राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने बंदरगढ़ में हाथियों की मौत की जांच के लिए पहुंचते समय नियमों का उल्लंघन किया
मध्य प्रदेश के राज्य वन मंत्री दिलीप अहिरवार ने बंदरगढ़ में हाथियों की मौत की घटना की जांच के लिए पहुंचकर एक विवादास्पद स्थिति पैदा कर दी है। उन्होंने वहाँ जांच के लिए एक तीन सदस्यीय टीम के साथ यात्रा की, लेकिन उनके साथ एक गनमैन भी था। यह बात खास महत्व रखती है क्योंकि बंदरगढ़ टाइगर रिजर्व के तहत, किसी भी व्यक्ति का वहाँ हथियार लेकर जाना प्रतिबंधित है।
हाथियों की रहस्यमय मौत
बंदरगढ़ टाइगर रिजर्व में पिछले कुछ समय में 10 हाथियों की रहस्यमय मौतें हुई हैं, जो जंगल के पर्यावरण और वहां के निवासियों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई, जिसमें हाथियों की मौत के सभी पहलुओं की जांच करने के निर्देश दिए गए।
मुख्यमंत्री का निर्देश और मंत्री का आगमन
मुख्यमंत्री ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए एक उच्च स्तरीय टीम का गठन किया जाए। इस टीम का नेतृत्व राज्य वन मंत्री दिलीप अहिरवार करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पूरे मामले की जांच में कोई देरी नहीं होनी चाहिए और जो लोग जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने इस संदर्भ में एक विशेष टीम का गठन किया, जिसमें दो वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।
राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद बंदरगढ़ का दौरा किया, लेकिन उनके द्वारा गनमैन को साथ ले जाने की घटना ने कुछ सवाल खड़े कर दिए हैं।
नियमों का उल्लंघन
हालांकि, वन मंत्री के साथ गनमैन की उपस्थिति ने नियमों के उल्लंघन को उजागर किया। बंदरगढ़ टाइगर रिजर्व में हथियारों का प्रवेश निषिद्ध है, ताकि वन्यजीवों और उनके आवास की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। राज्य वन मंत्री का इस नियम का पालन न करना एक विवाद का कारण बन गया है और यह दर्शाता है कि उच्च पदों पर बैठे व्यक्ति भी नियमों से अछूते नहीं हैं।
इस मामले पर मुख्य वन्यजीव संरक्षक वीएन अंबडे ने स्पष्ट किया कि राज्य वन मंत्री दिलीप अहिरवार ने जो स्थान चुना था, वह बफर जोन में था, जहाँ VIP के साथ गनमैन की अनुमति है। हालांकि, फिर भी, यह तर्क उस नियम की वैधता पर सवाल उठाता है जो वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है।
जांच की प्रगति
मंत्री अहिरवार ने अपनी टीम के साथ मौके पर पहुँचकर घटना की गंभीरता को समझने की कोशिश की। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस मुद्दे पर पूरी गंभीरता से कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि हाथियों की मौत के पीछे के कारणों की गहन जांच की जाएगी।
इस प्रकार की घटनाओं से न केवल वन्यजीवों की सुरक्षा पर सवाल उठता है, बल्कि यह स्थानीय लोगों और वन्यजीवों के बीच सामंजस्य को भी प्रभावित करता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि इस तरह के मुद्दों की जड़ तक पहुँचने के लिए सख्त कदम उठाए जाएँ।
स्थानीय लोगों की चिंताएँ
बंदरगढ़ में हाथियों की मौत ने स्थानीय समुदायों को चिंता में डाल दिया है। इन हाथियों की मौत के कारणों के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं, और स्थानीय लोग यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि इस मुद्दे पर किस तरह की कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय निवासी यह चाहते हैं कि उनकी चिंताओं को गंभीरता से लिया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि इस तरह की घटनाएँ फिर से न हों। इसके अलावा, वे यह भी चाहते हैं कि सरकार उनके सुरक्षा और कल्याण के लिए ठोस कदम उठाए।
इस पूरे मामले में राज्य वन मंत्री दिलीप अहिरवार का गनमैन के साथ बंदरगढ़ टाइगर रिजर्व में जाना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह घटना हाथियों की मौत की जांच के संदर्भ में भी गंभीरता से देखी जानी चाहिए। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देशों के तहत, मंत्री ने कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है, लेकिन यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इस प्रक्रिया में कोई भी नियम की अनदेखी न हो।
बंदरगढ़ में हाथियों की मौत की जांच केवल एक वन मंत्री के कर्तव्यों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह सुनिश्चित करने का भी प्रयास होना चाहिए कि इस क्षेत्र में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएँ। वन्यजीवों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक आवास की रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है, और इसके लिए हम सभी को जिम्मेदार होना चाहिए।