उत्तर प्रदेश

चुनावी सभा में धमकी देना पड़ा महंगा, अब्बास अंसारी को मिली सजा और 11 हजार का जुर्माना

मऊ सदर सीट से सुभासपा विधायक और माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को अदालत ने बड़ा झटका दिया है। शनिवार को एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डॉ. कृष्ण प्रताप सिंह ने 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषण देने के मामले में अब्बास को दो साल की सजा और 11 हजार रुपये का जुर्माना सुनाया। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-8 के तहत दो साल की सजा होने पर अब उनकी विधानसभा सदस्यता स्वतः ही समाप्त हो गई है।

विधानसभा सचिवालय जल्द निकालेगा नोटिफिकेशन

अब्बास अंसारी मौजूदा 18वीं विधानसभा में विधायक पद गंवाने वाले छठे विधायक बन गए हैं। इससे पहले सपा के आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम, कानपुर के इरफान सोलंकी, बीजेपी विधायक विक्रम सैनी और रामदुलार गोंड भी सजा के चलते अपनी सीट गंवा चुके हैं। अब अदालत के आदेश की प्रमाणित प्रति मिलते ही विधानसभा सचिवालय मऊ सदर सीट के रिक्त होने का नोटिफिकेशन जारी करेगा। इसके बाद वहां उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

चुनावी सभा में धमकी देना पड़ा महंगा, अब्बास अंसारी को मिली सजा और 11 हजार का जुर्माना

भड़काऊ भाषण का मामला, अब्बास ने चुनावी सभा में दी थी धमकी

पूरा मामला 3 मार्च 2022 का है जब मऊ के पहाड़पुर मैदान में एक चुनावी सभा के दौरान अब्बास अंसारी ने अधिकारियों को धमकी दी थी कि चुनाव जीतने के बाद वह उन्हें सबक सिखाएंगे। इस मामले में अदालत ने अब्बास के चाचा मंसूर अंसारी को षड्यंत्र का दोषी मानते हुए छह महीने की सजा और एक हजार रुपये का जुर्माना सुनाया है। हालांकि अब्बास के छोटे भाई उमर अंसारी को इसी मामले में बरी कर दिया गया है।

सभी सजाएं एक साथ चलेंगी, जमानत पर रिहाई मिली

अब्बास अंसारी को आईपीसी की धारा 153-ए (धार्मिक उन्माद फैलाना) और 189 (लोक सेवक को नुकसान पहुंचाने की धमकी) में दो-दो साल की सजा, धारा 506 (आपराधिक धमकी) में एक साल और धारा 171-एफ (चुनाव में अनुचित प्रभाव) में छह महीने की सजा सुनाई गई है। सभी सजाएं साथ में चलेंगी और पहले जेल में बिताया समय सजा में समायोजित किया जाएगा। बचाव पक्ष के वकील दरोगा सिंह ने बताया कि चूंकि सजा तीन साल से कम है, इसलिए अदालत ने अब्बास और मंसूर को जमानत दे दी है और अपील के लिए समय दिया गया है। अब यह आदेश सत्र न्यायालय में चुनौती दिया जाएगा।

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