Shahdol News: जैतपुर और गोहपारू में बाघ का आतंक, 24 घंटे में तीन लोगों पर हमला, वन विभाग की लापरवाही पर लोगों का आक्रोश
शहडोल जिले के जैतपुर और गोहपारू के जंगलों में बाघ का आतंक छाया हुआ है। बीते 24 घंटों में बाघ ने तीन लोगों पर हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया है। ग्रामीणों में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश है, क्योंकि उनका मानना है कि वन विभाग की लापरवाही के चलते यह घटनाएं हुईं। बाघ के लगातार हमलों ने ग्रामीणों को भयभीत कर दिया है और वे वन विभाग पर कार्रवाई में देरी का आरोप लगा रहे हैं।
पहली घटना: वृद्ध पर बाघ का हमला
रविवार सुबह जैतपुर वन क्षेत्र के महरौड़ी जंगल में एक वृद्ध व्यक्ति पर बाघ ने हमला कर दिया। 65 वर्षीय धर्म सिंह जब सुबह-सुबह जंगल की ओर शौच के लिए गए थे, तब उनकी मुलाकात बाघ से हो गई। धर्म सिंह को संभलने का मौका भी नहीं मिला और बाघ ने उन पर अचानक हमला कर दिया। उनकी चीख-पुकार सुनकर पास के लोग तुरंत मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक बाघ उन्हें गंभीर रूप से घायल कर चुका था। ग्रामीणों ने धर्म सिंह को तुरंत शाहडोल जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां उनका इलाज चल रहा है और उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
दूसरी घटना: महिला पर हमला
इसके पहले शनिवार शाम को गोहपारू वन क्षेत्र में एक महिला पर भी बाघ ने हमला किया था। यह घटना लाफड़ा बीट में हुई थी, जहां महिला मवेशी चरा रही थी। अचानक बाघ ने महिला पर झपट्टा मारा और उसे घायल कर दिया। वहां मौजूद लोगों ने तुरंत महिला को अस्पताल पहुंचाया और वन विभाग को सूचित किया। महिला को मामूली चोटें आईं, और उसकी हालत अब खतरे से बाहर बताई जा रही है। हालांकि, इस घटना के बाद भी वन विभाग की ओर से कोई विशेष सतर्कता नहीं दिखाई दी, जिससे ग्रामीणों में असंतोष और बढ़ गया।
तीसरी घटना: युवक पर हमला
तीसरी घटना भी शनिवार को हुई, जब गोहपारू के भागा गांव में एक युवक पर बाघ ने हमला किया। युवक अपने खेत से लौट रहा था जब बाघ ने उसे घायल कर दिया। इस हमले के बाद भी वन विभाग ने तुरंत कोई कदम नहीं उठाया, जिससे ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि वन विभाग ने पहली घटना के बाद सतर्कता बरती होती और गाँव में मुनादी कर लोगों को आगाह किया होता, तो शायद दूसरी और तीसरी घटना को रोका जा सकता था।
ग्रामीणों में आक्रोश, वन विभाग पर लापरवाही का आरोप
तीनों घटनाओं के बाद ग्रामीणों का गुस्सा वन विभाग के प्रति और भी बढ़ गया है। लोगों का कहना है कि पहली घटना के बाद ही वन विभाग को सतर्क हो जाना चाहिए था और गाँव में घोषणा कर लोगों को जंगल की ओर जाने से रोकना चाहिए था। लेकिन वन विभाग की टीम ने घटना को हल्के में लिया और कोई ठोस कदम नहीं उठाए, जिससे दूसरी और तीसरी घटनाएं भी हो गईं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि वन विभाग समय पर सक्रिय हो जाता, तो शायद इन हमलों को रोका जा सकता था।
बाघ की गतिविधि पर वन विभाग का बयान
वन रेंज अधिकारी ने कहा है कि गोहपारू वन क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से दो बाघों की गतिविधि देखी जा रही है। बाघों के अलावा, इस क्षेत्र में भालू और तेंदुआ भी सक्रिय हैं। वन विभाग की टीम लगातार जंगली जानवरों की गतिविधियों पर नजर रख रही है। जेटपुर रेंजर राहुल सिकारवार ने बताया कि घटनाओं के बाद गाँव में मुनादी करवाई जा रही है, ताकि लोग सतर्क रहें और सुबह और शाम के समय जंगल की ओर न जाएं। रेंजर का कहना है कि वन विभाग की टीम लगातार इलाके की निगरानी कर रही है और ग्रामीणों को जंगल से दूर रहने की सलाह दी जा रही है।
वन विभाग की अपील और सुरक्षा के उपाय
वन विभाग द्वारा ग्रामीणों से अपील की जा रही है कि वे जंगल के आसपास के इलाकों में न जाएं, खासकर सुबह और शाम के समय। बाघ और अन्य जंगली जानवरों की गतिविधियों के चलते यह समय बेहद खतरनाक हो सकता है। ग्रामीणों से कहा जा रहा है कि वे अपने मवेशियों को जंगल में न छोड़ें और जब भी मवेशी चराने जाएं, तो समूह में जाएं और सतर्क रहें। वन विभाग की टीम ने ग्रामीणों के साथ बैठक कर उन्हें सुरक्षा के उपायों की जानकारी दी है और उन्हें निर्देश दिया है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत वन विभाग को दें।
ग्रामीणों की मांग: बाघ को पकड़ने की कार्रवाई
ग्रामीणों की मांग है कि वन विभाग बाघ को पकड़ने के लिए तुरंत कार्रवाई करे। उनका कहना है कि जब तक बाघ को पकड़ा नहीं जाता, तब तक गाँव वालों की जान को खतरा बना रहेगा। इस मांग को लेकर ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ प्रदर्शन भी किया है। उनका कहना है कि वे अपनी सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं और वन विभाग की ओर से जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने की उम्मीद कर रहे हैं।