बीच 100 अरब डॉलर के व्यापार का लक्ष्य पूरा होगा, तो यह घाटा और भी बढ़ सकता है। ऐसे में व्यापार घाटे को नियंत्रित करने के उपायों पर ध्यान देना जरूरी होगा।

3. स्थानीय मुद्रा में व्यापार

भारत और रूस के बीच व्यापार को रुपये और रूबल में सुलझाना बहुत महत्वपूर्ण है। एस जयशंकर ने सोमवार को भारत-रूस व्यापार मंच की बैठक में इस मुद्दे को उठाया और कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में यह बेहद जरूरी हो गया है कि दोनों देशों के बीच व्यापार की निपटान प्रक्रिया स्थानीय मुद्राओं में हो। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार की प्रक्रिया सरल होगी और मुद्रा परिवर्तनों की वजह से होने वाले जोखिम को कम किया जा सकेगा।

4. नॉन-टैरिफ बाधाओं और नियामक अड़चनों को दूर करना

भारत और रूस के व्यापार में कई तरह की नॉन-टैरिफ बाधाएं और नियामक अड़चनें हैं, जो व्यापार को प्रभावित करती हैं। एस जयशंकर ने कहा कि इन बाधाओं को दूर करना होगा ताकि व्यापार की प्रक्रिया को और सरल और प्रभावी बनाया जा सके। इन समस्याओं को सुलझाने के लिए दोनों देशों को आपस में मिलकर काम करना होगा।

5. भारत-एव्रेशिया आर्थिक क्षेत्र के व्यापार समझौते को तेज करना

भारत और रूस के बीच व्यापार को बढ़ाने के लिए भारत-एव्रेशिया आर्थिक क्षेत्र के साथ व्यापार समझौते को तेजी से आगे बढ़ाना होगा। इस समझौते से दोनों देशों को व्यापार के नए अवसर मिल सकते हैं और आर्थिक संबंधों को और भी मजबूत किया जा सकता है। एस जयशंकर ने इस पहल को बेहद महत्वपूर्ण बताया।

रूस के साथ व्यापार में तेजी, पर इन 10 बातों का रखना होगा ध्यान – एस जयशंकर

6. बिलेट्रल निवेश संधि को पूरा करना

भारत और रूस के बीच एक निवेश संधि पर काम चल रहा है, जिसे पूरा करने की आवश्यकता है। इस संधि के तहत दोनों देशों के निवेशकों को सुरक्षा और राहत मिल सकती है, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। इस संधि की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करना महत्वपूर्ण है।

7. रूसी कंपनियों को रुपये में भुगतान की हिचकिचाहट

भारत और रूस के बीच रुपये और रूबल में व्यापार की बात कई बार की गई है, लेकिन इसके बावजूद कई रूसी कंपनियां इस भुगतान प्रक्रिया में हिचकिचा रही हैं। एस जयशंकर ने इस मुद्दे को उठाया और कहा कि इस समस्या को सुलझाने के लिए प्रयास किए जाएंगे। कुछ रूसी कंपनियों को रुपये में भुगतान किया गया है, लेकिन क्योंकि रूस के भारत से आयात बहुत कम हैं, इन रुपये का उपयोग नहीं हो पा रहा है, जो एक बड़ी समस्या है।

8. नौवहन और वित्तीय सुविधाओं को सुधारना

भारत और रूस के बीच व्यापार बढ़ाने के लिए दोनों देशों के बीच बेहतर नौवहन सुविधाओं और वित्तीय लेनदेन के लिए सुविधाओं का होना जरूरी है। इस दिशा में सुधारों की आवश्यकता है ताकि व्यापारिक प्रक्रिया और तेज और प्रभावी हो सके।

9. रूस के प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम उपयोग

रूस प्राकृतिक संसाधनों का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है और भारत को इन संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने के लिए रूस के साथ मिलकर काम करना चाहिए। एस जयशंकर ने इस बात पर भी जोर दिया कि दोनों देशों को अपने संसाधनों का सदुपयोग करना होगा ताकि दोनों देशों को अधिकतम लाभ हो सके।

10. दोनों देशों के उद्योगों के लिए नए अवसर

भारत और रूस के बीच व्यापार बढ़ाने से दोनों देशों के उद्योगों को नए अवसर मिल सकते हैं। एस जयशंकर ने इस पहलू पर भी ध्यान दिलाया और कहा कि दोनों देशों के उद्योगों के बीच सहयोग बढ़ाने से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

भारत और रूस के बीच व्यापार में वृद्धि हो रही है, लेकिन इसके साथ कई चुनौतियां भी हैं, जिन्हें हल करना जरूरी है। एस जयशंकर ने जो 10 बिंदु उठाए हैं, वे भविष्य में भारत-रूस व्यापार संबंधों को मजबूत बनाने के लिए अहम साबित हो सकते हैं। यदि इन बिंदुओं पर सही तरीके से काम किया जाए, तो दोनों देशों के बीच व्यापार में और भी वृद्धि हो सकती है, जो न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी लाभकारी होगा।

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