धर्ममध्य प्रदेशरीवा

Sankadik maharaj :15 वर्ष की उम्र से शुरू किया राम का जाप, शिव साधना ने बढ़ाई शक्ति अब तो बस हर जगह दिखाई देते हैं राम ही राम

Rewa. झलबदरी आश्रम में  1008 कुण्डिया विशाल महायज्ञ का आयोजन हो  रहा है जिसके मुखिया श्री श्री अनंत विभूषित ब्रह्मचारी सनकादिक महराज हैं। सन कादिक महराज का मानना है कि झलबदरी आश्रम में आयोजित इस महायज्ञ को सफल बनाने में लगभग पूरा नगर जुट चुका है और इस महायज्ञ के माध्यम से वह रीवा वासियों को धर्म के प्रति एक नई चेतना देकर जाएंगे।

साधु तो समाज की प्रेरणा होते हैं तथा उनका कोई जीवनकाल या जन्म नहीं होती वह केवल मृत्यु जन्मदिन से ही जाने जाते हैं यह कहना है श्री श्री अनंत विभूषित ब्रह्मचारी सनकादिक महराज का जो अपने जीवन के 15 वर्ष की आयु में भगवान राम से जुड़ गए जहां से उन्होंने राम नाम का जप करना शुरू किया फिर अचानक से एक दिन उनके गुरु द्वारा उन्हें भोलेनाथ की साधना करने की जानकारी दी गई जिसके बाद वह शिव साधना में लीन होकर महाकाल की उपासना करने लगे और उनका अनुराग बढ़ता गया।

सनकादिक महराज ने बताया कि उनके गुरु श्री अनंत स्वामी रामरतन बर्फानी महराज ने उन्हें शिव की साधना के लिए एक माला दी जिसमें राम नाम अंकित था और उस माला से उन्होंने ॐ नमः शिवाय का जाप करना प्रारंभ किया जिसे करते हुए उन्हें आनंद की प्राप्ति हुई और सिद्धि मिल गई। तथा बाद उन्होंने खुद को राम के नाम समर्पित कर दिया और चित्रकूट में राम दरबार बना रहने लगे। महराज बताते हैं कि उन्होंने ऋषिकेश के कैलाश आश्रम से अपनी शिक्षा दीक्षा पूरी की थी और वहां शिव की साधना से ही राम का नाम प्रिय लगने लगा।

अनंत विभूषित ब्रह्मचारी सनकादिक महराज ने बताया कि वह साल 2006 से पूर्ण रूपेण चित्रकूट के ही होकर रह गए क्योंकि भगवान राम का असल वास चित्रकूट में ही है तथा विगत 12 वर्ष पूर्व रीवा के झलबदरी आश्रम में ही हुए यज्ञ में शामिल होने के बाद ही उन्होंने विचार किया था कि इसी तरह का एक और महायज्ञ यहां होना चाहिए जिसपर अब एक बार फिर 1008 कुण्डिया महायज्ञ आज से शुरू किया जा रहा है जिसका आगामी 15 दिसंबर को समापन किया जाएगा।

सनकादिक महराज ने झलबदरी आश्रम में हो रहे इस 1008 कुण्डिया महायज्ञ से अधिक से अधिक लोगों के जुड़ने की अपील की है। उन्होंने बताया कि 1008 कुण्डिया हो रहे इस यज्ञ में चारों वेदों का परायण किया जाएगा इसके अलावा सनातन में नई ऊर्जा भरने तमाम ग्रंथों के समागम का पाठ भी होना है।

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